ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है

मूक होइ बाचाल पंगु चढइ गिरिबर गहन।

जासु कृपाँ सो दयाल द्रवउ सकल कलि मल दहन॥

अगर आप पर ईश्वर की कृपा है तो आप सब कुछ कर सकते हैं । जो गूंगा है वह बोल सकता है और जो लंगड़ा है पर्वत पर चढ़ सकता है । इस सप्ताह अर्थात 19 दिसंबर से 25 दिसंबर 2022 तदनुसार विक्रम संवत 2079 शक संवत 1944 के पौष कृष्ण पक्ष की एकादशी से पौष शुक्ल पक्ष की द्वितीया तक के सप्ताह का साप्ताहिक राशिफल  अर्थात ईश्वर की कृपा के बारे में आपको बताने का  मैं पंडित अनिल कुमार पाण्डेय प्रयास कर रहा हूं। 

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा तुला राशि में रहेगा ।वृश्चिक और धनु राशि से गोचर करता हुआ 24 दिसंबर को 6 बज के 39 मिनट रात अंत से मकर राशि में प्रवेश करेगा ।

इस सप्ताह सूर्य , शुक्र, बुध , धनु राशि में रहेंगे ।मंगल वृष राशि में वक्री रहेंगे । गुरु मीन राशि में रहेंगे । शनि मकर राशि में रहेंगे और राहु मेष राशि में गोचर करेंगे।

आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपके ऊपर ईश्वर की कृपा की वर्षा हो सकती है बशर्ते आप भी प्रयास करें। कार्यालय में आपकी स्थिति पहले से अच्छी हो सकती है ।भाई बहनों से संबंध अच्छा रहेगा । धन आने का योग है । सुख में वृद्धि होगी । माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । माता जी के  गर्दन और कमर में पीड़ा हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 दिसंबर उत्तम और सफलता दायक है । 21 और 22 को आपको सावधानी से कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके लिए सफलता दायक ग्रह शनि है । शनि की मदद से आप कई कार्यों को सफलतापूर्वक कर सकते हैं । दुर्घटनाओं से सावधान रहने का प्रयास करें । धन आने का उत्तम योग है । भाई बहनों से संबंध उत्तम रहेंगे । माता और पिता जी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा । कचहरी के कार्यों में सफलता मिल सकती है । छात्रों की पढ़ाई में बाधा आएगी । इस सप्ताह आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए ।आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए  अद्भुत है । उनके सभी कार्य संपन्न होंगे । अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह  उत्तम है । उनके पास  विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे । प्रेम संबंधों को बढ़ाने के लिए भी यह सप्ताह उचित है । गलत रास्ते से धन आ सकता  है ।  कचहरी में विजय की उम्मीद है ।  शत्रु पराजित होंगे । छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 दिसंबर फलदाई है । 21 ,22,और 25 दिसंबर को आपको सावधान रखकर कार्य करना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार को  शनि देव के मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करें । उन पर तेल चढ़ाएं । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कर्क राशि

आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।आपके स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है ।आपके शत्रु का विनाश होगा । व्यवसाय में लाभ होगा । कचहरी के मामले में सफलता मिलेगी । भाग्य आपका साथ देगा । पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी है, परंतु माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । धन कम आएगा । छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में बाधा पड़ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 दिसंबर उत्तम और प्रभावशाली हैं ।  23 और 24  दिसंबर को आपको सावधानी से कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार के दिन दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम 5 बार हनुमान चालीसा का जाप करें। सपा का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । आपके संतान की उन्नति होगी । संतान का आप को पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा ।  कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।  छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी ।  भाग्य से आपको बहुत कम लाभ प्राप्त होगा ।  दुर्घटनाओं से आप बचेंगे । इस सप्ताह आपको 25 दिसंबर को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए ।  21 और 22 तारीख को आपके सुख में वृद्धि होगी । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगल देव की शांति का उपाय किसी योग्य ब्राह्मण से  कराएं । सप्ताह का शुभ दिन  बृहस्पतिवार है।

कन्या राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए उत्तम है ।आपके लिए भी ठीक-ठाक है । आपके स्वास्थ्य में थोड़ी बाधा आएगी । आपके पेट में तकलीफ हो सकती है । भाग्य आपका साथ देगा । अगर आप इलेक्शन लड़ रहे हैं तो उसमें आप जीत सकते हैं ।जनता का आपको साथ मिलेगा । आपके सुख में वृद्धि होगी । माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा ।पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा । कोई दुर्घटना हो सकती है । आपको सावधान रहना चाहिए ।  23 और 24 तारीख उत्तम और  परिणाम दायक है । 21 और 22 तारीख को आपके भाई बहनों के साथ आपकी विशेष वार्तालाप हो सकती है ।  इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पूरे सप्ताह गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपके पराक्रम में वृद्धि होगी । व्यापार उत्तम चलेगा ।  क्रोध की मात्रा भी बढ़ सकती है । भाग्य पूर्ण साथ देगा । पेट के रोगों से मुक्ति मिलेगी । कार्यालय में प्रतिष्ठा बढ़ेगी ।  पिताजी के स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। । इस सप्ताह आपके लिए 19 और 20 तथा 25 तारीख उत्तम और परिणाम मूलक हैं ।  21 और 22 तारीख को आपके पास धन आने का योग है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का उत्तम योग है । प्रयास करें ,धन आपके पास अवश्य आएगा । कचहरी के मामलों में उलझने से बचें । छोटी-मोटी दुर्घटनाओं से भी बचें । भाग्य कम साथ देगा । बहनों से प्रेम बढ़ेगा । संतान से सुख प्राप्त होगा ।संतान आपका सहयोग करेगी ।  इस सप्ताह आपको 19 और 20 तारीख को सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए । 21 और 22 तारीख को आपकी कई अड़चनें दूर हो सकती हैं । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह आपके लिए उत्तम है । आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । व्यापार में वृद्धि होगी । धन भी सामान्य से अधिक आएगा । भाग्य से थोड़ा कम मिलेगा । पिताजी को कष्ट हो सकता है । शत्रु विनाश को प्राप्त होंगे । आपके संतान को थोड़ा कष्ट हो सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख सफलता दायक है । 23 और 24 को आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी । 21 और 22 तारीख को आपको कर्जे से मुक्ति मिल सकती है और कचहरी के कार्य में सफलता प्राप्त हो सकती है । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गौमाता को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

