हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 14☆ मलाला हूँ मैं ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  सुमन बाजपेयी जी की प्रसिद्ध पुस्तक “मलाला हूँ मैं ” पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा . यह मलाला यूसुफजई  के संघर्ष की प्रेरक पुस्तक है । श्री विवेक जी  का ह्रदय से आभार जो वे प्रति सप्ताह एक उत्कृष्ट एवं प्रसिद्ध पुस्तक की चर्चा  कर हमें पढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 14  ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – मलाला हूँ मैं   

 

पुस्तक – मलाला हूँ मैं 

लेखिका  – सुमन बाजपेयी

प्रकाशक –  राजपाल एण्ड सन्स, कश्मीरी गेट दिल्ली

 

☆ मलाला हूँ मैं – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

कल मैं अपनी लाइब्रेरी में से एक किताब “मलाला हूं मैं” पलट रहा था तभी मुझे एक व्हाट्सअप मैंसेज मिला जिसमें  कुरआन शरीफ पर लिखी गयी पंक्तियाँ उद्धृत की गई थी…. उस मैसेज ने मुझे हाथ में उठाई किताब पढ़ने पर विवश कर दिया. तालिबान के सरकारो को  हिला देने वाले आतंक के सम्मुख एक बच्ची के जिजिविषा पूर्ण संघर्ष को सरल शब्दो में बताने वाली यह किताब बहुत प्रेरक है.

स्वात घाटी पाकिस्तान में वैसे ही नैसर्गिक सुंदरता बिखेरती है जैसे भारत में काश्मीर. किन्तु तालिबान के कट्टर मुस्लिमवाद ने वहां का जनजीवन छिन्न भिन्न कर रखा है. बी बी सी में अपने पेन नेम गुलमकई नाम से वहां के हालात की डायरी लिखने वाली बच्ची मलाला लड़कियो के शिक्षा, खेलने, बोलने जैसे मौलिक मानव अधिकारो की पैरोकार के रूप में ऐसी स्थापित हो गई कि कलम के सम्मुख तालिबानो की बंदूके हिलने लगी थी, और परिणामतः मलाला पर कायराना हमला किया गया था.

खुशकिस्मत मलाला इस  हमले में लंबे संघर्ष के बाद बच गई और वैश्विक सुर्खियो बन गई. उसे २०१४ में नोबल शांति पुरस्कार सहित अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान मिले.

इस पुस्तक में छोटे छोटे चैप्टर्स में मलाला युसुफजई के बचपन, उसके संघर्ष और प्रसिद्धि को बहुत रोचक व प्रभावी तरीके से बताने में लेखिका सफल रही हैं. किताब के अध्याय हैं  “मलाला हूंमैं”, हिम्मत की मिसाल, स्वात की बेटी, चुना संघर्ष का रास्ता, उठाई आवाज, मेरा स्वात, शाइनिंग गर्ल, बढ़ती दहशत, डायरी में लिखी सच्चाई, हो गई चर्चित, राजनीतिक कैरियर, प्रसिद्धि बढ़ती गई, हुई क्रूरता की शिकार, पूरी दुनिया साथ हो गई, हर घर में मलाला, काम आई दुआयें, सपना पूरा हुआ, बन गई एक रोशनी, संयुक्त राष्ट्र संघ में दिया गया भाषण, सम्मान व पुरस्कार, एक गजल मलाला के नाम.

किताब इसलिये भी आज प्रासंगिक है क्योकि पाकिस्तान हर मोर्चे पर धराशायी हो रहा है पर दुनियां में आतंक का नासूर खत्म होने ही नही आ रहा. भारत में सरकार तीन तलाक, मदरसो की शिक्षा पर बेहतर करने का यत्न  कर रही है किन्तु अभी भी धर्म की  सही व्याख्या समझे बिना शरीयत के पैरोकार सुधारवादी कदमो का विरोध करते दिखते हैं. मलाला सिर्फ एक महिला नही, उसके इरादे को एक आंदोलन एक वैश्विक जुनून बनाये जाने की जरूरत है.

निदा फाजली की गजल है ..

