श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है बुंदेली गीत “कौन है अमृत पीकर आया…..”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
मनोज साहित्य # 18 – सजल – कौन है अमृत पीकर आया… ☆
समांत- अले
पदांत- गए हैं
मात्राभार- 16
मानव हर युग दले गए हैं।
हर संकट में तले गए हैं।।
सतयुग हो या द्वापर का युग,
राम कृष्ण भी छले गए हैं ।
कौन है अमृत पीकर आया,
छोड़ सभी कुछ चले गए हैं।
सूरज ने सबको तड़पाया,
तपती धूप से ढले गए हैं।
आश्रय मात पिता से मिलता,
गुण-अवगुण में पले गए हैं।
परोपकार हैं वृक्ष हमारे,
सबको देने फले गए हैं।
ईश्वर की अनुकम्पा सब पर,
फिर भी हम सब खले गए हैं।
© मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”
५ जुलाई 2021
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