हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संजय उवाच # 281 – उड़ गई गौरैया… ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको  पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।”

हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)

☆  संजय उवाच # 281 ☆ उड़ गई गौरैया… ?

तोता उड़, मैना उड़, चिड़िया उड़.., सबको याद तो होगा बचपन का यह खेल। विडंबना देखिए कि खेल में गौरैया उड़ाने वाले मनुष्य ने खेल-खेल में चिड़िया को अनेक स्थानों से हमेशा के लिए उड़ा दिया।

आज विश्व गौरैया दिवस है। अपना अस्तित्व बचाने के लिए जूझती गौरैया पर औपचारिकतावश विमर्श नहीं अपितु  यथासंभव जानकारी एवं जागृति इस आलेख का ध्येय है।

पर्यावरणविदों  के अनुसार भारत में गोरैया की 5 प्रजातियाँ मिलती हैं। एक समय था कि गौरैया हर आँगन, हर पेड़, हर खेत में बसेरा किये मिलती थी। पिछले तीन दशकों में विशेषकर महानगरों में गौरैया की संख्या में 70% से 80% तक कमी आई है। महानगरों में  बहुमंज़िला गगनचुंबी इमारतों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इन इमारतों की प्रति स्क्वेयर फीट की ऊँची कीमतों ने औसत 14 सेंटीमीटर की चिड़िया के लिए अपने पंजे टिकाने की जगह भी नहीं छोड़ी।

गौरैया फसलों पर लगने वाले कीड़ों को खाती हैं। अब खेती की ज़मीन बेतहाशा बिक रही है। जहाँ थोड़ी-बहुत बची है, वहाँ फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव हो रहा है।  घास का बीज चिड़िया का प्रिय खाद्य रहा है। घास भी हमने कृत्रिम कर डाली। छोटे झाड़ीनुमा पेड़ चिड़िया के बसेरे थे, जो हमने काट दिए। सघन वृक्ष काटकर डेकोरेटिव पेड़ खड़े किए। हमने केवल अपने लिए उपयोगी या अनुपयोगी का विचार किया। हमारी स्वार्थांधता ने प्रकृति के अन्य घटकों को दरकिनार कर दिया।

सुपरमार्केट और मॉल के चलते पंसारी की दुकानों में भारी कमी आई है। खुला अनाज नहीं बिकने के कारण चिड़िया को दाना मिलना दूभर हो गया। चिड़िया जिये तो कैसे जिये? और फिर मोबाइल टॉवर आ गये। इन टॉवरों के चलते दिशा खोजने की गौरैया की प्रणाली प्रभावित होने लगी। साथ ही उनकी प्रजनन क्षमता पर भी घातक प्रभाव पड़ा। अधिक तापमान, प्रदूषण, वृक्षों की कटाई और मोबाइल टॉवर के विकिरण से गौरैया का सर्वनाश हो गया।

कदम-कदम पर दिखनेवाली गौरैया के विलुप्त होने के संकट का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अनेक महानगरों में इनकी संख्या दो अंकों तक सीमित रह गई है।

हमारे पारम्परिक जीवनदर्शन की उपेक्षा ने भी इस संकट को बढ़ाया है।  हमारे पूर्वजों की रसोई में गाय, और कुत्ते की रोटी अनिवार्य रूप से बनती थी। हर आँगन में पंछियों के लिए दाना उपलब्ध था। हमने उनका भोजन छीना। हमने कुआँ, तालाब सब पाट कर अपने-अपने घर में नल ले लिये पर चिड़िया और सभी पंछियों के लिए पानी की व्यवस्था करना ज़रूरी नहीं समझा।

घर के घर होने की एक अनिवार्य शर्त है गौरैया का होना। गौरैया का होना अर्थात पंख का होना, परवाज़ का होना। गौरैया का होना जीवन के साज का होना, जीवन की आवाज़ का होना।

पंख, परवाज़, साज, आवाज़ के लिए सबका साथ वांछनीय है। अनुरोध है कि साल भर चिड़ियों के लिए अपनी बालकनी या टेरेस पर दाना-पानी की व्यवस्था करें। अपने परिसर में चिड़ियों के घोंसला बना सकने लायक वातावरण बनाएँ। यदि पौधारोपण संभव है तो भारतीय प्रजाति के पौधे लगाएँ।

