श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय एवं भावप्रवण कविता “# गोलू का गुल्लक #”) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 80 ☆

☆ # गोलू का गुल्लक # ☆ 

गोलू ने मीना बाजार से

गुल्लक लाया

कुछ सिक्के डाले,

खुब बजाया

गुल्लक को उसने

अलग छुपाया

गुल्लक पाकर

फूला ना समाया

 

वो सिक्कों को

पापा को देगा

उससे बैट-बाल लेगा

उसका अलग ही

रौब होगा

जब वो गली में

क्रिकेट खेलेगा

 

अचानक बस्ती में

उपद्रव हो गया

भाईचारा नफरत में

खो गया

जल उठी सारी बस्ती

हर इंसान दहशत में

सो गया

प्रशासन ने कर्फ्यू लगाया

बस्ती पर बुलडोजर चलाया

बिखर गया तिनका तिनका

जद में गोलू का

गुल्लक भी आया

कबाड़ में गुल्लक

ढूंढते ढूंढते 

गोलू अपना रो रहा है

बिखरे कुछ सिक्कों को देख

अपना आपा खो रहा है

टूट गया बैट बॉल का

उसका सपना

रहने को नहीं रहा

अब घर उसका अपना

उसकी नन्ही आंखों में

बहुत रोष है

पूछ रहा है वो हमसे

उसका क्या दोष है ?

क्या कोई गोलू को

बैट-बाल या गुल्लक

दिलवा पायेगा ?

या यह मासूम बचपन

यूंही संकीर्णता की

भेंट चढाया जायेगा ? /

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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