डॉ. ऋचा शर्मा

(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में  अवश्य मिली है  किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में  प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है स्त्री विमर्श पर आधारित एक विचारणीय लघुकथा सलमा बनाम सोन चिरैया। डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को सादर नमन।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद  # 137 ☆

☆ लघुकथा – सलमा बनाम सोन चिरैया ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆

सलमा बहुत हँसती थी, इतना कि चेहरे पर हमेशा ऐसी खिलखिलाहट जो उसकी सूनी आँखों पर नजर ही ना पड़ने दे। गद्देदार सोफों, कीमती कालीन और महंगे पर्दों से सजा हुआ आलीशान घर।तीन मंजिला विशाल कोठी, फाईव स्टार होटल जैसे कमरे। हँसती हुई वह हर कमरा दिखा रही थी –‘ये बड़े बेटे साहिल का कमरा है, न्यूयार्क में है, गए हुए आठ साल हो गए, अब आना नहीं चाहता यहाँ।’ 

फिर खिल-खिल हँसी — ‘इसे तो पहचान गई होगी तुम —सादिक का गिटार, बचपन में तुम्हें कितने गाने सुनाता था इस पर, उसी का कमरा है यह, वह बेंगलुरु में है- कई महीने हो गए उसे यहाँ आए हुए। मैं ही गई थी उसके पास।’ वह आगे बढ़ी – ‘यह गेस्ट रूम है और यह  हमारा बेडरूम —-। ‘पति ?’ – — अरे तुम्हें तो पता ही है सुबह नौ बजे निकलकर रात में दस बजे ही वह घर लौटते हैं’ – वही हँसी, खिलखिलाहट, आँखें छिप गईं।

‘और यह कमरा मेरी प्यारी सोन चिरैया का’– सोने -सा चमकदार पिंजरा कमरे में बीचोंबीच लटक रहा था, जगह – जगह छोटे झूले लगे थे | सोन चिरैया इधर-उधर उड़ती, झूलती, दाने चुगती और पिंजरे में जा बैठती। 

सलमा बोली – ‘दो थीं एक मर गई। कमरे का दरवाजा खुला हो तब भी वह उड़कर बाहर नहीं जाती।यह अकेली कब तक जिएगी पता नहीं ?’

इस बार उसकी आँखें बोली  थीं।

© डॉ. ऋचा शर्मा

प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001

संपर्क – 122/1 अ, सुखकर्ता कॉलोनी, (रेलवे ब्रिज के पास) कायनेटिक चौक, अहमदनगर (महा.) – 414005

e-mail – [email protected]  मोबाईल – 09370288414.

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments