श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

(ई-अभिव्यक्ति में श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’ जी का स्वागत। पूर्व शिक्षिका – नेवी चिल्ड्रन स्कूल। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन। विधा –  गीत,कविता, लघु कथाएं, कहानी,  संस्मरण,  आलेख, संवाद, नाटक, निबंध आदि। भाषा ज्ञान – हिंदी,अंग्रेजी, संस्कृत। साहित्यिक सेवा हेतु। कई प्रादेशिक एवं राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा अलंकृत / सम्मानित। ई-पत्रिका/ साझा संकलन/विभिन्न अखबारों /पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। पुस्तक – (1)उमा की काव्यांजली (काव्य संग्रह) (2) उड़ान (लघुकथा संग्रह), आहुति (ई पत्रिका)। शहर समता अखबार प्रयागराज की महिला विचार मंच की मध्य प्रदेश अध्यक्ष। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा – दलदल।)

☆ लघुकथा – दलदल ☆ श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

वह युवा शिक्षिका सभी लोगों को तिरंगे परिधान में देखकर एक गहन चिंता में खो गई और अचानक उसके मुंह से निकल गया-

” अरे आज 2 अक्टूबर है?”

गांधी जी के सादा जीवन और उच्च विचार से अवगत कराएंगे,इसी उधेड़बुन में वह जल्दबाजी में चल पड़ी।

चारों तरफ देश के प्रति सम्मान बिखरा पड़ा है,लेकिन अच्छा है  बापू आज नहीं है….. उनके नाम पर जाने क्या-क्या होता है?

स्कूल के सभागार में पहुंच गई।

वहाँ बापू की प्रतिमा पर फूलों के हार चढ़ाने के बाद  सभागृह में सभी उपस्थित लोगों ने भाषण दिया।

शाकाहारी को भोजन हर सार्वजनिक स्थल पर मिलना चाहिए। मांसाहार की दुकानों को बंद करवाने की सफलता का गुणगान में रत।

चारों तरफ जश्न…लाउडस्पीकर पर देशभक्ति, बापू-भक्ति के गाने।

बापू के सिद्धांतों को प्रतिपादित करते हुए 3 बच्चे नजर आए,

बुरा मत देखो बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो की मुद्रा में बैठे थे।

क्या इन बच्चों को इसका मतलब समझ आ रहा है, उसे देखकर  अच्छा भी लगा और हंसी भी आ गई।

क्या यह आज के युग में संभव है?

सभा समाप्त हुई।

रास्ते में उसे सभागृह में उपस्थित जो व्यक्ति उपदेश दे रहे थे वही व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर एक-दूसरे पर लाठी ताने, गाली दे रहे थे ।

कानों में लाउडस्पीकर शोर उड़ेल रहा था –

दे दी हमें आजादी

बिना खड्ग, बिना ढाल…!

गांधीजी के स्वच्छ भारत और नशा मुक्ति अभियान को क्या जनमानस समझ पाएगा!

अरे! यह क्या?

मैं यह कहां फंस गई…

गाड़ी को क्या हो गया?

देश भी तो धार्मिक, जातिवाद, गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक कुरीतियों के बंधन में जकड़ा हैं।

मैंने तो अपनी गाड़ी को इस दलदल से निकाल लिया …

भारतवर्ष इस दलदल से कैसे निकलेगा….?

© श्रीमति उमा मिश्रा ‘प्रीति’

जबलपुर, मध्य प्रदेश मो. 7000072079

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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