श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है आपका एक अतिसुन्दर बाल गीत – चलो वक्त के साथ चलो”. आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 162 ☆

☆ एक पूर्णिका – “चलो वक्त के साथ चलो…” ☆ श्री संतोष नेमा ☆

 

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चलो  वक्त के साथ चलो

ले  हाथों   में  हाथ  चलो

दामन झूठ का  छोड़ कर

सदा  सत्य के  साथ चलो

गर  बढ़ना  तुमको   आगे

कर्मठता  के   साथ  चलो

गर   पाना   मोती  तुमको

पकड़ तली का हाथ चलो

कभी  रहें  न भाग्य भरोसे

लेकर  तुम  पुरुषार्थ  चलो

गुनाहों  से  बच  कर रहना

थाम  धर्म  का  हाथ  चलो

मिले  न  कुछ  आसानी से

तुम  संतोष  के  साथ चलो

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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