स्मरण रहे कि गौरैया को उड़ाया हमने है तो उसे लौटा लाने का दायित्व भी हमारा ही है।

© संजय भारद्वाज 

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆ 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 15 मार्च से आपदां अपहर्तारं साधना आरम्भ हो चुकी है 💥  

🕉️ प्रतिदिन श्रीरामरक्षास्तोत्रम्, श्रीराम स्तुति, आत्मपरिष्कार मूल्याकंन एवं ध्यानसाधना कर साधना सम्पन्न करें 🕉️

अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 228 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of social media # 228 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 228) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 228 ?

☆☆☆☆☆

क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज

हाल हमारा पूछ कर…

हाल  हमारा  वही  है

जो तुमने बना रखा है..

 ☆☆

Why d’you embarrass me everyday

By inquiring about my condition…

My condition  is  the   same only

As to what you have made me of

☆☆☆☆☆

सब्र तहजीब है…

मोहब्बत की साहब

और तुम समझते हो

कि बेजुबां  हैं  हम…

 ☆☆

O’ dear! Reticence is an

etiquette of endearment

And you think that

I  am  speechless …

 ☆☆☆☆☆

न जाहिर हुई तुमसे…

और न ही बयाँ हुई हमसे

बस सुलझी हुई आँखो में

उलझी रही मोहब्बत…

 ☆☆

Neither it was expressed by you

Nor was it ever revealed by me

Love just remained  entangled

Explicitly in the unravelled eyes!

 ☆☆☆☆☆

एहसास सच्चे हों

तो वही काफी है

यकीन तो लोग

सच पर भी नहीं करते…

☆☆

If the feelings are true

That itself  is enough

People don’t even

Believe in  the truth…!

☆☆☆☆☆

~ Pravin Raghuvanshi

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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English Literature – Poetry ☆ – ‘Shadows of Yesterday…’ ☆ Dr. Anshu Sharma ☆

Dr. Anshu Sharma

(Dr Anshu Sharma is a bilingual poet, writes in Hindi as well as English, in addition she’s a medical graduate & postgraduate from Delhi university and pursued a successful career. She worked as a public health officer and an avid Covid warrior.

Her debut poetry collection in Hindi ‘Antarman ke Samvaad‘ was published in 2020. Her poems are focused on various social, environmental issues and nature, have been published in Anthologies and in Magazines.)

☆ ~ ‘Shadows of Yesterday…’ ~? ☆ Dr. Anshu Sharma ☆

(The 2nd Prize winning entry in the Literary Warriors Group Contest. The subject of the contest was “परछाइयां” /Shadows”.)

The shadows stretch from days gone by,

Whispers of echoes, a hollow sigh.

They creep along the silent walls,

A past that haunts, a voice that calls.

*

They walk ahead, I follow behind,

A silent echo, a shape undefined.

Born from light, yet draped in the night,

A fleeting form, never truly mine.

*

They tell of scars, of battles lost,

Of bridges burned, of heavy cost.

They weigh like stones upon my chest,

A sleepless mind, a soul distressed.

*

Yet shadows form, where light still glows,

Beyond the dark, the sunrise grows.

The past may call, but it won’t define,

A fleeting ghost, no longer mine.

*

I rise again, though burdened still,

With a weary heart but an iron will.

For every shadow cast in time,

Proves there’s a light my soul will shine.

*

I will not bow, I will not break.

The dawn is mine, my path to make.

For even when the night is long,

I walk with hope, I sing my song.

~ Dr. Anshu Sharma

© Dr. Anshu Sharma

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ अभी अभी # 635 ⇒ ओ रंगरेज ☆ श्री प्रदीप शर्मा ☆

श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी कविता – “ओ रंगरेज।)

?अभी अभी # 635 ⇒  ओ रंगरेज ? श्री प्रदीप शर्मा  ?

ओ रंगरेज

इस होली पर

तू रंग दे मेरी जेब ।

 

सुना है,

भरी जेब

रंग लाती है

रौब लाती है

और कपड़ों के

लिए वॉर्डरोब

लाती है ।।

 

मेरे देश में

सबकी सदा

भरी रहे जेब ,

रंगत हो चेहरे पर

संगत हो संतों की

सज्जन पुरुषों की ।

 

तू ही मसीहा

तू ही रहबर

तेरे किस्से हैरतअंगेज

ना गरीबी हो

ना मुफलिसी हो

सब ओर हो

अमन चैन ,

ना हो चेहरा उदास

भरी भरी रहे जेब

ओ रंगरेज

तू भर दे मेरी जेब ।।

♥ ♥ ♥ ♥ ♥

© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 227 – अपराजिता ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – अपराजिता)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 227 ☆

☆ अपराजिता ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा जग-जयी मैं

.

जड़ माटी में जमाकर

हुईं अंकुरित-पल्लवित।

धूप-छाँव हँसकर सहे-

हँस भव-बाधा की विजित।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा निर्भयी  मैं

श्वेत-नील छवि मुग्धकर

सुख देती; दुख दग्ध कर।

मुस्कातीं मन मोहतीं-  

बाँहों में आबद्ध कर।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा तन्मयी मैं

हरि-भरी आशा-लता

हर लेती हर आपदा।

धनी न मुझ सा अन्य है-

तुम मम अक्षय संपदा।

ओ मेरी अपराजिता! तुमको पा सुहृदयी मैं

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

 

१५.३. २०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (24 मार्च से 30 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (24 मार्च से 30 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम

तुलसी नर का क्या बड़ा, समय बड़ा बलवान

भीला लूंटी गोपियां, वही अर्जुन वहां वाण।

हम सभी जानते हैं कि समय अद्भुत रूप से बलवान होता है और आपका समय इस सप्ताह कितना बलवान रहेगा यह बताने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आपके सम्मुख उपस्थित हूं। आज हम आपसे 24 मार्च से 30 मार्च 2025 तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करेंगे।

इस पूरे सप्ताह सूर्य, वक्री बुध, वक्री शुक्र और वक्री राहु मीन राशि में गोचर करेंगे। मंगल मिथुन राशि में रहेगा। इसी प्रकार गुरु वृष राशि में भ्रमण करेंगे।