आपका स्वास्थ्य इस सप्ताह उत्तम रहेगा । कचहरी के कार्यों में आपके लिए सफलता का योग है । व्यापार में उन्नति होगी । अगर आप प्रयास करेंगे तो  आपको  कर्जे से मुक्ति मिल सकती है । माताजी को कष्ट हो सकता है । भाग्य कोई विशेष साथ नहीं देगा । आपके संतान की उन्नति होगी ।इस सप्ताह आपके लिए 19 ,20 और 25 दिसंबर उत्तम फलदायक है । 21 और 22 तारीख को आपके पास धन आने का योग है । 22 , 23 और 24 तारीख को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन  हनुमान जी के सामने बैठकर तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें एवं शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे मिट्टी का दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है । आपके द्वारा किए गए थोड़े प्रयासों से ही आपको अच्छे धन की प्राप्ति हो सकती है । व्यापार ठीक चलेगा । भाग्य सामान्य है । संतान आपका साथ देगी । छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी । परीक्षा में सफलता का योग है । कचहरी के कार्य में सफलता मिल सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 21 और 22 तारीख को शासकीय कार्यों में सफलता का योग है । 25 दिसंबर को आपको सभी कार्य सावधानीपूर्वक करना चाहिए । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह घर से निकलने के पहले अपने माता-पिता को प्रणाम करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मीन राशि

सप्ताह सामान्य रूप से आपके लिए अच्छा है । धन की प्राप्ति की संभावना है । आपके सभी शासकीय कार्य संपन्न हो सकते हैं । अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपको अपने बॉस का अच्छा सहयोग प्राप्त होगा । आपके कनिष्ठ कर्मचारी भी आपके साथ अच्छा व्यवहार करेंगे । भाग्य भी आपका ठीक-ठाक साथ देगा । धन भी ठीक-ठाक आ सकता है । इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख सफलता दायक है ।  19 और 20 तारीख को आपको संभल कर कार्य करना चाहिए ।   21 और 22 तारीख को आपके कुछ कार्य भाग्य के भरोसे हो सकते हैं । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह सूर्य भगवान को प्रातः काल तांबे के पात्र में जल अक्षत और लालपुष्प लेकर सूर्य के मंत्र के साथ जल अर्पण करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इसके प्रभाव के बारे में बताएं ।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 131 – लागलासे ध्यास ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

? कवितेचा उत्सव ?

☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 131 – लागलासे ध्यास ☆

लागलासे ध्यास रे।

नित्य होई भास रे।

 

रोज तुजला शोधतो

व्यर्थ मज का आस रे।

 

त्रासलो या जीवनी

गुंतलेला श्वास रे।

 

भक्त येई दर्शना

भाव माझा खास रे।

 

भेट मजशी पावना

मांडली आरास रे।

 

पाहशी का अंत रे।

कर मनी तू वास रे। 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – पुस्तकांवर बोलू काही ☆ ‘स्वप्नांचे पंख’ – सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी ☆ परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर ☆

सुश्री गायत्री हेर्लेकर

 

? पुस्तकावर बोलू काही ?

 ☆ ‘स्वप्नांचे पंख’ – सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी ☆ परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर ☆ 

लेखिका :  सुश्री शुभदा भास्कर कुलकर्णी

प्रकाशक: अरिहंत पब्लिकेशन, पुणे

पृष्ठसंख्या: १९२

किंमत: रू. 290/-

परिचय – सुश्री गायत्री हेर्लेकर.

साहित्यप्रेमींचा तसेच साहित्यिकांचा आवडता, नव्हे काहीसा जिव्हाळ्याचा साहित्यप्रकार म्हणजे कथा.

छोट्यामोठ्या,वेगवेगळ्या विषयावरच्या कथा वाचकांनाही आवडतात.

अशाच कथांचा समावेश असलेला कथासंग्रह म्हणुन स्वप्नांचे पंख या कथासंग्रहाचा उल्लेख करता येईल..

लेखिका आहेत कोथरुड,पुणे येथील शुभदा भास्कर कुलकर्णी.

त्यांचा भावफुले हा काव्यसंग्रह २०१९ मध्ये प्रकाशित झाला. त्यानंतर हा कथासंग्रह.

या कथासंग्रहात लेखिकेने नुसतीच स्वप्ने दाखवली नाहीत तर त्यांची परिपूर्ती होण्यासाठी –उत्तुंग आकाशातून भरारी घेण्यासाठी  त्यांना पंखांचे बळ दिले. हे स्वप्नांचे पंख या नावावरुन दिसुन येते.

निळ्या प्रसन्न रंगातली मुखपृष्ठ आकर्षक आणि शिर्षकाला साजेसे आहे.

नाव, आशय-विषय, प्रसंग, व्यक्ती, स्थळ, काळ, भाषा या सर्वांची सहजसुंदर, मोहक गुंफण असेल तर कथा मनोवेधक होऊन वाचनाचा आनंद मिळतोच पण त्यातुन जीवनोपयोगी बोधपर संदेश मिळत असेल तर दर्जा अधिक उंचावतो.

या संग्रहातील शुभदाताईंच्या  कथा या कसोटीवर पुरेपुर उतरल्या आहेत हे आवर्जुन नमुद करावेसे वाटते ..अनेक कथा बक्षीसपात्र ठरल्या आहेत हाच त्याचा पुरावा म्हणता येईल.तरीही पुष्ट्यर्थ काही दाखले निश्चितच  देता येतील.

“स्वप्नांचे पंख”ही पहिलीच शिर्षक कथा आहे.,”एक कळी– फुलतांना”,सुवर्णमध्य”,सुखदुःख”,

“सोनेरी वळण”,”फुललेले चांदणे”

“स्मृतीगंध””,”ऊषःकाल”

अशी ही कथांची नांवे नुसतीच आकर्षक नाहीत तर कथेचा आशय -विषय प्रतित करणारी—जणु काही कथांचे आरसेच आहेत.

