श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। सम्पूर्ण देश में बाढ़ की प्राकृतिक विपदा और इस विपदा के मध्य सैनिकों और मदद के बढ़ते हाथ साथ ही उत्सवों की सौगात  इसके बीच मानवीय जिजीविषा।  आज प्रस्तुत है  “अभंग – महापूर । )

 

? साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य #- 12 ? 

 

? अभंग – महापूर  ?

 

तुझी कोप दृष्टी।झाली अतिवृष्टी। जलमय सृष्टी

महापूर।

 

सोडुनिया माया। धरिलासे राग। प्रेमाला तू जाग ।

नदीमाय।

 

जीव वित्त हानी। झाली वाताहात।  जीवनाचा घात।

आकस्मित।

 

कोसळली घरे। पडली खिंडारे। उध्वस्त भांडारे।

क्षणार्धात।

 

अतोनात प्राणी। बांधल्या दावणी। मुकल्या जीवनी।

प्रलयात।

 

आस्मानी संकट। घटिका बिकट। धावले निकट।

सैन्य दल।

 

मदतीचा हात। देती प्रवाहात। संकटास मात।

दीनबंधू।

 

रक्षाबंधनाचे। मानकरी खरे। सैन्यदल सारे।

बहिणींचे।

 

जाऊ दे वाहून। जाती धर्म पंथ। भेदाभेद संथ।

सर्वकाळ।

 

 

©  रंजना मधुकर लसणे✍

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

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