आई अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह भाग्य भाव को मंगल मित्र दृष्टि से देख रहा है अतः भाग्य आपका साथ देगा। इसी मंगल के कारण कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। आपके माता-पिता जी का और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धीरे-धीरे कर पैसा भी आएगा। कचहरी के कार्यों में आपको अत्यंत सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय कार्यों को करने हेतु अनुकूल है 29 और 30 मार्च को आपको सावधान रहना चाहिए इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मंदिर पर जाकर गरीब लोगों के बीच में चावल का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका आपके पिताजी का और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। चौथे भाव पर शनि की दृष्टि होने के कारण माता जी को कुछ परेशानी हो सकती है। एकादश भाव में बैठे सूर्य के कारण इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। कार्यालय में इस सप्ताह आपकी स्थिति ठीक रहेगी। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर से लेकर 27 और 28 तारीख कार्यों को करने हेतु उत्साहवर्धक है। बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके माताजी पिताजी और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। दशम भाव का सूर्य कार्यालय में आपकी इज्जत को बढ़ाएगा। नवम भाव के मजबूत होने के कारण आपको भाग्य से थोड़ी बहुत मदद मिल सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल हैं। 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय सावधान रहने का है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल का दान करें तथा मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर में कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका, आपके माता जी और पिताजी का तथा आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह पंचम भाव पर गुरु की दृष्टि के कारण आपको अपने संतान से सहयोग मिल सकता है। नवम भाव के सूर्य के कारण आपको अपने भाग्य से भी मदद मिलेगी। शत्रु क्षेत्र में मंगल के होने के कारण कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। 24, 25 और 26 की दोपहर तक का समय लाभदायक है। 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख को आपको सचेत रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। दुर्घटनाओं से आप बच सकते हैं परंतु उनसे आपको सावधान रहना चाहिए। शत्रु क्षेत्री मंगल के कारण आपको धन लाभ में कमी आएगी। परंतु इसी के कारण आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख कार्यों को करने के लिए अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सावधान रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। सप्तम भाव में चार ग्रहों के होने के कारण जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। इस सप्ताह आपके शत्रु शांत रहेंगे परंतु उनसे आपको सावधान भी रहना चाहिए। भाग्य से सामान्य मदद मिलेगी। आपको ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामले में सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च शुभ है। 26 के दोपहर के बाद से तथा 27 और 28 मार्च को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रति दिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके पूरे परिवार का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। इस सप्ताह आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा। भाग्य भाव में कमजोर मंगल के कारण भाग्य के सहारे आपको नहीं रहना चाहिए। अपने शत्रुओं से आपको सतर्क रहना चाहिए। संतान से आपके सहयोग प्राप्त हो सकता है। 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय फल दायक है। 29 और 30 मार्च को आपके कार्यों को सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पंचम भाव में बैठे सूर्य के कारण धन आने की उम्मीद है। संतान भाव में बैठे चार ग्रहों के कारण इस सप्ताह आपको अपने संतान का ध्यान रखना चाहिए। छात्रों की पढ़ाई में थोड़ी बहुत बाधाएं आयेंगी परंतु अगर वे सावधान रहेंगे तो पढ़ाई अच्छी चलेगी। भाई बहनों से संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख लाभप्रद है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। जनता में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। इस सप्ताह मंगल अपने शत्रु बुध के घर में बैठा हुआ है जिसके कारण कार्यालय में आपको सावधान रहना चाहिए। धन भाव पर मंगल की दृष्टि होने के कारण इस सप्ताह आपके पास धन आने की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 तारीख कार्यों को करने हेतु लाभकारी हैं। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपका, आपके माता जी और पिताजी का तथा आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य पिछले सप्ताह जैसा ही रहेगा। आपके संतान को पेट की थोड़ी समस्या हो सकती है। छात्रों की पढ़ाई ठीक-ठाक चलेगी। लंबी यात्रा का योग बन सकता है। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि भाग्य भाव पर वक्री ग्रहों की दृष्टि है। सामान्य धन आने की उम्मीद की जा सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 24, 25 और 26 के दोपहर तक का समय कार्यों को करने हेतु उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का योग है। धान भाव में चार ग्रहों की होने के कारण धन के मामले में आपको सावधान भी रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके संतान को कष्ट हो सकता है। कचहरी के कार्यों में आपको सावधान रहना चाहिए। दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिए। आपके जीवनसाथी के कमर और गर्दन में दर्द हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख कार्यों को करने के लिए अनुकूल है। 24, 25 और 26 के दोपहर तक आपको सावधान होकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र की तीन माला का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको अपने भाग्य से मदद मिल सकती है। अगर आप परिश्रम करेंगे तो आपको अपने कार्यों को करने में आसानी रहेगी। आपके लग्न में तीन बक्री ग्रह बैठे हुए हैं, जिसके कारण आपको स्वास्थ्य की परेशानी हो सकती है। परंतु मेरे विचार से केवल मानसिक परेशानी ही होगी। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। आपकी प्रतिष्ठा में थोड़ी कमी हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 मार्च प्रतिष्ठा दायक हैं। 26 के दोपहर के बाद से 27 और 28 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें तथा साथ में रुद्राष्टक का पाठ भी करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ स्वातंत्र्याच्या वेदी… ☆ सुश्री उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे ☆

सौ. उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे

☆ स्वातंत्र्याच्या वेदी ☆ सुश्री उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे ☆

स्वातंत्र्याच्या वेदी वरती,

यज्ञाची सुरुवात जाहली!

यज्ञामध्ये पहिली समिधा,

वासुदेवानी अर्पियली!

*

ज्वाला तेव्हा पेटून उठली,

पारतंत्र्य दूर करण्या झणी!

घेतला वसा स्वातंत्र्याचा,

भगतसिंग ने तरूण पणी!