कथांचे प्रसंगही तसे साधेसुधे, अगदी आपल्या रोजच्या आयुष्यातले.

जसे—तारुण्यसुलभ प्रेम, लग्न, मुलांचे शिक्षण, पुढील  शिक्षणासाठी परदेशगमन, प्रवास, मुलींची छेड, मृत्यु, ई. पण शुभदाताईंनी कथेतुन ते वेगवेगळ्याप्रकारे मांडले आहेत.

त्यातुन  त्यांची चिकित्सक दृष्टी दिसते.

शांता, ईंदिरा, रमा, मुक्ता, माया, चारु, दीपा, राजश्री, मीता, श्रीराम, श्रीकांत, महेश, अनंत, आनंद, सुमित, अमित अशी नवीजुनी नावे असलेल्या वेगवेगळ्या कथेतील अनेक नव्हे सर्वच व्यक्तिरेखा आपल्याभोवती वावरणाऱ्या आहेत.असेच वाचतांना वाटते.

नव्हे आपणही त्यातलेच आहोत असेही वाटते.”स्वप्नांचे पंखमधील” –आई–मानसीचा मनातील धास्ती आपणही अनुभवलेली जाणवते. तर “गोफ–आयुष्याचा” मधील “मुलांकडे जावे की इथेच रहावे” हा निर्णय घेतांना गोंधळलेल्या आईच्या जागी कितीतरी जणी स्वतःलाच पहातील.”

“रंगबावरी” सारखी प्रेमकथा मनाला स्पर्श करुन जाते.

काही कथातुन आलेल्या, मामंजी, सासुबाई, माई, दी, आत्या अशा संबोधनांमुळे आपुलकीचे नाते निर्माण होते.

कथांची पार्श्वभुमी वेगवेगळ्या काळातील आहे. लाल आलवणाचा पदराचा बोळा तोंडात कोंबून हुंदका देणारी आत्या “स्मृतीगंध” मध्ये आपल्या डोळ्यातुन पाणी आणते. तर “सुवर्णमध्य”मधे लग्नाला ठामपणे नकार देणारी, नामांकित सॉफ्टवेअर कंपनीतली  मीता सुखावून जाते. काही कथातुन शुभदाताईंनी. आजीआजोबा.

आईबाबा, नातवंडे अशा तीन पिढ्यांची, केलेली गुंफण मनाला भावते. पण त्याचबरोबर झालेले बदल ही  योग्य प्रकारे टिपले आहेत. “घराचे जुने चिरे एक एक करुन ढासळले पण नव्याने नविन उभे राहिले.” अशा शब्दात केलेले बदलांचे समर्थन मनाला पटते. शुभदाताईंचा समृध्द अनुभवही यातुन दिसतो.

शहरातील कथा नेमक्या पध्दतीने सांगणारी शुभदाताईंची लेखणी गावाकडचे —तिथल्या स्थळांचे वर्णन करतांना जास्त खुलते. शिंगणापूर, बेलापूर अशी गावे. तिथली हिरवीगार शेती, तिथले पाण्याचे तळे, थंडगार पाण्याचा पाट, घुंगरांची गाडी, एस.टी. स्टँड, गणपती, शंभु-महादेवाची देवळे, चौसोपी वाडा, दिंडी दरवाजा, दगडी चौथरा, दारावरची पितळी फुले आणि इतके बारीकसारीक वर्णन वाचतांना ती स्थळे, दृश्य डोळ्यापुढे उभे रहातात. शुभदाताईंचे सुक्ष्म निरीक्षण आणि समर्पक शब्दांतून केलेले वर्णन —दाद देण्यासारखेच आहे.

कथांची एकंदरित बैठक घरगुती असल्यामुळे साध्या सोप्या बोली भाषेचा वापर संयुक्तिक आहे. तरीही अनेक ठिकाणी शब्दसामर्थ्य दाखवणारी वाक्येही आहेत.

“आपल्याला वाटतं त्यापेक्षा जास्तच रुजलाय हा मनात, -अन् मनाच्या गाभाऱ्यातुन हुंकार आला.” -सुवर्णमध्य.

“आयुष्याचे एक एक पदर सांभाळता ,सांभाळता हा एक धागा हातातुन निसटला”.

मध्यमवर्गीयांच्या जीवनात नित्य येणाऱ्या काही अडचणी, समस्या —कथांचा केंद्रबिंदू असल्याने काही कथा नकळत का होईना  थोडाफार संदेश देतात. “संपलं, —संपलं म्हणायच नाही”.

“आपल्या जगण्याचे निर्णय आपण इतरांमार्फत का घ्यायचे?”.

एक खास वैशिष्ठ्य म्हणुन सांगता येईल —

“सकारात्मकता हा सर्वच कथांचा स्थायीभाव आहे. मतभेद, विचारात फरक आहेत, जरुर आहेत. पण वैमनस्य, विरोधामुळे टोकाच्या भुमिका नाहीत, सामंजस्य, आणि परिस्थिती स्विकारुन पुढे आयुष्य जगणे हा महत्वाचा संदेश मिळतो.. आणि तोच सद्यपरिस्थितीत ऊपयुक्त आहे.

कौटुंबिक, सामाजिक, –सर्वच ठिकाणी अनुभवाला येणारी अस्थिरता, असमाधान, यामुळे नैराश्य आणि नकारात्मक भावना. अशावेळी सकारात्मक कथा निश्चितच भावतात. मनाला आनंदित करतात. जगण्याचा दृष्टीकोन बदलतात. म्हणुनच वाचकांच्या पसंतीस उतरेल. 

असा सुंदर कथासंग्रह वाचकांच्या हाती दिल्याबद्दल —-लेखिकेचे मनःपुर्वक अभिनंदन—

एकुण १८ कथा असलेल्या या कथासंग्रहाची पृष्ठसंख्या १९२ असुन किंमत २९०रु.आहे.अरिहंत पब्लिकेशन,*पुणे * यांनी हे पुस्तक जानेवारी २०२२ मध्ये प्रकाशित केले.

