श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है बाल साहित्य  – आत्मकथा – हवाई जहाज का जन्म)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 139 ☆

 ☆ बाल साहित्य – “आत्मकथा– हवाई जहाज का जन्म” ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

मेरा जन्म 1900 की शुरुआत में ओहियो के डेटन में एक छोटे से वर्कशॉप में हुआ था। मेरे निर्माता ऑरविल और विल्बर राइट नाम के दो भाई थे। वे पक्षी की उड़ान से प्रेरित थे। वे कई वर्षों से मेरे डिजाइन पर काम कर रहे थे।

मैं एक बहुत ही साधारण मशीन था। मेरे पास दो पंख थे, एक प्रोपेलर और एक छोटा इंजन। लेकिन मैं भी बहुत नवीन था। मैं पहला हवाई जहाज था जो कुछ सेकंड से अधिक समय तक उड़ान भरने में सक्षम था।

17 दिसंबर, 1903 को मैंने अपनी पहली उड़ान भरी। मैं ऑरविल के नियंत्रण में था। विल्बर मेरे साथ दौड़ रहा था। वह एक रस्सी पकड़े था। मैंने 12 सेकंड के लिए उड़ान भरी। 120 फीट की यात्रा की। यह एक छोटी उड़ान थी, लेकिन यह एक ऐतिहासिक थी।

मेरी उड़ान ने साबित कर दिया कि इंसान उड़ सकता है। इसने अन्य अन्वेषकों को नए और बेहतर हवाई जहाज बनाने के लिए प्रेरित किया। और इसने दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया।

मैं अब 100 से अधिक वर्षों से उड़ रहा हूं। मैंने उस समय में काफी बदलाव देखे हैं। हवाई जहाज बड़े और तेज हो गए हैं। वे ऊंची और दूर तक उड़ सकते हैं। वे अधिक लोगों को ले जा सकते हैं।

लेकिन एक चीज नहीं बदली है: मैं अभी भी दुनिया की सबसे आश्चर्यजनक मशीन हूं। मैं लोगों को नई जगहों और नए अनुभवों के साथ ले जा सकता हूं। मैं लोगों को एक-दूसरे से और उनके आसपास की दुनिया से जुड़ने में मदद कर सकता हूं। मैं दुनिया को एक छोटी जगह बना दिया है।

मुझे मेरे हवाई जहाज होने पर गर्व है। लोगों को यात्रा करने और अन्वेषण करने में मदद करने पर मुझे प्रसन्न्ता होती है। मुझे मेरी प्यारी दुनिया के भ्रमण करने पर गर्व है।

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

24-05-2021 

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – opkshatriya@gmail.com

मोबाइल – 9424079675

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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