हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 119 ☆ “सॉनेट ~ नर्मदा” ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आचार्य जी द्वारा रचित “सॉनेट ~ नर्मदा”)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 119 ☆ 

☆ सॉनेट ~ नर्मदा ☆

नर्मदा सलिला सनातन,

करोड़ों वर्षों पुरानी,

हर लहर कहती कहानी।

रहो बनकर पतित पावन।।

 

शिशु सदृश यह खूब मचले,

बालिका चंचल-चपल है,

किशोरी रूपा नवल है।

युवा दौड़े कूद फिसले।।

 

सलिल अमृत पिलाती है,

शिवांगी मोहे जगत को।

भीति भव की मिटाती है।।

 

स्वाभिमानी अब्याहा है,

जगज्जननी सुमाता है।

शीश सुर-नर नवाता है।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१४-१२-२०२२

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आत्मानंद साहित्य #151 ☆ कविता – आज ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – आत्मानंद साहित्य# 151 ☆

☆ ‌कविता – आज ☆ श्री सूबेदार पाण्डेय “आत्मानंद” ☆

जो बीत गया वो भूतकाल था,

जो‌ बचा हुआ वह आज है।

उसका संबंध है भविष्य काल से,

यही तो गहरा‌ राज है।

आज की मेहनत पर टिका हुआ,

सफल भविष्य  का साज है।

कर्मवीर मानव  अपने कर्मों पे

करता नाज है।

आज की मेहनत का परिणाम ‌

सदैव भविष्य में मिलता है।

अकर्मण्य पछताता है,

उसका दुखी मिजाज है।

भूतकाल ना लौट के आए,

खाली स्मृतियों में दिखता है।

जिसने मेहनत किया आज,

वह नई उंचाई छूता है।

वह चढ़ा बुलंदी की छाती पर,

उसे आज दुआएं  देता है।

इस समय के रूप तीन है भाई,

 कल आज और कल।

  बीते समय को आज भुला कर,

आगे आगे  तू अब  चल।

© सूबेदार  पांडेय “आत्मानंद”

14.12.2022, 10.04 

संपर्क – ग्राम जमसार, सिंधोरा बाज़ार, वाराणसी – 221208, मोबा—6387407266

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆ – मोत्याचे  सौंदर्य – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

 ? – मोत्याचे  सौंदर्य ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के 

  अंगावर काटे निसर्ग  देण

  हात तरी लावणार कोण ?

  मलाच माझे सौंदर्य  आवडे

  दुजे जवळ करतील कोण ?

 थंडी पडली काकडलो मी

  अंगोपांगी थरथरलो मी

  धुक्याने शाल दिली मज

  पांघरली मी  प्रेमभरानी

  दिनकर येता पुर्वदिशेला

 पट धुक्याचा  विरून गेला

 जाता जाता आठव म्हणूनी

 थेंब  दवाचे मज देता झाला

 त्याच दवांच्या थेंबाना मी

 कंटकावरीवरी हळू तोलले

 सुर्यकिरण  त्यावरी  पडता

 मोत्याचे  सौंदर्य  लाभले

चित्र साभार –सुश्री नीलांबरी शिर्के

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिंदी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #168 – 54 – “तेरी ख़ुश्बू मुझ पर…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “तेरी ख़ुश्बू मुझ पर …”)

? ग़ज़ल # 54 – “तेरी ख़ुश्बू मुझ पर …” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

चश्मे पुरनम मुसक़ाती रही रात भर,

तेरी  याद  मुझे  आती रही रात भर।

कोई आहट सी भी आती रुकरुक कर,

नागिन  जुल्फ  लहराती रही रात भर।

सारी रात चिढ़ाता चाँद भी  फलक  पर,

शबनम मुझको झुलसाती रही रात भर।

सुलग गया तन मन आ बैठा हैं अनंग

तेरी ख़ुश्बू मुझ पर छाती रही रात भर,

आतिश से बिछड़न होता है एक जंजाल,

ख़लिश पुरानी मुझे सताती रही रात भर।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 45 ☆ मुक्तक ।।यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 45 ☆

☆ मुक्तक  ☆ ।।यह छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए भी कम है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

ज्ञान बुद्धि विनम्रता तेरे  आभूषण हैं।

सत्यवादिता प्रभुआस्था तेरे भूषण हैं।।

मत रागद्वेष कुभावना    वरण करना।

ईर्ष्या और घृणा कुमति और दूषण हैं।।

[2]

आत्मविश्वास से खुलती सफल राह है।

सबकुछ संभव यदि जीतने की चाह है।।

व्यवहार कुशलता बनती उन्नति साधक।

बाधक बनती हमारी नफरत   डाह है।।

[3]

