डॉ.  सलमा जमाल 

(डा. सलमा जमाल जी का ई-अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। रानी दुर्गावती विश्विद्यालय जबलपुर से  एम. ए. (हिन्दी, इतिहास, समाज शास्त्र), बी.एड., पी एच डी (मानद), डी लिट (मानद), एल. एल.बी. की शिक्षा प्राप्त ।  15 वर्षों का शिक्षण कार्य का अनुभव  एवं विगत 22 वर्षों से समाज सेवारत ।आकाशवाणी छतरपुर/जबलपुर एवं दूरदर्शन भोपाल में काव्यांजलि में लगभग प्रतिवर्ष रचनाओं का प्रसारण। कवि सम्मेलनों, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं में सक्रिय भागीदारी । विभिन्न पत्र पत्रिकाओं जिनमें भारत सरकार की पत्रिका “पर्यावरण” दिल्ली प्रमुख हैं में रचनाएँ सतत प्रकाशित।अब तक लगभग 72 राष्ट्रीय एवं 3 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार/अलंकरण। वर्तमान में अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी सेवा समिति, पाँच संस्थाओं की संरक्षिका एवं विभिन्न संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन।  

आपके द्वारा रचित अमृत का सागर (गीता-चिन्तन) और बुन्देली हनुमान चालीसा (आल्हा शैली) हमारी साँझा विरासत के प्रतीक है। 

आप प्रत्येक बुधवार को आपका साप्ताहिक स्तम्भ  ‘सलमा की कलम से’ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण गीत “जगमग दीप जले —” 

✒️ साप्ताहिक स्तम्भ – सलमा की कलम से # 2 ✒️

? गीत –  जगमग दीप जले —  डॉ. सलमा जमाल ?

जगमग – जगमग ये दीप जले ।

फिर भी अंधेरा दिया तले ।।

 

फैला अमावस का अंधेरा ,

निर्धनों को दुखों ने घेरा ,

बच्चे अभावों में हैं पले ।

जगमग ————— ।।

 

धनी वर्ग मनाऐ दिवाली ,

ख़ुशियां हैं कमाई – काली ,

ऊपरी तौर से मिलें गले ।

जगमग ————— ।।

 

सभी जलाएं आतिशबाज़ी ,

आपस में फ़िर भी नाराज़ी ,

खड़ी इंसानियत हाथ मले ।

जगमग ————— ।।

 

महलों में दीपों की कतारें ,

कुटिया में बचपन मन मारे ,

ग़म उनके रिस्ते सांझ ढले ।

जगमग ————— ।।

 

प्रकाश ने संदेश दिया है ,

हम सबने अनसुना किया है ,

सपने पलते आकाश तले ।

जगमग ————— ।।

 

काश ! मसीहा ऐसा आए ,

दीन – दुखी को गले लगाऐ ,

जो संग सलमा दो क़दम चले ।

जगमग ————— ।।

 

© डा. सलमा जमाल 

298, प्रगति नगर, तिलहरी, चौथा मील, मंडला रोड, पोस्ट बिलहरी, जबलपुर 482020
email – [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments