श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता “नव संवत्सर आ गया…। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 125 – नव संवत्सर आ गया… ☆

नव संवत्सर आ गया, खुशियाँ छाईं द्वार ।

दीपक द्वारे पर सजें, महिमा अपरंपार ।।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को, आता है नव वर्ष।

धरा प्रकृति मौसम हवा, सबको करता हर्ष।।

 *

संवत्सर की यह कथा, सतयुग से प्रारम्भ।

ब्रम्हा की इस सृष्टि की, गणना का है खंभ।।

 *

नवमी तिथि में अवतरित, अवध पुरी के राम ।

रामराज्य है बन गया, आदर्शों का धाम ।।

 *

राज तिलक उनका हुआ, शुभ दिन थी नव रात्रि।

राज्य अयोद्धा बन गयी, सारे जग की धात्रि ।।

 *

मंगलमय नवरात्रि को, यही बड़ा त्योहार।

नगर अयोध्या में रही, खुशियाँ पारावार।।

 *

नव रात्रि आराधना, मातृ शक्ति का ध्यान ।

रिद्धी-सिद्धी की चाहना, सबका हो कल्यान ।।

 *

चक्रवर्ती राजा बने, विक्रमादित्य महान ।

सूर्यवंश के राज्य में, रोशन हुआ जहान ।।

 *

बल बुद्धि चातुर्य में, चर्चित थे सम्राट ।

शक हूणों औ यवन से,रक्षित था यह राष्ट्र।।

 *

स्वर्ण काल का युग रहा, भारत को है नाज ।

विक्रम सम्वत् नाम से, गणना का आगाज ।

 *

मना रहे गुड़ि पाड़वा, चेटी चंड अवतार ।

फलाहार निर्जल रहें, चढ़ें पुष्प के हार।।

 *

भारत का नव वर्ष यह, खुशी भरा है खास।

धरा प्रफुल्लित हो रही, छाया है मधुमास।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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