मत  पालो  क्रोध  प्रतिशोध  बन  जाता  है।

मनुष्य स्वयं  जलता औरों  को  जलाता  है।।

प्रतिशोध   का  अंत  पश्चाताप  से  है  होता।

कभी व्यक्ति प्रायश्चित भी नहीं कर पाता है।।

[4]

विचार   आदतों   से   चरित्र  निर्माण  होता  है।

इसीसे तुम्हारा व्यक्तित्व चित्र निर्माण होता है।।

तभी बनती तुम्हारी  लोगों  के  दिल  में  जगह।

गलत राह पर केवल दुष्चरित्र निर्माण होता है।।

[5]

बस छोटी सी जिंदगी प्रेम के लिए  भी   कम है।

नफरत   बन   जाती   यूं   लोहे   की  जंग   है।।

बदला लेने में बर्बाद  नहीं  करें  इस  वक्त को।

तेरा सही रास्ता ही लायेगा सफलता का रंग है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 110 ☆ ग़ज़ल – “आँसू  कभी  न  टपके…”☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक ग़ज़ल – “आँसू  कभी  न  टपके…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण  प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ काव्य धारा #110 ☆  ग़ज़ल  – “आँसू  कभी  न  टपके…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

जो  भी  मिली  सफलता  मेहनत  से मैंने पायी

दिन रात खुद से जूझा किस्मत से   की लड़ाई।

 

जीवन   की   राह   चलते   ऐसे   भी   मोड़   आये

जहां एक तरफ कुआं था औ’ उस तरफ थी खाई।

 

काटों   भरी   सड़क  थी, सब ओर था अंधेरा

नजरों में सिर्फ दिखता सुनसान औ’ तनहाई।

 

सब  सहते, बढ़ते  जाना  आदत  सी  हो  गई  अब

किसी से न कोई शिकायत, खुद की न कोई बड़ाई।

 

लड़ते मुसीबतों से बढ़ना ही जिन्दगी है

चाहे   पहाड़  टूटे, चाहे  हो  बाढ़  आई।

 

आँसू  कभी  न  टपके, न  ही  ढोल गये बजाये

फिर भी सफर है लम्बा, मंजिल अभी न आई ।

 

दुनिया की देख चालें, मुझको अजब सा लगता

बेबात   की   बातों   में   दी   जाती  जब  बधाई।

 

सुख में ’विदग्ध’ मिलते सौ साथ चलने वाले

मुश्किल दिनों में लेकिन, कब कौन किसका भाई ?

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है

मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन।

जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन॥

अगर आप पर ईश्वर की कृपा है तो आप सब कुछ कर सकते हैं । जो गूंगा है वह बोल सकता है और जो लंगड़ा है पर्वत पर चढ़ सकता है । इस सप्ताह अर्थात 19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022 तदनुसार विक्रम संवत 2079 शक संवत 1944 के पौष कृष्ण पक्ष की एकादशी से पौष शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक के सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल  अर्थात ईश्वर की कृपा के बारे में आपको बताने का  मैं पंडित अनिल कुमार पाण्डेय प्रयास कर रहा हूं। 

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा तुला राशि में रहेगा ।वृश्चिक और धनु राशि से गोचर करता हुआ 24 दिसंबर को 6 बज के 39 मिनट रात अंत से मकर राशि में प्रवेश करेगा ।

इस सप्ताह सूर्य , शुक्र, बुध , धनु राशि में रहेंगे ।मंगल वृष राशि में वक्री रहेंगे । गुरु मीन राशि में रहेंगे । शनि मकर राशि में रहेंगे और राहु मेष राशि में गोचर करेंगे।

आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपके ऊपर ईश्वर की कृपा की वर्षा हो सकती है बशर्ते आप भी प्रयास करें। कार्यालय में आपकी स्थिति पहले से अच्छी हो सकती है ।भाई बहनों से संबंध अच्छा रहेगा । धन आने का योग है । सुख में वृद्धि होगी । माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । माता जी के  गर्दन और कमर में पीड़ा हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 दिसंबर उत्तम और सफलता दायक है । 21 और 22 को आपको सावधानी से कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके लिए सफलता दायक ग्रह शनि है । शनि की मदद से आप कई कार्यों को सफलतापूर्वक कर सकते हैं । दुर्घटनाओं से सावधान रहने का प्रयास करें । धन आने का उत्तम योग है । भाई बहनों से संबंध उत्तम रहेंगे । माता और पिता जी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा । कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है । छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी । इस सप्ताह आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए ।आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए  अद्भुत है । उनके सभी कार्य संपन्न होंगे । अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह  उत्तम है । उनके पास  विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे । प्रेम संबंधों को बढ़ाने के लिए भी यह सप्ताह उचित है । गलत रास्ते से धन आ सकता  है ।  कचहरी में विजय की उम्मीद है ।  शत्रु पराजित होंगे । छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 दिसंबर फलदाई है । 21 ,22,और 25 दिसंबर को आपको सावधान रखकर कार्य करना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार को  शनि देव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करें । उन पर तेल चढ़ाएं । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कर्क राशि

आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।आपके स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है ।आपके शत्रु का विनाश होगा । व्यवसाय में लाभ होगा । कचहरी के मामले में सफलता मिलेगी । भाग्य आपका साथ देगा । पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी है, परंतु माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । धन कम आएगा । छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में बाधा पड़ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 दिसंबर उत्तम और प्रभावशाली हैं ।  23 और 24  दिसंबर को आपको सावधानी से कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम 5 बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सपा का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । आपके संतान की उन्नति होगी । संतान का आप को पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा ।  कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।  छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी ।  भाग्य से आपको बहुत कम लाभ प्राप्त होगा ।  दुर्घटनाओं से आप बचेंगे । इस सप्ताह आपको 25 दिसंबर को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए ।  21 और 22 तारीख को आपके सुख में वृद्धि होगी । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगल देव की शांति का उपाय किसी योग्य ब्राह्मण से  कराएं । सप्ताह का शुभ दिन  बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए उत्तम है ।आपके लिए भी ठीक-ठाक है । आपके स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा आएगी । आपके पेट में तकलीफ हो सकती है । भाग्य आपका साथ देगा । अगर आप इलेक्शन लड़ रहे हैं तो उसमें आप जीत सकते हैं ।जनता का आपको साथ मिलेगा । आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा । कोई दुर्घटना हो सकती है । आपको सावधान रहना चाहिए ।  23 और 24 तारीख उत्तम और  परिणाम दायक है । 21 और 22 तारीख को आपके भाई बहनों के साथ आपकी विशेष वार्तालाप हो सकती है ।  इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पूरे सप्ताह गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके पराक्रम में वृद्धि होगी । व्यापार उत्तम चलेगा ।  क्रोध की मात्रा भी बढ़ सकती है । भाग्य पूर्ण साथ देगा । पेट के रोगों से मुक्ति मिलेगी । कार्यालय में प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।  पिताजी के स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 तारीख उत्तम और परिणाम मूलक हैं ।  21 और 22 तारीख को आपके पास धन आने का योग है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का उत्तम योग है । प्रयास करें ,धन आपके पास अवश्य आएगा । कचहरी के मामलों में उलझने से बचें । छोटी-मोटी दुर्घटनाओं से भी बचें । भाग्य कम साथ देगा । बहनों से प्रेम बढ़ेगा । संतान से सुख प्राप्त होगा ।संतान आपका सहयोग करेगी ।  इस सप्ताह आपको 19 और 20 तारीख को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए । 21 और 22 तारीख को आपकी कई अड़चनें दूर हो सकती हैं । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह आपके लिए उत्तम है । आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । व्यापार में वृद्धि होगी । धन भी सामान्य से अधिक आएगा । भाग्य से थोड़ा कम मिलेगा । पिताजी को कष्ट हो सकता है । शत्रु विनाश को प्राप्त होंगे । आपके संतान को थोड़ा कष्ट हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख सफलता दायक है । 23 और 24 को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी । 21 और 22 तारीख को आपको कर्जे से मुक्ति मिल सकती है और कचहरी के कार्य में सफलता प्राप्त हो सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गौमाता को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

आपका स्वास्थ्य इस सप्ताह उत्तम रहेगा । कचहरी के कार्यों में आपके लिए सफलता का योग है । व्यापार में उन्नति होगी । अगर आप प्रयास करेंगे तो  आपको  कर्जे से मुक्ति मिल सकती है । माताजी को कष्ट हो सकता है । भाग्य कोई विशेष साथ नहीं देगा । आपके संतान की उन्नति होगी ।इस सप्ताह आपके लिए 19 ,20 और 25 दिसंबर उत्तम फलदायक है । 21 और 22 तारीख को आपके पास धन आने का योग है । 22 , 23 और 24 तारीख को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन  हनुमान जी के सामने बैठकर तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें एवं शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी का दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है । आपके द्वारा किए गए थोड़े प्रयासों से ही आपको अच्छे धन की प्राप्ति हो सकती है । व्यापार ठीक चलेगा । भाग्य सामान्य है । संतान आपका साथ देगी । छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी । परीक्षा में सफलता का योग है । कचहरी के कार्य में सफलता मिल सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 21 और 22 तारीख को शासकीय कार्यों में सफलता का योग है । 25 दिसंबर को आपको सभी कार्य सावधानीपूर्वक करना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह घर से निकलने के पहले अपने माता-पिता को प्रणाम करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

