श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “बदलाव की गुंजाइश कम है”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 174 ☆

☆ # “बदलाव की गुंजाइश कम है” # ☆ 

जीवन है खुशीयों से भरा

तु जितना चाहे जी ले

सागर है लबालब भरा

तु जितना चाहे पी ले

*

ये गुलशन, ये बहारें

तुझे बुला रहे है

ये दिलकश नजारे

तुझे बुला रहे है

ये चांद सितारे

तुझे बुला रहे है

इन लम्हों को

तु जितना चाहे

शब्दों में सी ले

जीवन है खुशियों से भरा

तु जितना चाहे जी ले

*

यह सुबह की

मदहोश करती हुई पुरवाई

यह सबा

उसको छू कर हो आई

यह भ्रम है कि 

उसने ली हो अंगड़ाई

इन प्रणय की फुहारों से

तु चाहे जितने वस्त्र कर गीले

जीवन खुशियों से भरा है

तु चाहे जितना जी ले

*

यहां गुमनाम सी जी रही है

बड़ी-बड़ी हस्तियां

नाविक डुबो रहे है

सागर में कश्तियां

बुलडोजर से मिटा  रहे है

गरिबों की बस्तियां

नामुमकिन है

तु चाहे जितना जोर लगा दें

बचाने यह टीले

जीवन है खुशियों से भरा

तु जितना चाहे जी ले

*

अनजाने है लोग

यह अनजाना शहर है

तेरे हुनर की

यहां किसको कदर है

तेरी रचनाओं में तो

व्यवस्था से गदर है

बदलाव की गुंजाइश कम है

तु चाहे जितना फहरा दे

यहां ये ध्वज नीले

जीवन है खुशियों से भरा

तु चाहे जितना जी ले

सागर है लबालब भरा

तु चाहे जितना पी ले /

*

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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