*

पेटून उठले एकाच रणी,

साथ सुखदेव, राजगुरूची!

धाडस त्यांचे अपूर्व होते,

गाठ घेतली ती मृत्यूची!

*

निर्भयाचे प्रतीक आहे,

कथा त्यांच्या साहसाची!

आठवणीने व्याकुळ होतो,

परिसीमा होती त्यागाची!

*

मनास होती तीव्र वेदना,

आठवून त्यांचा असीम त्याग!

एक दिवसाच्या आठवणीने,

होते का मनीची शांत आग!

*

वंदन करावे त्यांच्या स्मृतीला,

थोर देशभक्त जन्मले भारती!

कधी न विसरू त्यांचा त्याग,

गाऊ आपण त्यांची आरती!

© सुश्री उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ सु सं वा द! ☆ श्री प्रमोद वामन वर्तक ☆

श्री प्रमोद वामन वर्तक

? कवितेचा उत्सव ? 

😁 सु सं वा द! 😅 श्री प्रमो वामन वर्तक ⭐ 

असू नये गोष्टी वेल्हाळ

लावू नये जास्त पाल्हाळ,

सत्य वाचे सदा वदावे,

जेव्हढ्यास तेव्हढे बोलावे!

*

घालून डोळ्यात डोळे

संवाद आपण करावा,

खोटे न बोलती डोळे

भाव मनीचा पोचवावा!

*

संवाद साधतांना सदा

नका करू हातवारे,

शब्द मुखातुनी मधाळावे

न करता अरे ला कारे!

*

स्वर पट्टी सांभाळून

बोलू नये उगा तारस्वरे,

पकडता संवादाचा धागा

शब्द भिडती ह्रदयी खरे!

*

नियम साधे हे संवादाचे

पाळा करतांना संवाद,

होता ध्येय साध्य मनीचे

मिटून जाती फुकाचे वाद!

मिटून जाती फुकाचे वाद!

© श्री प्रमोद वामन वर्तक

१०-०३-२०२५

संपर्क – दोस्ती इम्पिरिया, ग्रेशिया A 702, मानपाडा, ठाणे (प.) – 400610 

मो – 9892561086 ई-मेल – [email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – विविधा ☆ “वाचक…” ☆ श्री जगदीश काबरे ☆

श्री जगदीश काबरे

☆ “वाचक…☆ श्री जगदीश काबरे ☆

वाचक तीन प्रकारचे असतात.

पहिल्या प्रकारचे वाचक हे एखादा विचार वाचला की तात्काळ व्यक्त होणारे म्हणजेच प्रतिक्रिया देणारे असतात.

दुसऱ्या प्रकारचे वाचक एखादा विचार वाचल्यावर त्यावर चिंतन मनन करून त्या विचाराला योग्य शब्दात प्रतिसाद देणारे असतात.

आणि तिसऱ्या प्रकारची माणसे विचार वाचल्यावर कुठल्याही प्रकारचा प्रतिसाद देत नाहीत. पण स्वतः मात्र त्या विचारावर विचार करत असतातच. अशा वाचकांना ‘सायलेंट रीडर्स’ असे म्हणतात. कुठल्याही ग्रुपमध्ये अशा सायलेंट रीडर्सची संख्या मोठ्या प्रमाणात असते.

तेव्हा आपण जे काही विचार मांडतो त्या विचारावर इतरांची व्यक्त व्हायलाच पाहिजे अशी अपेक्षा करणेच मुळात चूक आहे. त्यासाठी तो माणूस विवेकी नाही, त्याला बोलायची भीती वाटते, अशा पद्धतीचे आपले मत मांडणे हेच तर खरे अविवेकीपणाचे लक्षण म्हटले पाहिजे.

आपण जे विचार मांडतो ते दोन गोष्टींसाठी… एक तर आपल्याला आपले मन मोकळे करायचे असते म्हणून आणि दुसरं म्हणजे तो विचार मांडून इतरांकडून आपल्याला काही नवीन ज्ञान मिळवायचे असते म्हणून.