©  सुश्री गायत्री हेर्लेकर

201, अवनीश अपार्टमेंट, कोथरुड, पुणे – 411038 

दुरध्वनी – 9403862565, 9209301430 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #161 ☆ उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं  माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक  साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का  वैश्विक महामारी और मानवीय जीवन पर आधारित एक अत्यंत विचारणीय आलेख उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 161 ☆

☆ उम्मीद, कोशिश, प्रार्थना ☆

‘यदि आप इस प्रतीक्षा में रहे कि दूसरे लोग आकर आपको मदद देंगे, तो सदैव प्रतीक्षा करते रहोगे’ जॉर्ज बर्नार्ड शॉ का यह कथन स्वयं पर विश्वास करने की सीख देता है। यदि आप दूसरों से उम्मीद रखोगे, तो दु:खी होगे, क्योंकि ईश्वर भी उनकी सहायता करता है, जो अपनी सहायता स्वयं करते हैं। इसलिए विपत्ति के समय अपना सहारा ख़ुद बनें, क्योंकि यदि आप आत्मविश्वास खो बैठेंगे, तो निराशा रूपी अंधकूप में विलीन हो जाएंगे और अपनी मंज़िल तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे। ज़िंदगी तमाम दुश्वारियों से भरी हुई है, परंतु फिर भी इंसान ज़िंदगी और मौत में से ज़िंदगी को ही चुनता है। दु:ख में भी सुख के आगमन की उम्मीद कायम रहती है, जैसे घने काले बादलों में बिजली की कौंध मानव को सुक़ून प्रदान करती है और उसे अंधेरी सुरंग से बाहर निकालने की सामर्थ्य रखती है।

मुझे स्मरण हो रही है ओ• हेनरी• की एक लघुकथा ‘दी लास्ट लीफ़’ जो पाठ्यक्रम में भी शामिल है। इसे मानव को मृत्यु के मुख से बचाने की प्रेरक कथा कह सकते हैं। भयंकर सर्दी में एक लड़की निमोनिया की चपेट में आ गई। इस लाइलाज बीमारी में दवा ने भी असर करना बंद कर दिया। लड़की अपनी खिड़की से बाहर झांकती रहती थी और उसके मन में यह विश्वास घर कर गया कि जब तक पेड़ पर एक भी पत्ता रहेगा; उसे कुछ नहीं होगा। परंतु जिस दिन आखिरी पत्ता झड़ जाएगा; वह नहीं बचेगी। परंतु आंधी, वर्षा, तूफ़ान आने पर भी आखिरी पत्ता सही-सलामत रहा…ना गिरा; ना ही मुरझाया। बाद में पता चला एक पत्ते को किसी पेंटर ने, दीवार पर रंगों व कूची से रंग दिया था। इससे सिद्ध होता है कि उम्मीद असंभव को भी संभव बनाने की शक्ति रखती है। सो! व्यक्ति की सफलता-असफलता उसके नज़रिए पर निर्भर करती है। नज़रिया हमारे व्यक्तित्व का अहं हिस्सा होता है। हम किसी वस्तु व घटना को किस अंदाज़ से देखते हैं; उसके प्रति हमारी सोच कैसी है–पर निर्भर करती है। हमारी असफलता, नकारात्मक सोच निराशा व दु:ख का सबब बनती है। सकारात्मक सोच हमारे जीवन को उल्लास व आनंद से आप्लावित करती है और हम उस स्थिति में भयंकर आपदाओं पर भी विजय प्राप्त कर लेते हैं। सो! जीवन हमें सहज व सरल लगने लगता है।

‘पहले अपने मन को जीतो, फिर तुम असलियत में जीत जाओगे।’ महात्मा बुद्ध का यह संदेश आत्मविश्वास व आत्म-नियंत्रण रखने की सीख देता है, क्योंकि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।’ सो! हर आपदा का साहसपूर्वक सामना करें और मन पर अंकुश रखें। यदि आप मन से पराजय स्वीकार कर लेंगे, तो दुनिया की कोई शक्ति आपको आश्रय नहीं प्रदान कर सकती। आवश्यकता है इस तथ्य को स्वीकारने की…’हमारा कल आज से बेहतर होगा’–यह हमें जीने की प्रेरणा देता है। हम विकट से विकट परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। परंतु यदि हम नाउम्मीद हो जाते हैं, तो हमारा मनोबल टूट जाता है और हम अवसाद की स्थिति में आ जाते हैं, जिससे उबरना अत्यंत कठिन होता है। उदाहरणत: पानी में वही डूबता है, जिसे तैरना नहीं आता। ऐसा इंसान जो सदैव उधेड़बुन में खोया रहता है, वह उन्मुक्त जीवन नहीं जी सकता। उसकी ज़िंदगी ऊन के गोलों के उलझे धागों में सिमट कर रह जाती है। परंतु व्यक्ति अपनी सोच को बदल कर, अपने जीवन को आलोकित-ऊर्जस्वित कर सकता है तथा विषम परिस्थितियों में भी सुक़ून से रह सकता है।

