श्री प्रहलाद नारायण माथुर

( श्री प्रह्लाद नारायण माथुर जी  अजमेर राजस्थान के निवासी हैं तथा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से उप प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। आपकी दो पुस्तकें  सफर रिश्तों का तथा  मृग तृष्णा  काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं तथा दो पुस्तकें शीघ्र प्रकाश्य । आज से प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा  जिसे आप प्रति बुधवार आत्मसात कर सकेंगे। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण कविता  नफरत का बीज कहाँ पैदा होता है?

 

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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – मृग तृष्णा # 3 – नफरत का बीज कहाँ पैदा होता है?  ☆

 

उड़ना चाहता हूँ आसमान की ओर,

देखना चाहता हूँ नफरत का बीज कहाँ पैदा होता है ||

उड़ना चाहता हूँ परिंदो की तरह,

देखना चाहता हूँ दुनिया में पाप कहाँ पैदा होता है ||

 

रहना चाहता हूँ दोस्तों में घुल मिलकर,

देखना चाहता हूँ अब सुदामा सा दोस्त कहाँ होता है ||

रहना चाहता हूँ रिश्तों की हवेली में,

देखना चाहता हूँ रिश्तों का धागा कैसे मजबूत होता है ||

 

जीना चाहता हूँ मैं सब के लिए,

देखना चाहता हूँ मेरे लिए दुनिया में कौन जीना चाहता है ||

माफ़ी चाहता हूँ सबसे अपनी हर गलती के लिए,

देखना चाहता हूँ खुद की गलतियां मान कौन मुझे गले लगाता है ||

 

© प्रह्लाद नारायण माथुर 

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Shyam Khaparde

सुंदर रचना