डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से \प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 159 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे ☆

गघरी ली है हाथ में,थककर बैठी छाँव।

गहरी सोच में डूबती,पिया नहीं है गाँव।।

🌴

राह प्रिय की देख रही,गुमसुम बैठी सोच।

कब आओगे सजन तुम,दिल में आई मोच।।

🤔

मिलने प्रिय को आ गई,घर में नहीं है ठाँव।

कब आओगे प्रिये तुम,थमते नहीं है पाँव।।

🌹

पानी भरकर बैठती,चेहरा है उदास।

दिल में उसके हो रही,बस प्रिय की है आस।।

💐

चिंता मन में हो रही,आ जाओ प्रिय पास।

दिल से दिल की दूरियां,जगती मन में खास।।

🌹

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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