उम्मीद, कोशिश व प्रार्थना हमारी सोच अर्थात् नज़रिए को बदल सकते हैं। सबसे पहले हमारे मन में आशा अथवा उम्मीद जाग्रत होनी चाहिए। इसके उपरांत हमें प्रयास करना चाहिए और अंत में कार्य-सम्पन्नता के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। उम्मीद सकारात्मकता का परिणाम होती है, जो हमारे अंतर्मन में यह भाव जाग्रत करती है कि ‘तुम कर सकते हो।’ तुम में साहस,शक्ति व सामर्थ्य है। इससे आत्मविश्वास दृढ़ होता है और हम पूरे जोशो-ख़रोश से जुट जाते हैं, अपने लक्ष्य की प्राप्ति की ओर। यदि हमारी कोशिश में कमी रह जाएगी, तो हम बीच अधर लटक जाएंगे। इसलिए बीच राह से लौटने का मन भी कभी नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि असफलता ही हमें सफलता की राह दिखाती है। यदि हम अपने हृदय में ख़ुद से जीतने की इच्छा-शक्ति रखेंगे, तो ही हमें अपनी मंज़िल अर्थात् निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हो सकेगी। अटल बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियां ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता/ टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’ जीवन में निराशा को अपना साथी कभी नहीं बनाने का सार्थक संदेश देती हैं। हमें दु:ख से घबराना नहीं है, बल्कि उससे सीख लेकर आगे बढ़ना है। जीवन में सीखने की प्रक्रिया निरंतर चलती है। इसलिए हमें दत्तात्रेय की भांति उदार होना चाहिए। उन्होंने अपने जीवन में चौबीस गुरु धारण किए और छोटे से छोटे जीव से भी शिक्षा ग्रहण की। इसलिए प्रभु की रज़ा में सदैव खुश रहना चाहिए अर्थात् जो हमें परमात्मा से मिला है; उसमें संतोष रखना कारग़र है। अपने भाग्य को कोसें नहीं, बल्कि अधिक धन व मान-सम्मान पाने के लिए सत्कर्म करें। परमात्मा हमें वह देता है, जो हमारे लिए हितकर होता है। यदि वह दु:ख देता है, तो उससे उबारता भी वही है। सो! हर परिस्थिति में सुख का अनुभव करें। यदि आप घायल हो गए हैं या दुर्घटना में आपका वाहन का टूट गया, तो भी आप परेशान ना हों, बल्कि प्रभु के शुक्रगुज़ार हों कि उसने आपकी रक्षा की है। इस दुर्घटना में आपके प्राण भी तो जा सकते थे; आप अपाहिज भी हो सकते थे, परंतु आप सलामत हैं। कष्ट आता है और आकर चला जाता है। सो! प्रभु आप पर अपनी कृपा-दृष्टि बनाए रखें।

हमें विषम परिस्थितियों में अपना आपा नहीं खोना चाहिए, बल्कि शांत मन से चिंतन-मनन करना चाहिए, क्योंकि दो-तिहाई समस्याओं का समाधान स्वयं ही निकल आता है। वैसे समस्याएं हमारे मन की उपज होती हैं। मनोवैज्ञानिक भी हर आपदा में हमें अपनी सोच बदलने की सलाह देते हैं, क्योंकि जब तक हमारी सोच सकारात्मक नहीं होगी; समस्याएं बनी रहेंगी। सो! हमें समस्याओं का कारण समझना होगा और आशान्वित होना होगा कि यह समय सदा रहने वाला नहीं। समय हमें दर्द व पीड़ा के साथ जीना सिखाता है और समय के साथ सब घाव भर जाते हैं। इसलिए कहा जाता है,’टाइम इज़ ए ग्रेट हीलर।’ सो दु:खों से घबराना कैसा? जो आया है, अवश्य ही जाएगा।

हमारी सोच अथवा नज़रिया हमारे जीवन व सफलता पर प्रभाव डालता है। सो! किसी व्यक्ति के प्रति धारणा बनाने से पूर्व भिन्न दृष्टिकोण से सोचें और निर्णय करें। कलाम जी भी यही कहते हैं कि ‘दोस्त के बारे में आप जितना जानते हैं, उससे अधिक सुनकर विश्वास मत कीजिए, क्योंकि वह दिलों में दरार उत्पन्न कर देता है और उसके प्रति आपका विश्वास डगमगाने लगता है।’ सो! हर परिस्थिति में खुश रहिए और सुख की तलाश कीजिए। मुसीबतों के सिर पर पांव रखकर चलिए; वे आपके रास्ते से स्वत: हट जाएंगी। संसार में दूसरों को बदलने की अपेक्षा उनके प्रति अपनी सोच बदल लीजिए। राह के काँटों को हटाना सुगम नहीं है, परंतु चप्पल पहनना अत्यंत सुगम व कारग़र है।

सफलता और सकारात्मकता एक सिक्के के दो पहलू हैं। आप अपनी सोच व नज़रिया कभी भी नकारात्मक न होने दें। जीवन में शाश्वत सत्य को स्वीकार करें। मानव सदैव स्वस्थ नहीं रह सकता। उम्र के साथ-साथ उसे वृद्ध भी होना है। सो! रोग तो आते-जाते रहेंगे। वे सब तुम्हारे साथ सदा नहीं रहेंगे और न ही तुम्हें सदैव ज़िंदा रहना है। समस्याएं भी सदा रहने वाली नहीं हैं। उनकी पहचान कीजिए और अपनी सोच को बदलिए। उनका विविध आयामों से अवलोकन कीजिए और तीसरे विकल्प की ओर ध्यान दीजिए। सदैव चिंतन-मनन व मंथन करें। सच्चे दोस्तों के अंग-संग रहें; वे आपको सही राह दिखाएंगे। ओशो भी जीवन को उत्सव बनाने की सीख देते हैं। सो! मानव को सदैव आशावादी व प्रभु का शुक्रगुज़ार होना चाहिए तथा प्रभु में आस्था व विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि वह हम से अधिक हमारे हितों के बारे में जानता है। समय बदलता रहता है; निराश मत हों। सकारात्मक सोच रखें तथा उम्मीद का दामन थामे रखें। आत्मविश्वास व दृढ़संकल्प से आप अपनी मंज़िल पर अवश्य पहुंच जाएंगे। एमर्सन के इस कथन का उल्लेख करते हुए मैं अपनी लेखनी को विराम देना चाहूंगी ‘अच्छे विचारों पर यदि आचरण न किया जाए, तो वे अच्छे सपनों से अधिक कुछ भी नहीं हैं। मन एक चुंबक की भांति है। यदि आप आशीर्वाद के बारे में सोचेंगे; तो आशीर्वाद खिंचा चला आएगा। यदि तक़लीफ़ों के बारे में सोचेंगे, तो तकलीफ़ें खिंची चली आएंगी। सो! हमेशा अच्छे विचार रखें; सकारात्मक व आशावादी बनें।

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

संपर्क – #239,सेक्टर-45, गुरुग्राम-122003 ईमेल: drmukta51@gmail.com, मो• न•…8588801878

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ साहित्य निकुंज #160 ☆ भावना के दोहे – हनुमान जी का लंका गमन /सीता की खोज – 1 ☆ डॉ. भावना शुक्ल ☆

डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 160 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – हनुमान जी का लंका गमन /सीता की खोज – 1 

पवन वेग से उड़ रहे, उड़ते हैं हनुमान। 

वर्षा पुष्प की कर रहे, देव करे सम्मान।।

 