मलाला , आंखें तेरी चांद और सूरज
तेरा ख्वाब हिमाला
झूठे मकतब में सच्चा कुरान पढ़ा है तूने
अंधियारो से लड़नेवाली तेरा नाम उजाला

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 13 ☆ मेलुहा के मृत्युंजय ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  विश्वप्रसिद्ध पुस्तक “मेलुहा के मृत्युंजय ” पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा .  श्री विवेक जी द्वारा प्रेषित  विगत पुस्तक चर्चाएं वास्तव में “बैक टू बैक ” पढ़ने लायक पुस्तकें हैं ।श्री विवेक जी  का ह्रदय से आभार जो वे प्रति सप्ताह एक उत्कृष्ट  एवं विश्व प्रसिद्ध पुस्तक की चर्चा  कर हमें पढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 13  ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – मेलुहा के मृत्युंजय   

पुस्तक – मेलुहा के मृत्युंजय 

हिन्दी अनुवाद –  The Immortals of Meluha 

लेखक – अमीष त्रिपाठी 

मूल्य –  195 रु

प्रकाशक –  वेस्टलैंड लिमिटेड

ISBN 978-93-80658-82-7

 

☆ मेलुहा के मृत्युंजय – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

पौराणिक साहित्य पर अनेक उपन्यास , महाकाव्य आदि लिखे गये हैं. अमीश त्रिपाठी ऐसे महान लेखक हैं जिन्होने भारतीय जनमानस में व्याप्त आध्यात्मिक कथाओ को एक सूत्र में पिरोकर अपनी लेखनी से चित्रमय झांकी बनाकर प्रस्तुत करने में सफलता पाई है.

उनके लिखे उपन्यास मेलूहा के मृत्युंजय भगवान शिव की भारतीय कल्पना को साकार रूप देकर एक महानायक के रूप मे वर्णित करती है. आज का अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत का पश्चिमोत्तर भाग जहां सरस्वती नदी बहा करती थी मेलूहा भू भाग के रूप में वर्णित है. इस कथानक में अमीश जी ने साहसिक लेखन करते हुये शिव को भावुक प्रेमी, भीषण योद्धा, चमत्कारी मार्गदर्शक, प्रबल नर्तक के रूप में एक सच्चरित्र शक्तिमान व्यक्ति के रूप में  केंद्र में रखते हुये ३ उपन्यास लिख डाले हैं. इसी श्रंखला के अन्य दो उपन्यास हैं नागाओ का रहस्य व वायुपुत्रो की शपथ. किताबें मूलतः सरल अंग्रेजी में लिखी गई थी फिर उनके अनुवाद हिन्दी सहित कई भाषाओ में हुये और पुस्तकें बेस्ट सेलर रही हैं.

मैंने गहराई से तीनो ही पुस्तकें पढ़ी.  १९०० ई पू की देश काल परिस्थिति में स्वयं को उतारकर धार्मिक विषय पर लिख पाना कठिन कार्य था जिसे अमीश ने बखूबी कर दिखाया है.

आज जब अदालतें ये सबूत मांगती हैं कि राम हुये थे या नही? ये उपन्यास एक जोरदार जबाब हैं, जिनमें ४००० वर्ष पहले शिव को एक भगवान नही एक महान व्यक्ति के रूप में कथानायक बनाया गया है. पुस्तक  पठनीय व संग्रहणीय है

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 12 ☆संयासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी ”  ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  विश्वप्रसिद्ध पुस्तक “संयासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी ”  जिसकी 30 लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं पर श्री विवेक जी  की चर्चा ।)

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 12  ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – संयासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी 

पुस्तक – संयासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी

हिन्दी अनुवाद –  The monk who sold his Ferari का  हिंदी संस्करण

लेखक – रोबिन शर्मा

मूल्य –  199 रु

किताब जिसकी दुनियां भर में ३० लाख प्रतियां बिकी  

 

☆ संयासी जिसने अपनी संपत्ति बेच दी– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

