डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं उनकी एक सार्थक लघुकथा  “प्रतिष्ठित रचनाकार । ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 68 – साहित्य निकुंज ☆

☆ लघुकथा – प्रतिष्ठित रचनाकार ☆

लेखिका ख्याति प्राप्त थी। जीवन के सभी पहलुओं पर लिखी उनकी कहानियों की चर्चा हर मंच पर होती थी। आज के समाचार पत्र में उनका साक्षात्कार भी छपा। जीवन के मानवीय पक्ष से अलंकृत उनके विचार अनुकरणीय थे।

पिताजी  ने पढ़ा तो प्रभावित हुए बिना न रह पाए। बोले,  ” बिटिया,  हम  सोच रहे हैं कि इस बार अपनी संस्था के पुरस्कार वितरण समारोह  में इन्हें ही बुला लेते है। प्रतिष्ठित रचनाकार हैं। आयेगीं तो कार्यक्रम की गरिमा बढ़ेगी। तुम इनसे अच्छी तरह परिचित भी हो। इसलिए तुम ही बात कर लो।”

मैंने तुरंत फोन मिला लिया। उम्मीद के अनुसार उनके  मधुर कंठ से आवाज़ आई..”बोलो बेटा कैसी हो..?”

“जी, आंटी अच्छी हूँ। प्रतिवर्ष पिताजी माँ की स्मृति में कहानी विधा पर एक पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन करते हैं। उसमें मुख्य अतिथि को भी सम्मानित करने की परम्परा है। कुछ नगद राशि भी दी जाती है। यदि इस बार आप मुख्य अतिथि बनने की स्वीकृति दे दें तो समारोह का महत्व बढ़ने के साथ ढेर सारे नए रचनाकारों को आपका मार्गदर्शन भी मिलेगा।”

“बेटा बात तो बहुत अच्छी है। लेकिन मुझे इस तरह के छोटे-मोटे समारोहों में जाना भाता नहीं है।”

इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, मेरा संपर्क उनसे कट गया।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Dr Kamna tiwari shrivastava

दुनियां में ऐसे लोग भी होते है