करते सीता खोज वह, उड़ते सागर पार

पर्वत से सागर कहे, बड़ा करो आकार।।

 

हाथ जोड़ मैनाक है, पवनपुत्र हनुमान।

आड़े आया आपके, कर लो कुछ आराम।।

 

निकले सीता खोज में, वंदन है हनुमान।

मेरे मन में आपका, बहुत बड़ा सम्मान।।

 

लंका की इस राह में, बाधा करें प्रहार।

करना सीता खोज है, पवन न माने हार।।

 

रामदूत हनुमान हूं, बीच करो ना घात।

रूप धरोना सिंहिका, करता हूं आघात।।

 

किया प्रवेश लंका में, भव्य भवन भंडार।

भेंट लंकिनी से हुई, करते पवन प्रहार।।

 

कहा लंकिनी ने बहुत, हे वीर हनुमान।

मेरा जीवन धन्य हुआ, वानर तुझे प्रणाम।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ इंद्रधनुष #147 ☆ संतोष के दोहे ☆ श्री संतोष नेमा “संतोष” ☆

श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है  “संतोष के दोहे । आप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 147 ☆

☆ संतोष के दोहे ☆ श्री संतोष नेमा ☆

सिरफिरों ने कर दिया, चाहत को बदनाम

प्रेम दिखावा, क्रूर मन, करते कत्लेआम

 

संस्कार और संस्कृति, कभी न छोड़ें आप

अपनी यह पहचान है, जिसकी मिटे न छाप

 

बहूरूपियों से बचें, इनका दीन न धर्म

ये निकृष्टजन स्वार्थवश, करते खोटे कर्म

 

राह चलें हम धर्म की, करें नेक सब काज

रखें आचरण संयमित, मेरे ये अल्फ़ाज़

 

धर्म सनातन कह रहा, ईश्वर हैं माँ-बाप

मान रखें उनका सदा, बन कृतज्ञ सुत आप

 

बेटा हों या बेटियाँ, रखो धर्म की लाज

छोड़ें मत माँ-बाप को, कर मरज़ी के काज

 

कभी भरोसा मत करें, करके आँखे बंद

नकली हैं बहु चेहरे, जिनके नव छल-छंद

 

माना जीवन आपका, करें फैसले आप

ध्यान रखें पर कभी भी, दुखी न हों माँ-बाप

 

मात-पिता के प्यार से, बढ़कर  कोई प्यार

हुआ न होगा कभी भी, गाँठ बाँध लो यार

 

युग की नई विडंबना, आडंबर का जोर

बिन सोचे समझे चलें, जिसका ओर न छोर

 

किया प्रेम के नाम पर, मानवता का खून

जिसने तन टुकड़े किये, उनको डालो भून

 

जब भी बहकीं बेटियाँ, हुआ गलत अंजाम

छिनता है ‘संतोष’ तब, उल्टे होते काम

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – कविता ☆ विजय साहित्य #153 ☆ जिंदगी ही… ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते ☆

कविराज विजय यशवंत सातपुते

? कवितेचा उत्सव # 153 – विजय साहित्य ?

☆ जिंदगी ही… ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते ☆

शब्दातल्या शरांनी घायाळ जिंदगी ही

लाचार वेदनांची, जपमाळ जिंदगी ही.

 

एकेक यातनांची , जंत्री चितारलेली.

अक्षम्य त्या चुकांची, बेताल जिंदगी ही.

 

आहे अजून ताकद, हरणार ना कदापी

नापास ठरवते का, दरसाल जिंदगी ही.

 

देऊन टाकले मी, पैशातल्या सुखाला

का वेचतो गरीबी , नाठाळ जिंदगी ही.

 

शब्दास मोल नाही, दुनिया जरी म्हणाली

उध्वस्त आज करते , वाचाळ जिंदगी ही .

 

© कविराज विजय यशवंत सातपुते

सहकारनगर नंबर दोन, दशभुजा गणपती रोड, पुणे.  411 009.

मोबाईल  8530234892/ 9371319798.

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ गीत ऋग्वेद – मण्डल १ – सूक्त १० (इंद्र सूक्त) ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

डाॅ. निशिकांत श्रोत्री 

? इंद्रधनुष्य ?

☆ गीत ऋग्वेद – मण्डल १ – सूक्त १० (इंद्र सूक्त) ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

ऋग्वेद – मण्डल १ – सूक्त १० ( इंद्र सूक्त )

ऋषी – मधुछंदस् वैश्वामित्र : देवता – इंद्र 

मधुछन्दस वैश्वामित्र ऋषींनी पहिल्या मंडळातील दहाव्या सूक्तात इंद्र देवतेला आवाहन केलेले आहे. त्यामुळे हे सूक्त इंद्रसूक्त म्हणून ज्ञात आहे. याच्या गीतरूप भावानुवादाच्या नंतर दिलेल्या लिंकवर क्लिक केले म्हणजे हे गीत ऐकायलाही मिळेल आणि त्याचा व्हिडीओ देखील पाहता येईल. 

मराठी भावानुवाद : डॉ. निशिकांत श्रोत्री 

गाय॑न्ति त्वा गाय॒त्रिणोऽ॑र्चन्त्य॒र्कम॒र्किणः॑ ।

ब्र॒ह्माण॑स्त्वा शतक्रत॒ उद्वं॒शमि॑व येमिरे ॥ १ ॥

गायत्रीतुन भक्त उपासक तुझेच यश गाती

अर्कस्तोत्र रचुनी ही अर्कअर्चनेस अर्पिती

पंडित वर्णित तुझीच महती तुझेच गुण गाती

केतनयष्टी सम ते तुजला उच्च स्थानी वसविती  ||१||

यत्सानोः॒ सानु॒मारु॑ह॒द्भूर्यस्प॑ष्ट॒ कर्त्व॑म् ।

तदिन्द्रो॒ अर्थं॑ चेतति यू॒थेन॑ वृ॒ष्णिरे॑जति ॥ २ ॥

भक्त भटकला नगानगांच्या शिखरांवरुनीया

अगाध कर्तृत्वा इंद्राच्या अवलोकन करण्या 

भक्ती जाणुनि वर्षाधिपती प्रसन्न अति झाला

सवे घेउनीया लवाजमा साक्ष सिद्ध झाला ||२|| 

यु॒क्ष्वा हि के॒शिना॒ हरी॒ वृष॑णा कक्ष्य॒प्रा ।

अथा॑ न इन्द्र सोमपा गि॒रामुप॑श्रुतिं चर ॥ ३ ॥

घन आयाळी वर्षादायक अश्व तुझे बहु गुणी

धष्टपुष्ट देहाने त्यांच्या रज्जू जात ताठुनी 

जोडूनिया बलशाली हयांना रथास आता झणी

प्रार्थनेस अमुच्या ऐकावे सन्निध रे येउनी ||३||  

एहि॒ स्तोमा॑ँ अ॒भि स्व॑रा॒भि गृ॑णी॒ह्या रु॑व ।

ब्रह्म॑ च नो वसो॒ सचेन्द्र॑ य॒ज्ञं च॑ वर्धय ॥ ४ ॥

अमुचि आर्जवे सवे प्रार्थना ऐका धनेश इंद्रा

प्रसन्न होऊनी प्रशंसून त्या त्यासि म्हणा भद्रा

अमुची अर्चना स्वीकारा व्हा सिद्ध साक्ष व्हायला 

यज्ञा अमुच्या यशप्राप्तीचे आशीर्वच द्यायला ||४||

उ॒क्थमिन्द्रा॑य॒ शंस्यं॒ वर्ध॑नं पुरुनि॒ष्षिधे॑ ।

श॒क्रो यथा॑ सु॒तेषु॑ णो रा॒रण॑त्स॒ख्येषु॑ च ॥ ५ ॥

ऐका याज्ञिक ऋत्वीजांनो इंद्रस्तोत्र गावे

सर्वश्रेष्ठ ते सर्वांगीण अन् परिपूर्ण ही असावे

सखेसोयरे पुत्रपौत्र हे असिम सुखा पावावे

देवेंद्राच्या कृपादृष्टीने धन्य कृतार्थ व्हावे ||५||

तमित्स॑खि॒त्व ई॑महे॒ तं रा॒ये तं सु॒वीर्ये॑ ।

स श॒क्र उ॒त नः॑ शक॒दिन्द्रो॒ वसु॒ दय॑मानः ॥ ६ ॥

मनी कामना इंद्रप्रीतिची वैभव संपत्तीची

करित प्रार्थना शौर्यप्राप्तीचा आशीर्वच देण्याची 

आंस लागली देवेंद्राच्या पावन चरणद्वयाची

प्रदान करी रे शक्ती आम्हा अगाध कर्तृत्वाची ||६||

सु॒वि॒वृतं॑ सुनि॒रज॒मिन्द्र॒ त्वादा॑त॒मिद्यशः॑ ।

गवा॒मप॑ व्र॒जं वृ॑धि कृणु॒ष्व राधो॑ अद्रिवः ॥ ७ ॥

तुझ्या कृपेने प्राप्त जाहली कीर्ती दिगंत होई

लहरत लहरत पवनावरुनी सर्वश्रुत ती होई

हे देवेंद्रा प्रसन्न होऊनी धेनु मुक्त करी 

प्रसाद देऊनि आम्हावरती कृपादृष्टीला धरी ||७||  

न॒हि त्वा॒ रोद॑सी उ॒भे ऋ॑घा॒यमा॑ण॒मिन्व॑तः ।

जेषः॒ स्वर्वतीर॒पः सं गा अ॒स्मभ्यं॑ धूनुहि ॥ ८ ॥

तुमच्या कोपा शांतवावया कधी धजे ना कोणी

भूलोकी वा द्युलोकीही असा दिसे ना कोणी

स्वर्गोदकावरी प्रस्थापुन सार्वभौम स्वामित्व

सुपूर्द करुनी गोधन अमुचे राखी अमुचे स्वत्व ||८||

आश्रु॑त्कर्ण श्रु॒धी हवं॒ नू चि॑द्दधिष्व मे॒ गिरः॑ ।

इन्द्र॒ स्तोम॑मि॒मम् मम॑ कृ॒ष्वा यु॒जश्चि॒दन्त॑रम् ॥ ९ ॥

श्रवण तुम्हाला समस्त सृष्टी ऐकावी प्रार्थना 

प्रसन्न व्हावे स्वीकारुनिया माझ्या या स्तोत्रांना 

तुम्हीच माझे सखा मित्र हो माझ्या हृदयाशी

जतन करावे या स्तवनाला घ्या अंतःकरणाशी ||९||

वि॒द्मा हि त्वा॒ वृष॑न्तमं॒ वाजे॑षु हवन॒श्रुत॑म् ।

वृष॑न्तमस्य हूमह ऊ॒तिं स॑हस्र॒सात॑माम् ॥ १० ॥

सर्वश्रेष्ठ तू अशी देवता ज्ञान अम्हापाशी

ऐकुनिया भक्तांची प्रार्थना सहजी प्रसन्न होशी

वरुणाचा तर तूच अधिपति तुझी प्रीति व्हावी

सहस्रावधी श्रेष्ठ कृपा तव अम्हावरती व्हावी ||१०||

आ तू न॑ इन्द्र कौशिक मन्दसा॒नः सु॒तं पि॑ब ।

नव्य॒मायुः॒ प्र सू ति॑र कृ॒धी स॑हस्र॒सामृषि॑म् ॥ ११ ॥

सोमरसाला स्वीकारुनिया सत्वर होई प्रसन्न

इंद्र कौशिका दीर्घायुष्य आम्हा देई दान 

सर्वांहुनिया सहस्रगुणांनी श्रेष्ठ ऐसे ऋषित्व

वर्षुनिया आम्हावरती द्यावे आम्हासि ममत्व ||११||

परि॑त्वा गिर्वणो॒ गिर॑ इ॒मा भ॑वन्तु वि॒श्वतः॑ ।

वृ॒द्धायु॒मनु॒ वृद्ध॑यो॒ जुष्टा॑ भवन्तु॒ जुष्ट॑यः ॥ १२ ॥

वैखरीतुनी सिद्ध स्तोत्र ही तुझेच स्तवन करो

स्वीकारास्तव मम स्तवने ही पात्र श्रेष्ठ ठरो 

करी सुयोग्य सन्मान तयांचा सर्वस्तुत देवा 

अनंत तव आयुसम त्यांना चिरंजीव वर द्यावा  ||१२|| 

© डॉ. निशिकान्त श्रोत्री

९८९०११७७५४

[email protected]

https://youtu.be/VvefU67uon4

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – प्रतिमेच्या पलिकडले ☆ सात सुरांची साथ नव्यांची… ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर ☆

श्री नंदकुमार पंडित वडेर

? प्रतिमेच्या पलिकडले ?

