डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 103 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे – चाँदनी ☆
छिटक रही है चाँदनी, हैं पूनम की रात।
यहाँ वहाँ कहती फिरे, अपने दिल की बात।।
सजन गए परदेश को, बीते बारह मास।
तुम बिन मन लगता नहीं, कब आओगे पास।।
शरद आगमन हो गया, खिली चाँदनी रात।
ठंडक दस्तक दे रही, चली गई बरसात।।
शरद पूर्णिमा आज है, देती है सौगात।
कर लो प्रभु से वंदना, कह लो अपनी बात।।
शीतल आँखों से बहा, है निर्झर सा नीर।
मेरे मन को हो रही, देखो कैसी पीर।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