जूलियन मेंटले एक वकील थे, जो अनियमित जीवन शैली से निराश हो चुके थे. बाद में उन्होने अपने पेशे, धन दौलत घर को त्याग कर हिमालय की कन्दराओ में सिवाना के संतो के साथ ज्ञान प्राप्त किया. उनके जीवन का निचोड़ बताती यह पुस्तक जिसे दुनिया के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लेखको में से एक राबिन शर्मा ने लिखा है और जिस किताब की दुनियां भर में ३० लाख प्रतियां बिक चुकी हैं पठनीय है व जीवन दर्शन सिखाती है. किताब बताती है कि कैसे हम अपने जीवन में आनंद का विस्तार कर सकते हैं. जीवन के उद्देश्य और आवश्यकता को समझ सकते हैं. जीवन में स्वयं अपने पर कैसे शासन किया जावे, अपने समय को किस तरह सुनियोजित करना चाहिये, तथा अपने रिश्तो को किस तरह निभाना चाहिये तथा जीवन को उसकी परिपूर्णता में कैसे जीना चाहिये यह इस किताब को पढ़कर ज्ञात होता है.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 11 ☆बेनजीर भुट्टो..मेरी आप बीती”  ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है पुस्तक “बेनजीर भुट्टो..मेरी आप बीती”  पर  श्री विवेक जी  की चर्चा ।)

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 11  ☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – बेनजीर भुट्टो..मेरी आप बीती

पुस्तक – बेनजीर भुट्टो..मेरी आप बीती

हिन्दी अनुवाद –  अशोक गुप्ता और प्रणय रंजन तिवारी

मूल्य –  225 रु

प्रकाशक – राजपाल प्रकाशन, दिल्ली

☆ डाटर आफ द ईस्ट – बेनजीर भुट्टो- मेरी आप बीती– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

पाकिस्तान से हमारी कितनी भी दुश्मनी क्यो न हो, हमेशा से वहाँ की राजनीति, लोगों और संस्कृति भारतीयो की रुचि के विषय रहे हैं. यही वजह है कि  बेनजीर भुट्टो की आत्मकथा का हिन्दी रूपांतर राजपाल पब्लिकेशन्स ने प्रकाशित किया. काश्मीर के नये हालात ने मुझे अपने बुकसेल्फ से यह पुस्तक निकाल कर एक बार पुनः नये सिरे से पढ़ने के लिये प्रेरित किया. मूलतः अंग्रेजी में लिखी गई इस किताब का हिन्दी अनुवाद अशोक गुप्ता और प्रणय रंजन तिवारी ने किया है. पब्लिक फिगर्स द्वारा आत्मकथा लिखना पुराना शगल है, डाटर आफ द ईस्ट, शीर्षक से  बेनजीर भुट्टो ने अपनी आत्मकथा १९८८ में लिखी थी, जिसमें मार्क सीगल ने उनके साथ मिलकर १९८८ से २००७ तक के घटनाक्रम को जब वे पाकिस्तान वापस लौटी को जोड़ा. अंततोगत्वा उनकी हत्या हुई. किताब बताती है कि पाकिस्तान के हालात हमेशा से अस्थिर व चिंताजनक रहे हैं. मेरे पिता की हत्या, अपने ही घर में बंदी, लोकतंत्र का मेरा पहला अनुभव, बुलंदी के शिखर छूते आक्सफोर्ड के सपने, जिया उल हक का विश्वासघात, न्यायपालिका के हाथो मेरे पिता की हत्या, मार्शल ला को लोकतंत्र की चुनौती, सक्खर जेल में एकाकी कैद, कराची जेल में अपनी माँ की पुरानी कोठरी में बंद, सब जेल में अकेले दो और वर्ष, निर्वासन के वर्ष, मेरे भाई की मौत, लाहौर वापसी और १९८६ का कत्लेआम, मेरी शादी, लोकतंत्र की नई उम्मीद, जनता की जीत, प्रधानमंत्री पद और उसके बाद, उपसंहार, इन उपशीर्षको में बेनजीर भुट्टो ने अपनी पूरी बात रखी है.  पुस्तक में वे लिखती हैं कि आतंकवादी इस्लाम का नाम लेकर पाकिस्तान को खतरे में डाल रहे हैँ… फौजी हुकूमत छल कपट और षडयंत्र के खतरनाक खेल खेलती है.. किंबहुना बेनजीर के वक्त से अब पाकिस्तान में आतंक और पनपा है, वहां के हालात बदतर हो रहे हे हैं, जरूरत है कि कोई पैगम्बर आये जो  जिहाद को सही तरीके से वहां के मुसलमानो को समझाये, अमन और उसूलो की किताब  कुरान की मुफीद व्याख्या दुनियां की जरूरत बन चुकी है.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 10 ☆ इस समय तक ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  पुस्तक “इस समय तक ” पर श्री विवेक जी की पुस्तक  चर्चा।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 10  ☆ 

