श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

 

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं।  आज प्रस्तुत है उनकी  एक शिक्षाप्रद लघुकथा  “ निडरता । )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं  # 45 ☆

☆ लघुकथा –  निडरता ☆

रघु दादा ने सीमा का रास्ता रोका और सीमा को अपनी सहेली – मीना की शारीरिक और मानसिक यातना की याद आ गई जो गुंडे और समाज के कारण आज भी मीना भुगत रही थी, “ कोई है ! बचाओं ! मार डाला !” कहते हुए उस ने अपना माथा वेन से टकराया और जमीन पर गिर पड़ी.

“ अरे दौड़ो !” एक साथ कई आवाजें महाविद्यालय परिसर गूंजी  .

रघु दादा के लिए यह अप्रत्याशित था. वह डर कर चिल्लाया , “ भागो !”

कुछ ही देर में नजारा बदल गया था. लड़की के साथ गुंडागर्दी करने वाले गुंडे की निडरता का बलात्कार हो चुका का था. वही सीमा अपने साथियों के घेरे में खुशी से चीखते हुए रो पड़ी.

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

२४/०७/२०१५

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) मप्र

ईमेल  – [email protected]

मोबाइल – 9424079675

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