हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 21 – यात्रा वृत्तांत – मॉरिशस की मेरी सुखद स्मृतियाँ ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा वृत्तांत - काज़ीरंगा) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 21 ☆  मेरी डायरी के पन्ने से...  - यात्रा वृत्तांत - मॉरिशस की मेरी सुखद स्मृतियाँ  June 2023 में पाँच अरबपतियों को लेकर टाइटैनिक दिखाने की यात्रा के लिए निकली पनडुब्बी का मलबा मिला है। एक अति उत्कृष्ट, अति उत्तम अत्याधुनिक पनडुब्बी जिसमें 96घंटे तक की ऑक्सीजन की व्यवस्था थी, फिर भी किसी कारणवश समुद्र की सतह पर यह पनडुब्बी लौटकर न आई। टाइटैनिक से चार सौ मीटर की दूरी पर पनडुब्बी में विस्फोट हुआ और भीतर बैठे लोगों के चिथड़े उड़ गए। इस अत्यंत दुखद घटना को सुनकर, उसकी...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 20 – यात्रा वृत्तांत – काज़ीरंगा ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा वृत्तांत - काज़ीरंगा) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 20 ☆  मेरी डायरी के पन्ने से...  - यात्रा वृत्तांत - काज़ीरंगा  कुछ घटनाएँ चिरस्मरणीय होती हैं। हमारे बचपन में उन दिनों हर घर के नियम होते थे कि पहला सितारा दिखे तो संध्या समय पर खेलकर घर लौटना है। खिलौने तो होते न थे सारे दोस्त मिलकर ही कोई न कोई खेल इज़ाद कर लेते थे। खेलते -खेलते समय का भान न रहता कि कब सूर्यदेव अस्त हो गए और कब आसमान सितारों की चमक से भर उठा। घर लौटते तो माँ की डाँट अवश्य पड़ती और रोज़ एक ही बहाना...
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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –3 ☆ श्री सदानंद आंबेकर ☆

श्री सदानंद आंबेकर  मनमंजुषेतून  ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –3 ☆ श्री सदानंद आंबेकर☆ १७ जून :: नदी तटावर – नीरा गाव : अंतर ७.४४ कि. मी.  रोजच्यापेक्षा आज आम्हांला थोडी सवलत मिळाली कारण आजचे आमचे अंतर फार कमी होते। येथे वाल्हे नावाच्या गावांत माऊलींची पालखी विश्राम घेते. पण आमचा मुक्काम नीरा गावात एका  खूप मोठया शाळेत होता। फार मोठे भवन आणि अतिशय मोठं पटांगण। आत्तापर्यत आपापसांत ओळखी झाल्या होत्या त्याचा फायदा आम्हाला आज झाला। आमच्या दिंडीतील एका वारकरीताईचे माहेरघर त्या गावात होते, दिंडीची परवानगी घेऊन आम्ही काही जण तिथे राहिलो. आज विशेष थकवा नव्हता। संध्याकाळी प्रथेनुसार हरिपाठ व जेवण झाले। आज तर मोठयाश्या अंगणात झोपायची छान सोय होती। दुसरे दिवशी गावातल्या नीरा नदीत माउलींचे स्नान होते. त्यामुळे पालखीचे दर्शन, त्यांच्या अश्वांचे दर्शन आणि स्नानाचा सोहळा पहायला मिळाला। १८ जून :: पुढील टप्पा लोणंद : अंतर ६.३१ कि.मी.  आजपण लोणंदपर्यंतचे अंतर अगदी कमी होते। आता चालण्याची इतकी सवय झाली होती की दहा बारा किलोमीटर अगदी सोपं वाटायचं। तिथे रेल्वे स्थानकाजवळ...
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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –2 ☆ श्री सदानंद आंबेकर ☆

श्री सदानंद आंबेकर  मनमंजुषेतून  ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –2 ☆ श्री सदानंद आंबेकर☆ वारीचा पहिला दिवस - पहिला अनुभव - पहिली परीक्षा एका ओळीत चालत मुखाने हरिनाम स्मरण करीत हळू-हळू शहरातील रस्त्यांवरून वारी चालली। पुढे जाता जाता अजूनही काही दिंड्या येऊन सहभागी होऊ लागल्या …. जसे गावागावातून वहात येणाऱ्या लहान नद्या पुढे एका नदीत येऊन मिसळतात नि एक मोठी नदी निर्माण होते … तसेच काहीसे वाटून गेले. वारीचा खरा उत्साह आता दिसू लागला होता। चहुकडे नुसता नामाचा गजर, भारी गर्दी, त्यांत आता आमच्या दिंडीचे वारकरी वेगळे होऊन गेले। रांग वगैरे सगळी संपली। आता आपण फक्त एका गावचे नाही …  आता संपूर्ण विश्व आपला परिवार आहे असा भाव निर्माण झाला। वारकरी आपसांत एकमेकांना माऊली हे असे संबोधतात । भक्तीची ही असाधारण भावना बघून माझे मन भारावून गेले, आणि त्याच क्षणी मी निर्णय केला की  घरी गेल्यावर हे सर्व विस्ताराने लिहायचे,  ज्याने श्रध्देचा हा अनुभव इतरांना घेता येईल।  आता थोडे त्यांचे वर्णन, जे स्वतः प्रत्यक्ष वारीत नव्हते पण ज्यांची भावना वारकऱ्यांपेक्षा...
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मराठी साहित्य – मनमंजुषेतून ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –1 ☆ श्री सदानंद आंबेकर ☆

