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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण # 191 ☆ “महान चित्रकार आशीष स्वामी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय (श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक संस्मरण – “महान चित्रकार आशीष स्वामी…”।) ☆ संस्मरण — “महान चित्रकार आशीष स्वामी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆ उमरिया जैसी छोटी जगह से उठकर शान्ति निकेतन, जामिया मिलिया दिल्ली, फिल्म इंडस्ट्री मुंबई में अपना डंका बजाने वाले ख्यातिलब्ध चित्रकार, चिंतक, आशीष स्वामी जी ये दुनिया छोड़कर चले गए।  कोरोना उन्हें लील गया। मैंने एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान उमरिया में तीन साल से अधिक डायरेक्टर के रूप में काम किया। मेरे कार्यकाल के दौरान उमरिया जिले के दूरदराज के जंगलों के बीच से आये गरीबी रेखा...
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हिन्दी साहित्य – संस्मरण – “रमेश बत्तरा- लघुकथा की नींव का एक बड़ा कुशल कारीगर”☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय  (जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)    ☆ संस्मरण - “रमेश बत्तरा- लघुकथा की नींव का एक बड़ा कुशल कारीगर” ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆ (मित्र डाॅ घोटड़ की पुस्तक 'रमेश बतरा की लघुकथाएं' से) रमेश बत्तरा -मेरा मित्र भी और कह सकता हूं कि कदम कदम पर मार्गदर्शक भी। हमारा परिचय तब हुआ जब करनाल से बढ़ते कदम नाम से एक पत्रिका संपादित करनी शुरू की रमेश ने और मुझे खत आया सहयोग व रचना के लिए। रचना भेजी। प्रवेशांक में...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण # 189 ☆ “परसाई के शहर में शरद जोशी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय (श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक माइक्रो व्यंग्य  – ——।) (जन्म: 21 मई 1931 - मृत्यु: 5 सितम्बर 1991) ☆ संस्मरण — “परसाई के शहर में शरद जोशी…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆ (स्व. शरद जोशी जी के जन्मदिवस पर विशेष)  वर्षों पूर्व आदरणीय शरद जोशी जी "रचना"  संस्था के आयोजन में परसाई की नगरी जबलपुर में मुख्य अतिथि बनकर आए थे।  हम उन दिनों "रचना" के संयोजक के रूप में सहयोग करते थे।  उन दिनों "रचना" को साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक संस्था का मान था । प्रत्येक रंगपंचमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्तर के हास्य व्यंग्य के...
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हिन्दी साहित्य – संस्मरण ☆ रमेश बतरा : तुम्हारा एक पुराना खत मिला है… ☆ श्री कमलेश भारतीय

श्री कमलेश भारतीय  जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता (15 मार्च - स्व रमेश बतरा जी की पुण्यतिथि पर विशेष) ☆ संस्मरण ☆ रमेश बतरा : तुम्हारा एक पुराना खत मिला है... ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆  बीते बरस पर बरस पर याद और साथ बरकरार है । तुम्हारा एक पुराना खत मिला है संडे मेल के दिनों का लो पढ़ लो, तुम भी । जहां भी हो...  -कमलेश भारतीय) @दिलशाद गार्डन से @प्रिय कमलेश ! -तुम्हारा संग्रह...
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हिन्दी साहित्य – संस्मरण ☆ ‘मास्कमैन ऑफ इंडिया’ ☆ तत्सम्यक मनु ☆