☆ सात सुरांची साथ नव्यांची… ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर ☆

… तू जो मेरे सुर मे सुर मिलाके, संग गाले, तो  जिंदगी हो जाए सफल… सा रे ग म प ध..नी सा… ये म्हणा कि गं तुम्ही पण माझ्या बरोबर.सात सुरांची साथ नव्याची ऑडिशनला आपल्याला उदया जायचयं! आहेना लक्षात? आपल्या सातही जणींची  फायनला निवड पक्की होणारच.केशरबाई तू काळी दोन मधे सुरु करशील.पिवळाक्का तुम्ही काळी चार घ्या बरं. उदयाचा विठूचा गजर टिपेला न्या. तुम्ही दोघी करडू दिदी  यमनचा षड्ज द्रुतलयीत लावाल. मी आणि ग्रे ताई मालकंस नि भैरवी ने मंद्र सप्तकात सांगता करू.

…परिक्षक कोणी असले तरी आपण घाबरायचं नाही. घाबरायचं त्यांनी आपल्याला. एक सुरात म्याँव म्याँव करून त्यांना सळो कि पळो करु.पायात घुटमळत राहू.तोंड पुसत पुसत त्यांना आपली निवड करायला भाग पाडू.नाहीतर अंगावर फिस्कारुन येउ म्हणावं हि धमकी देऊ.आमच्या शिवाय स्पर्धा होणे नाही!आम्ही नसलो तर स्पर्धा उधळून लावू. इतकंच नाही तर विजेते आमच्यातलेच असतील.बाहेरचा कुणी दिसलाच तर स्पर्धेत फिक्सिंग झाले असण्याचा संशयाचा धुरळा मेडियात उडवू देउ अशी तंबीच त्यांना देउ या; आणि आपले सगळेच नंबर आले तर स्पर्धा खेळी मेळीत निकोप वातावरणात झाली,उदयाच्या नव्या गायकांना प्रोत्साहन प्रेरणा अश्या स्पर्धेतून मिळते,म्हणून अश्या स्पर्धा सतत होणं गरजेचे आहे असं मेडियाला मुलाखत देताना तोंड फुगवून सांगूया.यातूनच जे आयोजक, ठेकेदार यांचे उखळ कायम पांढरे होत जाईल. टीआरपी वाढला कि स्पर्धेचे एपिसोड वाढतील.चॅनेल वाल्यांची चांदी आणि नव्या गायकांची एक्सपोजरची नांदी होईल.तेव्हा उदया

“… सारे के सारे गा मा के लेकर गाते चले….”  कोरस हम साथ साथ मे म्हणू या… “

©  नंदकुमार पंडित वडेर

विश्रामबाग, सांगली

मोबाईल-99209 78470.

ईमेल –[email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य से सीखें और सिखाएँ # 128 ☆ साध्य और साधन ☆ श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ ☆

श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं।  आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना “साध्य और साधन। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन।

आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं # 128 ☆

☆ साध्य और साधन ☆ 

एक – एक कदम चलते रहने से कई कदम जुड़ने लगते हैं। स्वाभाविक है कि जब अच्छे उद्देश्य  को लेकर कोई यात्रा हो तो परिणाम सुखद होंगे।कहते हैं कि केवल किताबी ज्ञान से कुछ नहीं होगा जब तक धरातल पर उतरकर उसे जीवन की प्रयोगशाला में सिद्ध न किया जाए। सनातन धर्म में यही खूबी है कि सब कुछ वैज्ञानिकता की  कसौटी पर कसा जा चुका है, ये बात अलग है  कि पश्चिमी विज्ञान उसे आज मान्यता दे रहा है। हमारे यहाँ तो नदियों की पंचकोशी परिक्रमा का भी अनुष्ठान होता है। नर्मदा नदी की तो सम्पूर्ण परिक्रमा की जाती है। हरियाली से भरा परिवेश, जन – जीवन- जंगल- जमीन से जुड़कर जनमानस एक दूसरे का सहयोग करना सीख जाता है। नर्मदा किनारे बसे गाँवो के लोग अन्न क्षेत्र का निर्माण करते हैं। सामान्य परिवार भी किसी परिक्रमा वासी को भूखा नहीं रहने देते। आज के समय में जब लोग पाई- पाई का हिसाब रखते हैं तब भी कुछ स्थान ऐसे हैं जो खुले दिल से सम्मान करना और कराना जानते हैं।

यही तो यात्रियों और यात्राओं की खूबी है कि वो हर परिस्थिति, जलवायु में जीना जानते हैं। जो आनन्द पैदल चलने में है वो वाहन की सवारी में नहीं, लोग जब आपसे मिलने आते हों तो विशिष्टता का अहसास होता है और यही जीने की वजह बन जाता है। ऐसे में लक्ष्य को साधना सरल लगने लगता है। हाथों में हाथ लेकर  चलते हुए मन ये कहने लगता है अब मंजिल दूर नहीं।

सब कुछ सहजता से मिल सकता है बस नियत सच्ची होनी चाहिए। बिना योग्य हुए यदि मंजिल तक पहुँच भी गए तो भी वहाँ टिक नहीं सकते हैं। जब तक मनुष्य का सर्वांगीण विकास नहीं होगा तब तक  पाना- खोना चलता रहेगा। सबको साथ लेने की कला बहुत जरूरी होती है,जब तक मानव मन की समझ नहीं होगी तब तक साध्य असाध्य रोग की तरह पीछा करता रहेगा।

खैर चलते हुए लोग, उड़ते हुए पंछी, तैरती हुई मछली, हरा- भरा जंगल, कल- कल करती नदियाँ अच्छी लगतीं हैं।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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