सप्ताह सामान्य रूप से आपके लिए अच्छा है । धन की प्राप्ति की संभावना है । आपके सभी शासकीय कार्य संपन्न हो सकते हैं । अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको अपने बॉस का अच्छा सहयोग प्राप्त होगा । आपके कनिष्ठ कर्मचारी भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे । भाग्य भी आपका ठीक-ठाक साथ देगा । धन भी ठीक-ठाक आ सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख सफलता दायक है ।  19 और 20 तारीख को आपको संभल कर कार्य करना चाहिए ।   21 और 22 तारीख को आपके कुछ कार्य भाग्य के भरोसे हो सकते हैं । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह सूर्य भगवान को प्रातः काल तांबे के पात्र में जल अक्षत और लालपुष्प लेकर सूर्य के मंत्र के साथ जल अर्पण करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इसके प्रभाव के बारे में बताएं ।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 131 – लागलासे ध्यास ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

? कवितेचा उत्सव ?

☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 131 – लागलासे ध्यास ☆

लागलासे ध्यास रे।

नित्य होई भास रे।

 

रोज तुजला शोधतो

व्यर्थ मज का आस रे।

 

त्रासलो या जीवनी

गुंतलेला श्वास रे।

 

भक्त येई दर्शना

भाव माझा खास रे।

 

भेट मजशी पावना

मांडली आरास रे।

 

पाहशी का अंत रे।

कर मनी तू वास रे। 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – पुस्तकांवर बोलू काही ☆ ‘स्वप्नांचे पंख’ – सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी ☆ परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर ☆

सुश्री गायत्री हेर्लेकर

 

? पुस्तकावर बोलू काही ?

 ☆ ‘स्वप्नांचे पंख’ – सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी ☆ परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर ☆ 

लेखिका :  सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी

प्रकाशक: अरिहंत पब्लिकेशन, पुणे

पृष्ठसंख्या: १९२

किंमत: रू. 290/-

परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर.

साहित्यप्रेमींचा तसेच साहित्यिकांचा आवडता, नव्हे काहीसा जिव्हाळ्याचा साहित्यप्रकार म्हणजे कथा.

छोट्यामोठ्या,वेगवेगळ्या विषयावरच्या कथा वाचकांनाही आवडतात.

अशाच कथांचा समावेश असलेला कथासंग्रह म्हणुन स्वप्नांचे पंख या कथासंग्रहाचा उल्लेख करता येईल..

लेखिका आहेत कोथरुड,पुणे येथील शुभदा भास्कर कुलकर्णी.

त्यांचा भावफुले हा काव्यसंग्रह २०१९ मध्ये प्रकाशित झाला. त्यानंतर हा कथासंग्रह.

या कथासंग्रहात लेखिकेने नुसतीच स्वप्ने दाखवली नाहीत तर त्यांची परिपूर्ती होण्यासाठी –उत्तुंग आकाशातून भरारी घेण्यासाठी  त्यांना पंखांचे बळ दिले. हे स्वप्नांचे पंख या नावावरुन दिसुन येते.

निळ्या प्रसन्न रंगातली मुखपृष्ठ आकर्षक आणि शिर्षकाला साजेसे आहे.

नाव, आशय-विषय, प्रसंग, व्यक्ती, स्थळ, काळ, भाषा या सर्वांची सहजसुंदर, मोहक गुंफण असेल तर कथा मनोवेधक होऊन वाचनाचा आनंद मिळतोच पण त्यातुन जीवनोपयोगी बोधपर संदेश मिळत असेल तर दर्जा अधिक उंचावतो.

या संग्रहातील शुभदाताईंच्या  कथा या कसोटीवर पुरेपुर उतरल्या आहेत हे आवर्जुन नमुद करावेसे वाटते ..अनेक कथा बक्षीसपात्र ठरल्या आहेत हाच त्याचा पुरावा म्हणता येईल.तरीही पुष्ट्यर्थ काही दाखले निश्चितच  देता येतील.