मग अशा वेळेला आपल्या विचारावर कोण किती प्रतिसाद देतोय हा मुद्दा अत्यंत गौण आहे. आपण आपले विचार मांडत राहावे, वाचणारे वाचत राहतील, प्रतिसाद देणारे प्रतिसाद देत राहतील, प्रतिक्रिया देणारे प्रतिक्रिया देतील आणि सायलेंट रीडर्स तो विचार वाचून त्यांना पटला असेल तर स्वतःमध्ये मुरवण्याचा प्रयत्न करत रहातील अन्यथा वाचून सोडून देतील. या पलीकडे आपला विचार मांडल्यानंतर त्यावर कोणी कसे व्यक्त व्हावे यावर आपला कुठलाही हक्क राहत नाही. म्हणून आपण कुठलीही अपेक्षा न ठेवता कोणालाही दोष न देता शांतपणे आपले विचार मांडत राहावे हेच खरे.

© श्री जगदीश काबरे

मो ९९२०१९७६८०

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – जीवनरंग ☆ अन्न तारी.. अन् अन्न मारीही… — भाग – १ ☆ डॉ. ज्योती गोडबोले ☆

डॉ. ज्योती गोडबोले 

? जीवनरंग ❤️

☆ अन्न तारी.. अन् अन्न मारीही… — भाग – १ ☆ डॉ. ज्योती गोडबोले 

कालच अगदी उत्साहाने जयाताई अनुराधाच्या दवाखान्यात शिरल्या. बरोबर त्यांची मुलगी निरुपमा होती.

“बाई हे घ्या पेढे. आमची निरु आता एमबीए झाली बरं. तिच्या इच्छेप्रमाणे केलं पूर्ण हो तिने एमबीए. आता मनासारखी नोकरी मिळाली की गंगेत घोडं न्हायलं एकदाचं. ” जयाताई हसून सांगत होत्या.

जयाताई अनुराधाच्या फार पूर्वी पासूनच्या पेशंट. त्या, त्यांच्या मुली, सगळं कुटुंब येत असे डॉ अनुराधाकडे. ती त्यांची फॅमिली डॉक्टरच होती.

“ वावा. निरुपमा, खूप खूप अभिनंदन हं. ” पेढा तोंडात टाकत अनुराधाने निरुपमाचं कौतुक केलं.

“ थँक्स ताई. मला बहुतेक मिळेल नोकरी. आलेत काही ठिकाणाहून इंटरव्ह्यू साठी कॉल. ”

…. निरुपमा जयाताईंची मोठी मुलगी. दिसायला छान, हुशार आणि अगदी साधी मुलगी.

सहाच महिन्यांनी जयाताई पुन्हा दवाखान्यात आल्या.

“ डॉक्टरीणबाई, आमच्या निरुचं भाग्यच उजळलं हो. अहो, तिच्या कंपनीतल्याच केतन मराठेला ही फार आवडली आणि मागणीच घातली बघा त्याने. नाव ठेवायला जागा नाही हो या स्थळात. बघा ना, देवाच्या मनात असलं की किती सरळ होतात ना गोष्टी. ”

जयाताई अगदी आनंदून गेल्या अनुराधालाही खूप आनंद झाला. निरुपमा होतीच गरीब स्वभावाची आणि समंजस शांत. कोणतीही तोशीस न पडता खरोखरच दारात जावई चालत आला आणि निरुपमाचं भाग्यच उजळलं. सोन्याच्या पावलांनी निरुपमाने केतनच्या घरात पाऊल ठेवलं.

मराठ्यांच्या घरी सगळे लोक अगदी सडसडीत. फिटनेस फ्रीक. अगदी निरुच्या सासूबाई सुद्धा रोज योगासनाच्या क्लासला जायच्या. सासरे टेनिस खेळायला जायचे. केतनही उत्तम टेनिसपटू होता. त्या मानाने निरुपमा चांगली भरलेली होती पण सुरेख होती तिची फिगर.

…. निरुपमा अगदी रुळून गेली सासरी. सासरी माहेरी लाड करून घेत आणि वर्षसण, दिवाळसण करत मस्त मजेत होती निरु केतनची जोडी. निरुपमाची नोकरीही चालू होती आणि सासरी नोकरचाकराना काही कमी नव्हतं.