☆ पुस्तक – इस समय तक 

पुस्तक – इस समय तक

लेखक : धर्मपाल महेंद्र जैन, टोरंटो, केनेडा

कविता संग्रह इस समय तक क)

धर्मपाल महेंद्र जैन, टोरंटो, केनेडापृष्ठ १६०, मूल्य २५०, हार्ड बाउंड,  टेबल बुक

पृष्ठ  १६०, मूल्य २५०, हार्ड बाउंड,  टेबल बुक

प्रकाशक.. शिवना प्रकाशन सीहोर

☆ काव्य संग्रह : इस समय तक – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

कवि के समाज सापेक्ष मनोभावो की कलात्मक अभिव्यक्ति ही कविता होती है. धर्मपाल महेंद्र जैन का अनुभव संसार व्यापक रहा है, वे झाबुआ जैसे गांव में जन्म लेकर आज टोरंटो में जा बसे हैं, ३५ वर्षो तक भारतीय बैंको में  जिम्ंमेदार पदो पर कार्यरत रहते हुये उन्होने लोगों को बहुत पास से पढ़ा हैं. शिवना प्रकाशन सीहोर ने इंटरनेट के माध्यम से और मुद्रण के स्तरीय पैमानो पर नये लेखको को वैश्विक मंच दिया है. इसी क्रम में इस समय तक कविता संग्रह के रूप में  माँ, प्यार, बेटी, शब्द, गांव, प्रकृति, सत्ता, आदमी जैसे शीर्षको के अंतर्गत विभिन्न उप शीर्षको से छोटी बड़ी कवितायें करीने से प्रस्तुत की गई हैं. शिवना प्रकाशन ने किंचित न या प्रयोग करते हुये चौकोर आकार की सुंदर सी पुस्तक के रूप में इन कविताओ को साफ सुथरी प्रिंटिग में सहेजा है.डा कमल किशोर गोयनका नें भूमिका में बहुत अच्छी तरह  कवि की रचनात्मक संवेदना को पहचाना  है. हर कविता एक सुविचार को रेखांकित करती है, व पाठक को वैचारिक सामग्री देती है, जिसे वह अपनी समझ के अनुसार पोषित कर  सकता है.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 9 ☆ बाल साहित्य – भोलू भालू सुधर गया ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “बाल साहित्य – भोलू भालू सुधर गया। 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 9 ☆ 

☆ पुस्तक – भोलू भालू सुधर गया

पुस्तक चर्चा

☆ बाल साहित्य   – भोलू भालू सुधर गया– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

पुस्तक – भोलू भालू सुधर गया

लेखक – पवन चौहान

प्रकाशक – बोधि प्रकाशन, जयपुर

मूल्य – १०० रु

 

बाल साहित्य रचने के लिये बाल मनोविज्ञान का जानकार होना अनिवार्य होता है. दुरूह से दुरूह बात भी खेल खेल में, चित्रात्मकता के साथ सरल शब्दो में बताई जावे तो बच्चे उसे सहज ही ग्रहण कर लेते हैं. बचपन में पढ़ा गया साहित्य जीवन भर स्मरण रहता है, और बच्चे को संस्कारित भी करता है.

बाल गीत, बाल कथाओ का इस दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है. बच्चो की कहानियो के पात्र काल्पनिक होते हैं किन्तु वे बच्चो के नायक होते हैं.