“स्वप्नांचे पंख”ही पहिलीच शिर्षक कथा आहे.,”एक कळी– फुलतांना”,सुवर्णमध्य”,सुखदुःख”,

“सोनेरी वळण”,”फुललेले चांदणे”

“स्मृतीगंध””,”ऊषःकाल”

अशी ही कथांची नांवे नुसतीच आकर्षक नाहीत तर कथेचा आशय -विषय प्रतित करणारी—जणु काही कथांचे आरसेच आहेत.

कथांचे प्रसंगही तसे साधेसुधे, अगदी आपल्या रोजच्या आयुष्यातले.

जसे—तारुण्यसुलभ प्रेम, लग्न, मुलांचे शिक्षण, पुढील  शिक्षणासाठी परदेशगमन, प्रवास, मुलींची छेड, मृत्यु, ई. पण शुभदाताईंनी कथेतुन ते वेगवेगळ्याप्रकारे मांडले आहेत.

त्यातुन  त्यांची चिकित्सक दृष्टी दिसते.

शांता, ईंदिरा, रमा, मुक्ता, माया, चारु, दीपा, राजश्री, मीता, श्रीराम, श्रीकांत, महेश, अनंत, आनंद, सुमित, अमित अशी नवीजुनी नावे असलेल्या वेगवेगळ्या कथेतील अनेक नव्हे सर्वच व्यक्तिरेखा आपल्याभोवती वावरणाऱ्या आहेत.असेच वाचतांना वाटते.

नव्हे आपणही त्यातलेच आहोत असेही वाटते.”स्वप्नांचे पंखमधील” –आई–मानसीचा मनातील धास्ती आपणही अनुभवलेली जाणवते. तर “गोफ–आयुष्याचा” मधील “मुलांकडे जावे की इथेच रहावे” हा निर्णय घेतांना गोंधळलेल्या आईच्या जागी कितीतरी जणी स्वतःलाच पहातील.”

“रंगबावरी” सारखी प्रेमकथा मनाला स्पर्श करुन जाते.

काही कथातुन आलेल्या, मामंजी, सासुबाई, माई, दी, आत्या अशा संबोधनांमुळे आपुलकीचे नाते निर्माण होते.

कथांची पार्श्वभुमी वेगवेगळ्या काळातील आहे. लाल आलवणाचा पदराचा बोळा तोंडात कोंबून हुंदका देणारी आत्या “स्मृतीगंध” मध्ये आपल्या डोळ्यातुन पाणी आणते. तर “सुवर्णमध्य”मधे लग्नाला ठामपणे नकार देणारी, नामांकित सॉफ्टवेअर कंपनीतली  मीता सुखावून जाते. काही कथातुन शुभदाताईंनी. आजीआजोबा.

आईबाबा, नातवंडे अशा तीन पिढ्यांची, केलेली गुंफण मनाला भावते. पण त्याचबरोबर झालेले बदल ही  योग्य प्रकारे टिपले आहेत. “घराचे जुने चिरे एक एक करुन ढासळले पण नव्याने नविन उभे राहिले.” अशा शब्दात केलेले बदलांचे समर्थन मनाला पटते. शुभदाताईंचा समृध्द अनुभवही यातुन दिसतो.

शहरातील कथा नेमक्या पध्दतीने सांगणारी शुभदाताईंची लेखणी गावाकडचे —तिथल्या स्थळांचे वर्णन करतांना जास्त खुलते. शिंगणापूर, बेलापूर अशी गावे. तिथली हिरवीगार शेती, तिथले पाण्याचे तळे, थंडगार पाण्याचा पाट, घुंगरांची गाडी, एस.टी. स्टँड, गणपती, शंभु-महादेवाची देवळे, चौसोपी वाडा, दिंडी दरवाजा, दगडी चौथरा, दारावरची पितळी फुले आणि इतके बारीकसारीक वर्णन वाचतांना ती स्थळे, दृश्य डोळ्यापुढे उभे रहातात. शुभदाताईंचे सुक्ष्म निरीक्षण आणि समर्पक शब्दांतून केलेले वर्णन —दाद देण्यासारखेच आहे.

कथांची एकंदरित बैठक घरगुती असल्यामुळे साध्या सोप्या बोली भाषेचा वापर संयुक्तिक आहे. तरीही अनेक ठिकाणी शब्दसामर्थ्य दाखवणारी वाक्येही आहेत.

“आपल्याला वाटतं त्यापेक्षा जास्तच रुजलाय हा मनात, -अन् मनाच्या गाभाऱ्यातुन हुंकार आला.” -सुवर्णमध्य.

