श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे… शिक्षा”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 98 – मनोज के दोहे… शिक्षा ☆

शिक्षा का मंदिर जहाँ, सबको मिलता ज्ञान।

देवतुल्य शिक्षक रहें, हरते हर अज्ञान।।

शिक्षा वह अनमोल धन, जीवन भर का साथ।

लक्ष्मी जी का वरद हस्त,जग का झुकता माथ।।

मानव के निर्माण में, शिक्षक रहा महान।

बचपन को संयोजना, नव पीढ़ी को ज्ञान।।

शिक्षक की कर वंदना, सुदृढ़ बने समाज।

शिक्षित मानव ही गढ़े, नैतिक-धर्म-सुराज ।।

ज्ञान और विज्ञान से , भरता प्रखर प्रकाश।

मानव हित को साधकर, करे तिमिर का नाश।।

शिक्षा पाने के लिए, मानव गया विदेश।

थाह नहीं भंडार का, है अमूल्य विनिवेश।।

शिक्षित मानव देश की, नींव करे मजबूत।

रखे सुरक्षित देश को, बुने प्रगति के सूत।।

 ©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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