हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक साहित्य # 229 ☆ जन्माष्टमी विशेष ☆ नाटक – कालिका का मदमर्दन… ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’
(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है शिक्षक दिवस पर एक विशेष कविता - प्रणाम गुरू जी !)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 229 ☆
जन्माष्टमी विशेष ☆ नाटक - कालिका का मदमर्दन...
कालिका का मदमर्दन... नदियो में जल प्रदूषण के विरुद्ध पौराणिक संदेश
नांदी पाठ ... नेपथ्य से
पुरुष स्वर .. दुनिया की अधिकांश सभ्यतायें नदी तटों पर विकसित हुईं हैं . प्रायः बड़े शहर आज भी किसी न किसी नदी या जल स्त्रोत के तट पर ही स्थित हैं . औद्योगिकीकरण का दुष्परिणाम यह हुआ है कि...