श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का  चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है  एक भावप्रवण एवं विचारणीय कविता “जीवन क्या है?”)

☆  तन्मय साहित्य # 155 ☆

☆ जीवन क्या है? ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

सुखद समुज्ज्वल दूध

दूध में जब खटास का

दुःख जरा सा भी मिल जाए

धैर्य रखेंगे तो फिर

वही दूध परिवर्तित

हो कर शुद्ध दही बन जाए,

गहरे मंथन से फिर

रूप बदलता है दधि

मक्खन हो कर तपे

खूब तप कर

गुणकारी घी बन कर के

स्वाद बढ़ाए

बस ऐसे ही

जीवन में दुख की खटास भी

चिंतन मनन धैर्य से

हमको सुखी बनाए

बिना दुखों के स्वाद

कहाँ सुख का मिल पाए।

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

अलीगढ़/भोपाल   

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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