श्री प्रदीप शर्मा

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “उठापटक”।)  

? अभी अभी # 76 ⇒ उठापटक? श्री प्रदीप शर्मा  ? 

किसी को उठाना और फिर पटकना, यह अखाड़े में पहलवानों का काम है। पहले प्रतिद्वंद्वी से भिड़ना, दांव पेंच लगाना, उसे उठाकर पटक देना और जब विजयी घोषित हो जाएं, तो उसी का हाथ पकड़कर सबका अभिवादन करना।

कभी कभी जब सामने वाला पहलवान कमजोर और दुबला होता है तो वह सीधा ज़ोरदार पहलवान के क़दमों से जोंक की तरह चिपक जाता है। मानो पांव पड़कर माफी मांग रहा हो। कई बार रेफ्री उसे अलग करता है, लेकिन वह उस भारी भरकम पहलवान के अंगद के पांव को हिलाता नहीं, उस पर मलखम करने लग जाता है। लेकिन जब सामने वाले पहलवान का धोबी पछाड़ दांव लगता है, ये पहलवान चारों खाने चित, और इन्हें दिन में तारे नजर आ जाते हैं। ।

धोबी पछाड़ का तो कॉपीराइट ही धोबी के पास है। धोबी पछाड़ का सीधा प्रसारण देखना हो तो कभी धोबी घाट चले जाएं। धोबी जी के घाट पर, भई कपड़न की भीड़। हर कपड़े को उठा, पटक मारे पत्थर पर रजक वीर।

एक आम आदमी के जीवन में भी कितनी उठापटक है, केवल वह ही जानता है। हर जगह प्रतिस्पर्धा, टांग खिंचाई। जो आपकी टांग खींच रहा है, उसे कभी आशीर्वाद नहीं दिया जाता। उस उठाकर पटक ही दिया जाता है। नौकरी में उतार चढ़ाव आते हैं, धंधे में मंडी आती है। कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं इंसान को, और आप कहते हैं, उठापटक मत करो।

राजनीति एक ऐसा अखाड़ा है, जहां हमेशा उठापटक चला ही करती है। वणिक शब्दकोश में इसे हेराफेरी का नाम दिया गया है। वैसे उठापटक के बिना भी कभी उलटफेर हुआ है। कुछ विधायक इधर से उठाए, उधर रख दिए। अब आप चाहे इसे उठापटक कहें, हेराफेरी कहें, अथवा उलटफेर, सब चलता है।

मर्यादा पुरुषोत्तम ने तो जिसे उठाया, उसे गले से ही लगाया। जिसे भी उठाओ, प्रेम से गले लगाओ। जिस तरह हम एक बच्चे को प्यार से उठाते हैं, गले लगाते हैं। गलती से भी किसी पत्थर को भी ठोकर लगे, तो वह अहिल्या बन जाए। जो पत्थर इन हाथों से फेंका जाए, वह किसी को नुकसान न पहुंचाए, केवल राम जी के नाम से पानी में भी तैर जाए। जब जाम उठाया है तो उसे मुंह तक जाने दीजिए, ज़मीन पर मत पटकिए। शीशा हो या दिल, टूट जाता है। बेवजह उठापटक से किसी का दिल कभी ना तोड़िए। ।

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© श्री प्रदीप शर्मा

संपर्क – १०१, साहिल रिजेंसी, रोबोट स्क्वायर, MR 9, इंदौर

मो 8319180002

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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