श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं।आज प्रस्तुत है डॉ. शशि गोयल जी  के बाल कहानी संग्रह “गोलू -भोलू और जंगल का रहस्य” की पुस्तक समीक्षा।)

☆ पुस्तक चर्चा ☆ बाल उपन्यास ‘गोलू -भोलू और जंगल का रहस्य‘ – डॉ. शशि गोयल ☆ समीक्षा – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’’  ☆

उपन्यासगोलूभोलू और जंगल का रहस्य 

उपन्यासकार डॉ. शशि गोयल 

प्रकाशक जीएस पब्लिशर्स डिस्ट्रीब्यूटर, एफ7, गली नंबर 1, पंचशील गार्डन एक्सटेंशन, नवीन शाहदरा, दिल्ली110032 मोबाइल नंबर 99717 33123

पृष्ठ संख्या52 

मूल्य₹195

समीक्षकओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश

☆ समीक्षा- रहस्य से भरपूर उपन्यास है यह ☆

बच्चों के उपन्यास में रहस्य-रोमांच हो तो पढ़ने का मजा दुगुना हो जाता है। उसके साथ रोचक संवाद हो तो उपन्यास की पठनीयता में वृद्धि हो जाती है।

बाल उपन्यास में चंचल बालपात्र हो तो वह बच्चों को बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। उसकी चंचलता और चपलता उपन्यास के आनंद का मजा बढ़ा देती है।

इस कला में उपन्यासकार डॉ. शशि गोयल को महारत हासिल है। इनका नवीनतम उपन्यास गोलू-भोलू और जंगल का रहस्य, इस कसौटी पर खरा उतरता है। उपन्यास के शीर्षक के अनुसार उपन्यास में जंगल का रहस्य और रोमांच भरा पड़ा है।

गोलू एक चंचल और चपल बाल पात्र है। वह शहर से गांव अपनी नानी के यहां आता है। यहां वह अपने साथी भोलू के साथ जंगल, नदी, गुफा, पहाड़ आदि की सैर करता है।

सैर-सपाटा के दौरान वह संदिग्ध गतिविधियों को पकड़ लेता है। उसी से दो-चार होता है। परिस्थितियां ऐसी निर्मित होती है कि वह उन सभी का रहस्योद्घाटन करता चला जाता है।

मगर अंत में जाकर वह एक घटना में उलझ जाता है। तब वह और उसके पिताजी एक नई तरकीब अपनाते हैं। इससे गोलू-भोलू के साथ अन्य पात्रों पर आई मुसीबत टल जाती है। इस तरह पूरा उपन्यास रहस्य रोमांच के साथ आगे बढ़ता है।

उपन्यास की भाषा सरल व सीधी है। इसी के साथ ठेठ ग्रामीण भाषा के उपयोग से उपन्यास में रोचकता का समावेश होता है। इसकी यह भाषा उपन्यास की रोचकता में वृद्धि करती है। पाठक पृष्ठ दर पृष्ठ उपन्यास को पढ़ता चला जाता है।

बाल सुलभ जिज्ञासा का असर पूरे उपन्यास में है। इसी जिज्ञासा की वजह से उपन्यास के पात्र निरंतर जोखिम उठाते हुए आगे बढ़ते हैं। फलस्वरुप उसके रहस्य को उजागर करते हुए एक नई मुसीबत का सामना करते हैं।

इस तरह उपन्यास के साथ-साथ मुख्य कथा के साथ उपन्यास उत्तरोत्तर आगे बढ़ता है। अंततः उसकी रोचकता का अंत उपन्यास के अंत के साथ हो जाता है।

उपन्यास का परिवेश ग्रामीण नदी के किनारे फैले हुए जंगल का है। इसी परिवेश में कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती है उपन्यास के पात्रों के सामने नई-नई चुनौतियां आती जाती है।

चुनौतियों का सामना करने में मुक पशु-पक्षी का प्रयोग बखूबी किया गया है। पृष्ठ संख्या के हिसाब से दाम कुछ ज्यादा है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। वैसे उपन्यास की साज-सज्जा व पृष्ठ सज्जा के साथ त्रुटि रहित छपाई ने उपन्यास की गुणवत्ता में श्री वृद्धि की है।

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

16-04-2023

मित्तल मोबाइल के पास, रतनगढ़,  जिला- नीमच (मध्य प्रदेश), पिनकोड-458226 

मोबाइल नंबर 7024047675, 8827985775

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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