श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – 21 – बाज़ार व्यवस्था ☆ श्री राकेश कुमार ☆

हमारे देश में भले ही विगत दो दशक से बड़े-बड़े मॉल अपने जाल में जन साधारण को फँसाने के प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इनकी सफलता का पैमाना अभी भी बहुत पीछे चल रहा है। एक दशक से ऑनलाइन के बड़े खिलाड़ी भी अभी आरंभिक अवस्था में ही झूल रहे हैं।

हमारी प्राचीन दुकान/फुटकर प्रणाली की जड़े बहुत गहरी हैं। उनमें कमियां ज़रूर हैं, परंतु   परिवर्तन के साथ मूलभूत प्रणाली ही सर्वश्रेष्ठ हैं।

यहाँ विदेश में सड़कों/गलियों में छोटी दुकानें या ठेले पर विक्रय करने के स्थान पर खुले स्थानों पर तीस/चालीस बड़े-बड़े और खुले स्थान में व्यवस्थित ढंग से बने हुए शोरूम के बाज़ार होते हैं। कम से कम सैकड़ों या हज़ार से भी अधिक कार पार्किंग का स्थान उपलब्ध होता है।

हर सामान बिल से विक्रय होता है, सबके भाव तय रहते हैं। हमारे देश में तो आधा जीवन मोल भाव में ही व्यर्थ हो जाता है। अंत में हमेशा ऐसा महसूस होता है कि अभी  भी महंगा क्रय कर लिया है। क्रेता और विक्रेता हमेशा दोनों एक दूसरे से ऊपर रहने के अनवरत प्रयास करते रहते हैं। गृहणियां सब्ज़ी वाले से मुफ्त धनिया प्राप्त करके प्रसन्नता महसूस करती हैं।

यहाँ बाज़ार से क्रय किए हुए समान को उस दुकान की किसी भी अन्य शाखा में वापस कर राशि प्राप्त हो जाती है।

ऐसी जानकारी भी मिली है, कि कुछ वर्ष पूर्व तक हमारे देश के प्रवासी अपने यहाँ आए हुए मेहमानों को बाज़ार से लाकर ठंड से बचने के जैकेट इत्यादि को कुछ माह उपयोग में लाकर मेहमान के जानें के पश्चात दुकानदार को वापस कर देते थे। अब यहाँ एक/ दो सप्ताह में ही सामान वापस किया जा सकता है। लंबे समय से रह रहे प्रवासी इस बाबत ऐसी आदतों से गुरेज़ करते हैं। किसी भी व्यवस्था का गलत लाभ लेना हमेशा अनुचित रहता है। यहाँ के निवासी छोटे लाभ का लालच कभी भी नहीं करते है। नियम का पालन करना यहाँ के निवासियों की रगो में है।

इन सब मूलभूत बातों से ही तो यहाँ का जीवन सरल और सुगम बना रहता है।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान) 

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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