(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्री अशोक श्रीपाद भांबुरे जी का अपना एक काव्य संसार है । आप मराठी एवं हिन्दी दोनों भाषाओं की विभिन्न साहित्यिक विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज साप्ताहिक स्तम्भ –अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती शृंखला की अगली कड़ी में प्रस्तुत है एक समसामयिक एवं भावप्रवण कविता “कवितेचा पक्षी”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – अशोक भांबुरे जी यांची कविता अभिव्यक्ती # 59 ☆
(कवी राज शास्त्री जी (महंत कवी मुकुंदराज शास्त्री जी) मराठी साहित्य की आलेख/निबंध एवं कविता विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। मराठी साहित्य, संस्कृत शास्त्री एवं वास्तुशास्त्र में विधिवत शिक्षण प्राप्त करने के उपरांत आप महानुभाव पंथ से विधिवत सन्यास ग्रहण कर आध्यात्मिक एवं समाज सेवा में समर्पित हैं। विगत दिनों आपका मराठी काव्य संग्रह “हे शब्द अंतरीचे” प्रकाशित हुआ है। ई-अभिव्यक्ति इसी शीर्षक से आपकी रचनाओं का साप्ताहिक स्तम्भ आज से प्रारम्भ कर रहा है। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “कोरोना काळातील संवेदना…”)
संक्षिप्त परिचय: कथा, कविता,कादंबरी, लोकसाहित्य,सामाजिक,वैचारिक लेख,संपादकीय,समीक्षणात्मक,संपादन – संशोधन,आत्मकथन,माहितीपर,बालसाहित्य, कुमार साहित्य वगैरे माध्यमातून विपुल लेखन। एकूण 61 पुस्तके प्रकाशित
सदर लेखन – केसरी, लोकमत, जनस्वास्थ्य, श्राविका,रानपाखरं, रोहिणी, ऋग्वेद वगैरेमधून सहा महिने सदर लेखन
सहसंपादक – प्रगती आणि जिनविजय,तीर्थंकर सल्लागार – मासिक इंद्रधनुष्य
अनेक साहित्य संमेलनांमधून कथाकथन, कवितावाचन,संमेलन अध्यक्ष म्हणूनही अनेक वेळा सहभाग
आकाशवाणी सांगली,कोल्हापूर, सोलापूर, औरंगाबाद कथा, कविता वाचन. कौटुंबिक श्रुतिका लेखन
पुरस्कार
राज्य पुरस्कार – डॉलीची धमाल, शांती: तू जिंकलीस, निर्भया लढते आहे, यशवंतराव चव्हाण मुक्त विद्यापीठ नाशिक – बाबुराव बागूल पुरस्कार, महाराष्ट्र साहित्य परिषद पुणे – कुसुमाग्रज पुरस्कार, याशिवाय इतर महत्वाचे 42 पुरस्कार
विशेष समावेश-
कर्नाटक राज्य दहावी पाठ्यपुस्तकांमध्ये ‘सत्कार ‘कथेचा समावेश, महाराष्ट्र राज्य बारावी पाठ्यपुस्तकांमध्ये ‘स्पर्श’, कथेचा समावेश, डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर विद्यापीठ औरंगाबाद बीए भाग एक ‘प्रसाद’ कथेचा समावेश, महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड इयत्ता पाचवी लोअर मराठी ‘कोणापासून काय घ्यावे’ समावेश, मुंबई विद्यापीठ भाग-2 ‘जसं घडलं तसं’या आत्मकथनाचा अभ्यासक्रमात समावेश, महाराष्ट्र राज्य अकरावी पाठ्यपुस्तकांमध्ये ‘पैंजण ‘कवितेचा समावेश, कविता आणि कादंबरीवर दोन प्राध्यापकांनी एम फिल केले आहे.
‘जसं घडलं तसं’ या आत्मकथनाचा कानडी अनुवाद प्रकाशित
(श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी । अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित । दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित । एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित। समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताओं का प्रसारण। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त । विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर सेवाएं प्रदत्त । हाल ही में काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित । इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है ।आज प्रस्तुत है उनकी एक भावप्रवण कविता “बोचरे शब्द“.)