☆ संस्मरण ☆ 'मास्कमैन ऑफ इंडिया' ☆  तत्सम्यक मनु ☆ फरवरी 2020 के किसी तारीख की बात है। मैं बिहार की राजधानी पटना से परीक्षा देकर वापस घर को लौट रहा था, जिस ट्रेन के लिए सीट आरक्षित था, कैपिटल एक्सप्रेस थी। रात्रि के 11 बजे ट्रेन आई और मैं अपने गंतव्य को जाने के लिए पूर्वयोजित 'सीट' पर बैठ गया, जो कि लोवर बर्थ थी ! उस तारीख में भी देश में 'कोरोना' अपनी मायाजाल फैलाते हुए बढ़ी जा रही थी, पटना में भी वायरस आ चुके थे, सिर्फ़ प्रमाणित होना बाकी था, किन्तु मैंने दूरअंदेशी को देखते हुए 'मास्क' लगाना शुरू कर दिया था। जिस कंपार्टमेंट में मैं बैठा था, मैंने देखा कि उस कंपार्टमेंट में ही नहीं, वरन पूरी बोगी में किसी यात्री ने मास्क पहने हुए नहीं थे। मैंने सामने की सीट पर बैठे सहयात्री भाई साहब से पूछ ही बैठा- 'क्या सर कोरोना चली गयी क्या ? आपने मास्क नहीं लगाया है !' रात्रि का समय होने...
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हिन्दी साहित्य – संस्मरण ☆ वर्तिका… निरंतरता की यात्रा ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ (प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है। आज प्रस्तुत है संस्कारधानी जबलपुर की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था वर्तिका के 35वें वार्षिकोत्सव पर आपके संस्मरण – वर्तिका... निरंतरता की यात्रा।) ई-अभिव्यक्ति द्वारा 14 नवंबर 2018 को डॉ विजय तिवारी 'किसलय' जी द्वारा "वर्तिका" पर आधारित आलेख आप निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं - संस्थाएं – वर्तिका (संस्कारधानी जबलपुर की साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था) – डॉ विजय तिवारी “किसलय” ☆ संस्मरण ☆ वर्तिका... निरंतरता की यात्रा ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆ (यह एक संयोग है की 1981-82 में मैंने वाहन निर्माणी...
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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – पुनर्पाठ- वह निर्णय ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज (श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) ☆ आपदां अपहर्तारं ☆ 🕉️ मार्गशीष साधना🌻 आज का साधना मंत्र  - ॐ नमो भगवते वासुदेवाय आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना...
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हिन्दी साहित्य – यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 22 – हेलो हेलोवीन ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ (प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है आपकी विदेश यात्रा के संस्मरणों पर आधारित एक विचारणीय आलेख – ”न्यू जर्सी से डायरी…”।) यात्रा संस्मरण ☆ न्यू जर्सी से डायरी… 22 ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  हेलो हेलोवीन पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके सुस्मरण के लिए पितृ पक्ष के १५ श्राद्ध दिवस भारत में मानने की परंपरा है । यहां पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रगट करने अक्तूबर माह के अंतिम रविवार को हेलोवीन त्यौहार मनाया जाता है. जहां अन्य त्यौहारों में नए-नए कपड़े पहनते हैं, वहीं हेलोवीन में लोग...
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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ परदेश – भाग -9 – परदेश में स्वदेश ☆ श्री राकेश कुमार ☆

श्री राकेश कुमार (श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” आज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।) ☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – 9 – परदेश में स्वदेश  ☆ श्री राकेश कुमार ☆ खरीदारी अब आवश्यकता के स्थान पर आनंद (मज़ा) प्राप्त करने का साधन होती जा रही हैं। यात्रा के वातानुकूलित साधन, सजे हुए बाज़ार, जेब में रखे हुएं नाना प्रकार के उधार कार्ड, शायद ये ही वर्तमान है। हम को बचपन से ही एक बात बताई गई थी कि "जितनी चादर हो उतने पैर पसारने चाहिए" शायद अब ये शिक्षा समय के साथ दफ़न हो चुकी है। घर के उपयोग की स्वदेशी वस्तुएं किराना इत्यादि का सामान...
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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – संस्मरण – मेरे शिक्षक ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज (श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) ☆ आपदां अपहर्तारं ☆ आज की साधना श्रीगणेश साधना, गणेश चतुर्थी तदनुसार बुधवार 31अगस्त से आरम्भ होकर अनंत चतुर्दशी तदनुसार शुक्रवार 9 सितम्बर तक चलेगी। इस साधना का मंत्र होगा- ॐ गं गणपतये नमः साधक इस मंत्र के मालाजप के साथ ही कम से कम एक पाठ अथर्वशीर्ष का भी करने का प्रयास करें। जिन साधकों को अथर्वशीर्ष का पाठ कठिन लगे, वे कम से कम...
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