मध्यंतरी डॉ अनुराधा त्यांच्या मुलाकडे अमेरिकेला चार महिने गेल्या होत्या. लेकाकडे जाऊन, जमेल तेवढी अमेरिका बघून अनुराधा चार महिन्यांनी दवाखान्यात आल्या.

दवाखाना उघडा दिसताच त्यांचे नेहमीचे पेशंट्स आलेच भेटायला. अनुराधाने आठवणीने आणलेली तिकडची चॉकलेट्स येतील त्यांच्या हातावर ठेवली. तिचा नेहमीचा दवाखाना सुरू झाला. जवळजवळ सहा महिन्यांनी निरुपमा त्यांना भेटायला आली. तिला बघून आश्चर्यचकित झाल्या अनुराधा.

…. चवळीच्या शेंगेसारखी सडसडीत निरु केवढी जाड म्हणजे लठ्ठच झालेली दिसत होती. मान रुतली होती जणू खांद्यात.

निरुपमाने खुर्चीत बसकण मारली. , ” डॉक्टरबाई, हादरलात ना मला बघून? अहो गेल्या वर्षभरात माझं अतिशय वजन वाढलंय. काय करू काही समजत नाहीये. ब्लड रिपोर्ट्स सगळे नॉर्मल आहेत. मी डाएट केलं, जिम लावला, टेकडी चढायला जाते. थोडं कमी होतं की पुन्हा आहे तिथेच येतो काटा. ” अगदी निराश होऊन निरुपमा सांगत होती. “ आता मात्र मला काळजीच वाटायला लागलीय माझी. या लठ्ठपणामुळे माझा पिरियड वेळेवर येत नाही. अनेक समस्या उभ्या राहिल्या आहेत. काय करू मी? ” निरुपमाच्या डोळ्यात पाणी होतं.

अनुराधाने नीट चौकशी केली. निरुपमा आणि केतनची लाईफ स्टाईल याला कारणीभूत होती.

पण मुळात केतनची शरीर प्रवृत्ती लठ्ठ होण्याकडे नसल्याने त्याचे वजन काहीही खाल्ले तरी अजिबात वाढत नसे. समाजातले तीस टक्के लोक या सुदैवी गटात मोडतात. पण निरुपमाचं वजन मात्र झपाट्याने वाढलं ते वाढतच गेलं.

केतन तिला बजावू लागला. ” निरु, जरा मनावर घे आता डाएट करायचं. तुला बरोबर घेऊन जायची आता लाज वाटायला लागलीय मला. “

…. निरुपमाला हे ऐकून अतिशय राग यायचा आणि मग त्याचं भांडणात रूपांतर व्हायचं. असं झालं की निरुपमा डबे उघडून ते सगळं फ्रस्ट्रेशन खाण्यावर काढायची. परिणामी महिन्याला आणखी दोन किलो वजनाची भर.

…. एक दिवस तिची जिवलग मैत्रीण तारा तिच्या घरी भेटायला आली. तारा तिचं लग्न झाल्यावर अमेरिकेला कायमचीच गेली होती. ताराने निरुला बघितलं आणि म्हणाली, ” अग काय हे. दुप्पट वजन वाढलं आहे तुझं. किती अफाट लठ्ठ आणि बेढब झाली आहेस निरु. कुठे पूर्वीची सुंदरी निरु आणि आत्ताची वारेमाप अस्ताव्यस्त वाढलेली निरु. ”

निरुपमा रडायला लागली. “ तूच शिल्लक होतीस आता हे म्हणायची. काय करू मी? ”

तारा म्हणाली. “ मी करते तसं करशील का? महिन्यातले आठ दिवस फक्त वॉटर डाएट करायचं. नंतर सुद्धा फक्त एकदा दुपारी जेवायचं. रात्री एक फळ खायचं. बघ करून.”

निरुपमाला हे सोपे वाटले. तिने निश्चय केला. त्या पूर्ण आठ दिवसात ती फक्त गरम पाणी पीत राहिली.

