श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता “आओ फिर से गोविंद……” । )

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर

☆ तन्मय साहित्य  #198 ☆

आओ फिर से गोविंद… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

आनन्दकन्द गोपाल कृष्ण गिरधारी

आओ फिर से गोविंद सूदर्शन धारी।

वृन्दावन में बचपन बीता अति प्यारा

आये जो दैत्य कंस के, उन्हें सँहारा

असुरों की फौज बढ़ी धरती पर भारी

आओ फिर से गोविंद सुदर्शन धारी।…

कोमल कलियों को कुचल रहे अन्यायी

बेटी-बहनों के साथ, करे पशुताई

पहले जैसे नहीं रहे लोग संस्कारी

आओ फिर से गोविद सुदर्शनधारी।…

कालीया नाग को जैसे सीख सिखाई

जहरीले नाग फुँफकार रहे हरजाई

फन कुचलो माधव नटनागर बनवारी

आओ फिर से गोविद सुदर्शनधारी।…

आतंकवाद ने अपने पैर पसारे

जयचंद कई हैं छिपे देश में सारे

खोजें उनको, दें दंड देश हितकारी

आओ फिर से गोविद सुदर्शनधारी।…

मथुरा में जाकर दुष्ट कंस को मारा

महाभारत में फिर गीताज्ञान उचारा

भारत की है पुकार वल्लभ त्रिपुरारी

आओ फिर से गोविद सुदर्शनधारी।…

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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