“आयुष्याचे एक एक पदर सांभाळता ,सांभाळता हा एक धागा हातातुन निसटला”.

मध्यमवर्गीयांच्या जीवनात नित्य येणाऱ्या काही अडचणी, समस्या —कथांचा केंद्रबिंदू असल्याने काही कथा नकळत का होईना  थोडाफार संदेश देतात. “संपलं, —संपलं म्हणायच नाही”.

“आपल्या जगण्याचे निर्णय आपण इतरांमार्फत का घ्यायचे?”.

एक खास वैशिष्ठ्य म्हणुन सांगता येईल —

“सकारात्मकता हा सर्वच कथांचा स्थायीभाव आहे. मतभेद, विचारात फरक आहेत, जरुर आहेत. पण वैमनस्य, विरोधामुळे टोकाच्या भुमिका नाहीत, सामंजस्य, आणि परिस्थिती स्विकारुन पुढे आयुष्य जगणे हा महत्वाचा संदेश मिळतो.. आणि तोच सद्यपरिस्थितीत ऊपयुक्त आहे.

कौटुंबिक, सामाजिक, –सर्वच ठिकाणी अनुभवाला येणारी अस्थिरता, असमाधान, यामुळे नैराश्य आणि नकारात्मक भावना. अशावेळी सकारात्मक कथा निश्चितच भावतात. मनाला आनंदित करतात. जगण्याचा दृष्टीकोन बदलतात. म्हणुनच वाचकांच्या पसंतीस उतरेल. 

असा सुंदर कथासंग्रह वाचकांच्या हाती दिल्याबद्दल —-लेखिकेचे मनःपुर्वक अभिनंदन—

एकुण १८ कथा असलेल्या या कथासंग्रहाची पृष्ठसंख्या १९२ असुन किंमत २९०रु.आहे.अरिहंत पब्लिकेशन,*पुणे * यांनी हे पुस्तक जानेवारी २०२२ मध्ये प्रकाशित केले.

©  सुश्री गायत्री हेर्लेकर

201, अवनीश अपार्टमेंट, कोथरुड, पुणे – 411038 

दुरध्वनी – 9403862565, 9209301430 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #161 ☆ उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं  माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक  साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का  वैश्विक महामारी और मानवीय जीवन पर आधारित एक अत्यंत विचारणीय आलेख उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 161 ☆

☆ उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना ☆

‘यदि आप इस प्रतीक्षा में रहे कि दूसरे लोग आकर आपको मदद देंगे, तो सदैव प्रतीक्षा करते रहोगे’ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का यह कथन स्वयं पर विश्वास करने की सीख देता है। यदि आप दूसरों से उम्मीद रखोगे, तो दु:खी होगे, क्योंकि ईश्वर भी उनकी सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं। इसलिए विपत्ति के समय अपना सहारा ख़ुद बनें, क्योंकि यदि आप आत्मविश्वास खो बैठेंगे, तो निराशा रूपी अंधकूप में विलीन हो जाएंगे और अपनी मंज़िल तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे। ज़िंदगी तमाम दुश्वारियों से भरी हुई है, परंतु फिर भी इंसान ज़िंदगी और मौत में से ज़िंदगी को ही चुनता है। दु:ख में भी सुख के आगमन की उम्मीद कायम रहती है, जैसे घने काले बादलों में बिजली की कौंध मानव को सुक़ून प्रदान करती है और उसे अंधेरी सुरंग से बाहर निकालने की सामर्थ्य रखती है।

मुझे स्मरण हो रही है ओ• हेनरी• की एक लघुकथा ‘दी लास्ट लीफ़’ जो पाठ्यक्रम में भी शामिल है। इसे मानव को मृत्यु के मुख से बचाने की प्रेरक कथा कह सकते हैं। भयंकर सर्दी में एक लड़की निमोनिया की चपेट में आ गई। इस लाइलाज बीमारी में दवा ने भी असर करना बंद कर दिया। लड़की अपनी खिड़की से बाहर झांकती रहती थी और उसके मन में यह विश्वास घर कर गया कि जब तक पेड़ पर एक भी पत्ता रहेगा; उसे कुछ नहीं होगा। परंतु जिस दिन आखिरी पत्ता झड़ जाएगा; वह नहीं बचेगी। परंतु आंधी, वर्षा, तूफ़ान आने पर भी आखिरी पत्ता सही-सलामत रहा…ना गिरा; ना ही मुरझाया। बाद में पता चला एक पत्ते को किसी पेंटर ने, दीवार पर रंगों व कूची से रंग दिया था। इससे सिद्ध होता है कि उम्मीद असंभव को भी संभव बनाने की शक्ति रखती है। सो! व्यक्ति की सफलता-असफलता उसके नज़रिए पर निर्भर करती है। नज़रिया हमारे व्यक्तित्व का अहं हिस्सा होता है। हम किसी वस्तु व घटना को किस अंदाज़ से देखते हैं; उसके प्रति हमारी सोच कैसी है–पर निर्भर करती है। हमारी असफलता, नकारात्मक सोच निराशा व दु:ख का सबब बनती है। सकारात्मक सोच हमारे जीवन को उल्लास व आनंद से आप्लावित करती है और हम उस स्थिति में भयंकर आपदाओं पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं। सो! जीवन हमें सहज व सरल लगने लगता है।

‘पहले अपने मन को जीतो, फिर तुम असलियत में जीत जाओगे।’ महात्मा बुद्ध का यह संदेश आत्मविश्वास व आत्म-नियंत्रण रखने की सीख देता है, क्योंकि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।’ सो! हर आपदा का साहसपूर्वक सामना करें और मन पर अंकुश रखें। यदि आप मन से पराजय स्वीकार कर लेंगे, तो दुनिया की कोई शक्ति आपको आश्रय नहीं प्रदान कर सकती। आवश्यकता है इस तथ्य को स्वीकारने की…’हमारा कल आज से बेहतर होगा’–यह हमें जीने की प्रेरणा देता है। हम विकट से विकट परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। परंतु यदि हम नाउम्मीद हो जाते हैं, तो हमारा मनोबल टूट जाता है और हम अवसाद की स्थिति में आ जाते हैं, जिससे उबरना अत्यंत कठिन होता है। उदाहरणत: पानी में वही डूबता है, जिसे तैरना नहीं आता। ऐसा इंसान जो सदैव उधेड़बुन में खोया रहता है, वह उन्मुक्त जीवन नहीं जी सकता। उसकी ज़िंदगी ऊन के गोलों के उलझे धागों में सिमट कर रह जाती है। परंतु व्यक्ति अपनी सोच को बदल कर, अपने जीवन को आलोकित-ऊर्जस्वित कर सकता है तथा विषम परिस्थितियों में भी सुक़ून से रह सकता है।

उम्मीद, कोशिश व प्रार्थना हमारी सोच अर्थात् नज़रिए को बदल सकते हैं। सबसे पहले हमारे मन में आशा अथवा उम्मीद जाग्रत होनी चाहिए। इसके उपरांत हमें प्रयास करना चाहिए और अंत में कार्य-सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। उम्मीद सकारात्मकता का परिणाम होती है, जो हमारे अंतर्मन में यह भाव जाग्रत करती है कि ‘तुम कर सकते हो।’ तुम में साहस,शक्ति व सामर्थ्य है। इससे आत्मविश्वास दृढ़ होता है और हम पूरे जोशो-ख़रोश से जुट जाते हैं, अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर। यदि हमारी कोशिश में कमी रह जाएगी, तो हम बीच अधर लटक जाएंगे। इसलिए बीच राह से लौटने का मन भी कभी नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि असफलता ही हमें सफलता की राह दिखाती है। यदि हम अपने हृदय में ख़ुद से जीतने की इच्छा-शक्ति रखेंगे, तो ही हमें अपनी मंज़िल अर्थात् निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी। अटल बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियां ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता/ टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’ जीवन में निराशा को अपना साथी कभी नहीं बनाने का सार्थक संदेश देती हैं। हमें दु:ख से घबराना नहीं है, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ना है। जीवन में सीखने की प्रक्रिया निरंतर चलती है। इसलिए हमें दत्तात्रेय की भांति उदार होना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन में चौबीस गुरु धारण किए और छोटे से छोटे जीव से भी शिक्षा ग्रहण की। इसलिए प्रभु की रज़ा में सदैव खुश रहना चाहिए अर्थात् जो हमें परमात्मा से मिला है; उसमें संतोष रखना कारग़र है। अपने भाग्य को कोसें नहीं, बल्कि अधिक धन व मान-सम्मान पाने के लिए सत्कर्म करें। परमात्मा हमें वह देता है, जो हमारे लिए हितकर होता है। यदि वह दु:ख देता है, तो उससे उबारता भी वही है। सो! हर परिस्थिति में सुख का अनुभव करें। यदि आप घायल हो गए हैं या दुर्घटना में आपका वाहन का टूट गया, तो भी आप परेशान ना हों, बल्कि प्रभु के शुक्रगुज़ार हों कि उसने आपकी रक्षा की है। इस दुर्घटना में आपके प्राण भी तो जा सकते थे; आप अपाहिज भी हो सकते थे, परंतु आप सलामत हैं। कष्ट आता है और आकर चला जाता है। सो! प्रभु आप पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखें।

हमें विषम परिस्थितियों में अपना आपा नहीं खोना चाहिए, बल्कि शांत मन से चिंतन-मनन करना चाहिए, क्योंकि दो-तिहाई समस्याओं का समाधान स्वयं ही निकल आता है। वैसे समस्याएं हमारे मन की उपज होती हैं। मनोवैज्ञानिक भी हर आपदा में हमें अपनी सोच बदलने की सलाह देते हैं, क्योंकि जब तक हमारी सोच सकारात्मक नहीं होगी; समस्याएं बनी रहेंगी। सो! हमें समस्याओं का कारण समझना होगा और आशान्वित होना होगा कि यह समय सदा रहने वाला नहीं। समय हमें दर्द व पीड़ा के साथ जीना सिखाता है और समय के साथ सब घाव भर जाते हैं। इसलिए कहा जाता है,’टाइम इज़ ए ग्रेट हीलर।’ सो दु:खों से घबराना कैसा? जो आया है, अवश्य ही जाएगा।

हमारी सोच अथवा नज़रिया हमारे जीवन व सफलता पर प्रभाव डालता है। सो! किसी व्यक्ति के प्रति धारणा बनाने से पूर्व भिन्न दृष्टिकोण से सोचें और निर्णय करें। कलाम जी भी यही कहते हैं कि ‘दोस्त के बारे में आप जितना जानते हैं, उससे अधिक सुनकर विश्वास मत कीजिए, क्योंकि वह दिलों में दरार उत्पन्न कर देता है और उसके प्रति आपका विश्वास डगमगाने लगता है।’ सो! हर परिस्थिति में खुश रहिए और सुख की तलाश कीजिए। मुसीबतों के सिर पर पांव रखकर चलिए; वे आपके रास्ते से स्वत: हट जाएंगी। संसार में दूसरों को बदलने की अपेक्षा उनके प्रति अपनी सोच बदल लीजिए। राह के काँटों को हटाना सुगम नहीं है, परंतु चप्पल पहनना अत्यंत सुगम व कारग़र है।

सफलता और सकारात्मकता एक सिक्के के दो पहलू हैं। आप अपनी सोच व नज़रिया कभी भी नकारात्मक न होने दें। जीवन में शाश्वत सत्य को स्वीकार करें। मानव सदैव स्वस्थ नहीं रह सकता। उम्र के साथ-साथ उसे वृद्ध भी होना है। सो! रोग तो आते-जाते रहेंगे। वे सब तुम्हारे साथ सदा नहीं रहेंगे और न ही तुम्हें सदैव ज़िंदा रहना है। समस्याएं भी सदा रहने वाली नहीं हैं। उनकी पहचान कीजिए और अपनी सोच को बदलिए। उनका विविध आयामों से अवलोकन कीजिए और तीसरे विकल्प की ओर ध्यान दीजिए। सदैव चिंतन-मनन व मंथन करें। सच्चे दोस्तों के अंग-संग रहें; वे आपको सही राह दिखाएंगे। ओशो भी जीवन को उत्सव बनाने की सीख देते हैं। सो! मानव को सदैव आशावादी व प्रभु का शुक्रगुज़ार होना चाहिए तथा प्रभु में आस्था व विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि वह हम से अधिक हमारे हितों के बारे में जानता है। समय बदलता रहता है; निराश मत हों। सकारात्मक सोच रखें तथा उम्मीद का दामन थामे रखें। आत्मविश्वास व दृढ़संकल्प से आप अपनी मंज़िल पर अवश्य पहुंच जाएंगे। एमर्सन के इस कथन का उल्लेख करते हुए मैं अपनी लेखनी को विराम देना चाहूंगी ‘अच्छे विचारों पर यदि आचरण न किया जाए, तो वे अच्छे सपनों से अधिक कुछ भी नहीं हैं। मन एक चुंबक की भांति है। यदि आप आशीर्वाद के बारे में सोचेंगे; तो आशीर्वाद खिंचा चला आएगा। यदि तक़लीफ़ों के बारे में सोचेंगे, तो तकलीफ़ें खिंची चली आएंगी। सो! हमेशा अच्छे विचार रखें; सकारात्मक व आशावादी बनें।

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

संपर्क – #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com, मो• न•…8588801878

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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