वजनाचा काटा चक्क तीन किलोने खाली आलेला दिसला. निरुला आनंदाश्चर्याचा धक्काच बसला.

अरे. आठ दिवस आपण फक्त पाणी पिऊन राहू शकतो? म्हणजे निश्चय केला तर हे सहज शक्य आहे तर.

निरुपमाने आता मनावर कंट्रोल करायचं ठरवलं. त्या दिवसापासून ती फक्त गरम पाणी पिऊन रहायला लागली.

सगळे जेवायला बसले की निरुपमा म्हणायची ‘ मला आत्ता भूक नाहीये. मी नंतर जेवते. ’

निरुपमाने रात्रीही जेवण सोडलं. त्या महिन्यात तिचं एकंदर सात किलो वजन कमी झालं.

केतनने कौतुक केलं. “ निरु, छान दिसायला लागलीस ग. काय करतेस हल्ली? नीट जेवतेस ना? अति डाएट करू नकोस हं. वाईट परिणाम होतात त्याचे. ”

“ नाही रे. मी अगदी नीट जेवते. तू काळजी करू नकोस. ” निरुपमाने केतनला खोटं सांगितलं.

एकदा सासूबाई म्हणाल्या, ”आज तू आमच्या बरोबरच जेवायला बसायचं आहेस. ये. आम्ही तुझी जेवणाच्या टेबलवर वाट बघतोय. ”

निरुपमाचा नाईलाज झाला. ती त्यांच्याबरोबर जेवायला बसली खरी. पण गेले दोन महिने तिच्या पोटात फक्त पाण्याशिवाय काहीही नव्हते. ते अन्न बघून तिला मळमळू लागलं आणि न जेवता ती उठून बाथरूम मध्ये जाऊन भडभडून ओकली. सासूबाई हे बघून अत्यंत घाबरून गेल्या. त्यांनी हा प्रकार केतनच्या कानावर घातला. केतनने निरुपमाला बळजबरीने भात खायला लावला.

“ नको रे, माझं वजन पुन्हा वाढेल “.. असं म्हणत निरुपमा बेसिन वर गेली आणि तिने तो ओकून टाकला.

आठ महिने झाले आणि 75 किलो वजन असलेली निरुपमा 50 किलो वर आली. निरुपमाला आता अन्नच नकोसे झाले. तिचं शरीर अन्न नाकारुच लागलं. केतन निरुपमाला घेऊन डॉ अनुराधांच्या डिस्पेनसरीत आला.

डॉ अनुराधा निरुला बघून हादरल्याच. खोल गेलेले डोळे, भकास चेहरा, अंगात अजिबात ताकद नाही. लटपटत होती ती चालताना. अनुराधाने केतनला बाहेर थांबायला सांगितलं.

“ निरु, आता नीट आणि सगळं खरं खरं सांग. या आठ दहा महिन्यात आरशात बघितलं आहेस का कधी? काय दशा करून घेतली आहेस अग? असा करतात का कोणी वेट लॉस? मूर्ख मुलगी. सांग बघू तू काय खातेस सकाळपासून सगळं सांग. ”

निरुपमा हसायला लागली. “ डॉक्टर, मी फक्त गरम पाणी पिते. गेले आठ महिने हेच अन्न आहे माझं. बघा. कोण म्हणेल आता मला जाड? दिसतेय ना मी पूर्वीची चवळीची शेंग?”

… अनुराधाला इतका संताप आला की या मूर्ख मुलीच्या दोन थोबाडीत ठेवून द्याव्यात. त्यांनी मुश्किलीने आपल्या रागावर ताबा ठेवला.

“ निरु, माझं ऐक. आता तू खरोखर छान दिसते आहेस. आजपासून रात्री थोडं जेवायला सुरवात कर बाळा. अगदी चार घास तुला आवडेल ते खायला लाग. मी तुला मल्टीव्हिटॅमिन्सच्या गोळ्या देते त्या घ्यायला लाग. म्हणजे तू हेल्दीही रहाशील. एक महिन्याने हिला घेऊन या केतन.”

– क्रमशः भाग पहिला 

© डॉ. ज्योती गोडबोले

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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