श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय लघुकथा  विकल्प)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 153 ☆

 ☆ लघुकथा – “विकल्प” ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

दिसंबर की ठण्डी रात को अचानक पानी बरसने पर मां की नींद खुल गई, “तूझे कहा था गेहूं धो कर छत पर मत सुखा, पर, तू मानती कहा हैं।”

” तो क्या करती? इस में धनेरिये पड़ गए थे।” 

“अब सारे गेहूं गीले हो रहे हैं।”

” तो मैं क्या करूं?” बेटी खींज कर बोली, “मेरा कोई काम आप को पसंद नहीं आता। ऐसा क्यों नहीं करते- मेरा गला घोट दो। आप को शांति मिल जाएगी।”

” तुझ से बहस करना ही बेकार है,” मां जोर से बोली। तभी पिता की नींद खुल गई, “अरे भाग्यवान! क्या हुआ ? रात को भी….”

” पानी बरस रहा है। छत पर गेहूं गीले हो रहे है। इस को कहा था- गेहूं धो कर मत सुखा, पर यह माने तब ना,” कहते हुए माँ ने वापस अपनी बेटी की बुराई करना शुरू कर दिया। 

मगर पिता चुपचाप उठे। बोले, “चल ‘बेटी’! उठ। छत पर चलते हैं,” कहते हुए पिता ने छाता उठा कर खोल लिया।

छाता खुलते ही मां-बेटी की जुबानी जंग बंद हो गई।

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

28-12-21

संपर्क – पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – [email protected] मोबाइल – 9424079675

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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