नानी दादी की कहानियां अब गुम हो रही हैं, क्योकि परिवार विखण्डित होते जा रहे हैं, बाल मनोरंजन के अन्य इलेक्ट्रानिक संसाधन बढ़ रहे हैं. ऐसे समय में सुप्रतिष्ठित प्रकाशन गृह बोधि, जयपुर से पवन चौहान का बाल कथा संग्रह भोलू भालू सुधर गया प्रकाशित हुआ है. संग्रह में कुल जमा १५ बाल कथायें हैं. चूंकि पवन चौहान पेशे से शिक्षक हैं वे बच्चो के मन को खूब समझते हैं. छोटे छोटे वाक्य विन्यास के साथ उनकी कही कहानियां सुनने पढ़ने वाले पर चित्रात्मक प्रभाव छोड़ती हैं. सब जानते हैं कि शेर भालू इंसानी बोली नहीं बोल सकते, और न ही जंगल में इंसानी समस्यायें होती हैं जिनका हल चुनाव से निकालने की आवश्यकता हो, किन्तु पवन जी नें जंगली जानवरो को सफलता पूर्वक कथा पात्र बना कर उनके माध्यम से बाल मन पर बच्चे के परिवेश की इंसानी समस्याओ के हल निकालते हुये, बच्चो को सुसंस्कारित करने हेतु प्रस्तुत कहानियो के माध्यम से शिक्षित करने का महत्वपूर्ण काम किया है. बच्चो को ही नही, उनके अभिवावको व शिक्षको को भी किताब पसंद आयेगी.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 8 ☆ उपन्यास  – एकता और शक्ति  ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “उपन्यास  – एकता और शक्ति  (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)। 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 8 ☆ 

☆ पुस्तक – उपन्यास  – एकता और शक्ति  (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास) 

 

पुस्तक चर्चा

पुस्तक – उपन्यास  – एकता और शक्ति  (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)

लेखक –  अमरेन्द्र नारायण

प्रकाशक –   राधाकृष्ण प्रकाशन ,राजकरल प्रकाशन समूह , 7/31 अंसारी रोड दरयागंज, नई दिल्ली

www.radhakrishnaprakashan.com, E-mail: [email protected]

 

☆ पुस्तक  – उपन्यास  – एकता और शक्ति – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

☆ उपन्यास  – एकता और शक्ति  (सरदार पटेल के जीवन पर आधारित उपन्यास)☆

 

एकता और शक्ति उपन्यास स्वतंत्र भारत के शिल्पकार  लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के अप्रतिम योगदान पर आधारित कृति है. इस उपन्यास की रचना  गुजरात के रास ग्राम के एक सामान्य कृषक परिवार को केन्द्र में रख कर की गयी है. श्री वल्लभभाई पटेल के महान  व्यक्तित्व से प्रभावित होकर हजारो लोग खेड़ा सत्याग्रह के दिनों से ही उनके अनुगामी हो गए थे और उनकी संघर्ष यात्रा के सहयोगी बने थे.  पुस्तक में सरदार पटेल के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पक्षों को और उनके अद्वितीय योगदान का प्रामाणिक रूप से वर्णन किया गया है.

महान स्वतंत्रता सेनानी… कर्मठ देशभक्त…  दूरदर्शी नेता… कुशल प्रशासक…! सरदार वललभभाई पटेल के सन्दर्भ में ये शब्द विशेषण नहीं हैं. ये दरअसल उनके व्यक्तित्व की वास्तविक छबि है.   स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद अनेक समस्याओं से जूझते हुए भारतवर्ष को संगठित करने, उसे सुदृढ़ बनाने और नवनिर्माण के पथ पर अग्रसर कराने में उनकी भूमिका अविस्मरणीय रही है. ‘एकता और शक्ति’ स्वतंत्र भारत के इस महान शिल्पी को लेखक की विनम्र श्रद्धांजली  है. यह उपनयास एक सामान्य कृषक परिवार  के किरदार से सरदार की कार्य -कुशलता, उनके प्रभावशाली नेतृत्व और अनुपम योगदान का का ताना-बाना बुनता है ।उपन्यास सरदार श्री के जीवन से सबंधित कई अल्पज्ञात या लगभग अनजान पहलुओं को भी नये सिरे और नये नजरिये से छूता है.

यह उपन्यास सरदार वल्लभभाई पटेल के अप्रतिम जीवन से  नयी पीढ़ी में राष्ट्रनिर्माण की अलख जगाने का कार्य कर सकता है . आज की पीढ़ी को सरदार के जीवन के संघर्ष से परिचित करवाना आवश्यक है, जिसमें यह उपन्यास अपनी महती भूमिका निभाता नजर आता है.

भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एवं स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का भारत में त्वरित विलय कराने, स्वाधीन देश में उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनाने और कई कठिनाइयों से जूझते हुए देश को प्रगति के पथ पर अग्रसर कराने में, लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का योगदान अप्रतिम रहा है. वे लाखों लोगों के लिए अक्षय प्रेरणा-स्रोत हैं. एकता और शक्ति, सरदार वल्लभभाई पटेल के योगदान पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें एक सामान्य कृषक परिवार की कथा के माध्यम से, सरदार श्री के प्रभावशाली कृशल नेतृत्व का एवं तत्कालीन घटनाओं का वर्णन किया गया है. साथ ही, एक सम्पन्न एवं सशक्त भारत के निर्माण हेतु उनके प्रेरक दिशा-निर्देशों पर भी प्रकाश डाला गया है.