श्री सदानंद आंबेकर  मनमंजुषेतून  ☆ आध्यात्मिकतेचा श्रेष्ठ अनुभव – पंढरीची पायी आषाढी वारी 2023 – भाग –1 ☆ श्री सदानंद आंबेकर☆ भारत – अध्यात्माची मायभूमी - जिथे सजीव आणि निर्जीव दोन्हींमधे देव बघितला जातो। श्रध्दा हा जीवनाचा आधार – त्या पार्श्वभूमीवर अनेक देवस्थानं आणि त्यांच्या विविध परंपरा। अशीच एक सुमारे ७०० वर्षांपासून चालत आलेली उच्चस्तरीय परंपरा आहे —’आषाढ आणि कार्तिक महिन्यात होणारी पंढरीची वारी।’ विठ्ठल-रखुमाईचा जागृत वास असलेली पुण्यनगरी पंढरपूर... येथे फक्त महाराष्ट्रच नाही तर इतर प्रांतातून आणि परदेशातूनसुध्दा भाविकगण वारी करायला मुख्यतः आषाढ महिन्यात येतात। ईश्वर कृपेने ही पायी वारी करण्याची संधी यंदा मला मिळाली। सुरुवातीला या यात्रेबद्दल काहीच माहित नसल्यामुळे मनात अनेक प्रश्न काहूर माजले होते। बरेच प्रश्न - कुठं जाऊ, किती अंतर असणार, रस्ता कसा असेल, लोकं कोण नि कसे असतील, जेवणाचं, थांबायचं कसं नि कुठे, इत्यादि होते. पण यांची माहिती मिळवली नि माझ्या गृहनगर भोपाळ येथून देवाचं नाव घेऊन घराबाहेर पाऊल  टाकलं। पुण्यात माझी आतेबहिण नि भाची यांची भेट आमच्या दिंडीने ठरविलेल्या ठिकाणी - ‘गुप्ते मंगल कार्यालय, शनिवार पेठ पुणे‘ येथे झाली। खरं...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 18 – हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 2 ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 2) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 18 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से...  - हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 2  (अक्टोबर 2017) क्रीट्स से एक सुखद, सुंदर, अविस्मरणीय यात्रा के पश्चात हम लोग एजीएन एयरलाइंस द्वारा एथेंस के लिए रवाना हुए। क्रीट से एथेंस का अंतर 198 माइल्स है। यहाँ पहुँचने में हमें 60 मिनट लगे होंगे लेकिन सामान लेकर बाहर आते, आते घंटा सवा घंटा हो ही गया। यहाँ एक विषय पर विशेष प्रकाश डालना चाहूँगी कि हम जब अंतर्राष्ट्रीय एयर लाइन्स द्वारा यात्रा करते हैं तो...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 17 – हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 1 ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 1) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 17 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से...  - हमारी ग्रीस यात्रा – भाग 1   (अक्टोबर 2017) हमारी ग्रीस की यात्रा - ज़मीं से जुड़े लोग हम अपने नाती को साथ लेकर इटली और ग्रीस की यात्रा पर निकले थे। इटली की सैर पूरी हो गई तो हम ग्रीस के लिए रवाना हुए। हमारी पहली मंजिल क्रीट थी। क्रीट ग्रीस का एक सुंदर और सबसे बड़ा द्वीप है। एक तरफ पहाड़ का सुंदर हरा-भरा दृष्य है और दूसरी तरफ आकर्षक शांत, गहरे नीले...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 16 – हमारी इटली यात्रा – भाग 4 ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...हमारी इटली यात्रा - भाग 4) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 16 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से...  - हमारी इटली यात्रा - भाग 4  (अक्टोबर 2017) हमारा चौथा पड़ाव था वेनिस। रोम से वेनिस सुपर फास्ट ट्रेन द्वारा चार घंटे का सफर है। कैरोलीन और डेनिस भी साथ थे। वास्तव में कैरोलीन के कहने पर ही हम भी चल पड़े थे। वे दोनों वहाँ से तेईस दिनों की क्रूज़ पर निकलने वाले थे। जिस होटल में वे रहने जा रहे थे, हमें भी वहाँ एक कमरा मिल गया। ट्रेन से जाते हुए...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 15 – हमारी इटली यात्रा – भाग 3 ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...हमारी इटली यात्रा - भाग 3) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 15 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से...  - हमारी इटली यात्रा - भाग 3  (अक्टोबर 2017) हमारा तीसरा पड़ाव था पॉम्पे। पॉम्पे संसार का एकमात्र ऐसा शहर है जो ज्वालामुखीय लावा के कारण उध्वस्त हो चुका था और फिर कभी न बसा। यह शहर बहुत पुराना शहर था। पॉम्पे मैगनस नामक रोमन जेनरल ने इस शहर की स्थापना की थी। बाद में यह शहर लोगों की छुट्टी मनाने की जगह बन गई थी। यहाँ के मकान अत्यंत सुंदर और रंग बीरंगी टाइल्स...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 14 – हमारी इटली यात्रा – भाग 2 ☆ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...हमारी इटली यात्रा - भाग 2) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 14 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से...  - हमारी इटली यात्रा - भाग 2  (अक्टोबर 2017) रोम में घूमते हुए हम अपने पसंदीदा और चयनित स्थानों को प्रतिदिन देखने निकलते। यहाँ आप सबसे एक बात साझा करती हूँ आप अगर किसी ट्रैवेलिंग कंपनी के साथ जाते हैं तो वे आपको दिखाएँगे तो सभी महत्त्वपूर्ण स्थान पर विस्तार से देखने का समय नहीं दिया जाता। जिस कारण आप अपनी इच्छानुसार किसी भी स्थान पर पर्याप्त समय रुककर उसका आनंद नहीं ले पाते।...
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