अमेरन्द्र नारायण एशिया एवं प्रशान्त क्षेत्र के अन्तरराष्ट्रीय दूर संचाार संगठन एशिया पैसिफिक टेली कॉम्युनिटी के भूतपूर्व महासचिव एवं भारतीय दूर संचार सेवा के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं. उनकी सेवाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने स्वर्ण पदक से और संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष एजेंसी अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संगठन ने टेली कॉम्युनिटी को स्वर्ण पदक से और उन्हें व्यक्तिगत रजत पदक से सम्मानित किया.

श्री नारायण के अंग्रेजी उपन्यास—फ्रैगरेंस बियॉन्ड बॉर्डर्स  का उर्दू अनुवाद खुशबू सरहदों के पास नाम से प्रकाशित हो चुका है. भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम अब्दुल कलाम साहब, भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस पुस्तक की सराहना की है. महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह और फिजी के प्रवासी भारतीयों की स्थिति पर आधारित उनका संघर्ष नामक उपन्यास काफी लोकप्रिय हुआ है. उनकी पाँच काव्य पुस्तकें—सिर्फ एक लालटेन जलती है, अनुभूति, थोड़ी बारिश दो, तुम्हारा भी, मेरा भी और श्री हनुमत श्रद्धा सुमन पाठकों द्वारा प्रशंसित हो चुकी हैं. श्री नारायण को अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है.

श्री अमरेन्द्र नारायण जी  के इस प्रयास की व्यापक सराहना की जानी चाहिये . यह विचार ही रोमांचित करता है कि यदि देश का नेतृत्व लौह पुरुष सरदार पटेल के हाथो में सौंपा जाता तो आज कदाचित हमारा इतिहास भिन्न होता . पुस्तक पठनीय व संग्रहणीय है .

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 7 ☆ हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब  ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

 विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब । 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 6 ☆ 

 

☆ पुस्तक – हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब

 

पुस्तक चर्चा

पुस्तक –बातें बेमतलब

लेखक –  अनुज खरे

प्रकाशक – मंजुल पब्लिशिंग हाउस भोपाल

मूल्य –  175 रु

 

☆ पुस्तक  – हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब  – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

☆ हास्य व्यंग्य – बातें बेमतलब ☆

 

आपाधापी भरा वर्तमान समय दुष्कर हो चला है. ऐसे समय में साहित्य का  वह हिस्सा जन सामान्य को बेहतर तरीके से प्रभावित कर पा रहा है जिसमें आम आदमी की दुश्वारियो की पैरवी हो, किंचित हास्य हो, विसंगतियो पर मृदु प्रहार हो. पर सब कुछ बोलचाल की भाषा में एफ एम रेडियो के जाकी टाइप की सरलता से समझ आने वाली बातें हों.  इस दृष्टि से हास्य और व्यंग्य की लोकप्रियता बढ़ी है.

अनुज खरे ने सामान्य परिवेश से अपेक्षाकृत युवाओ को स्पर्श करते विषय उठाये हैं. वे लव देहात, मायके गई पत्नी को लिखा गया भैरंट लैटर, इश्कवाला लव, ट्रक वाला टेलेंट, रिसाइकिल बिन में रिश्ते, वर्चुएल वर्ल्ड के वैरागी, मोबाईल की राह में शहीद, पहली हवाई यात्रा, यारां दा ठर्रापना, जैसे लेखो में सहजता से, विषय, भाषा, शब्दो के प्रवाह में पाठक को अपनी खास इस्टाईल में कुछ गुदगुदाते हैं, कुछ शिक्षा देते सीमित पृष्ठो में अपनी बातें कह देने की विशिष्टता रखते हैं. संभवतः बुंदेलखण्ड में विकसित उनका बचपन उन्हें यह असाधारण क्षमता दे गया है.

कस्बाई कवि सम्मेलन शायद पुस्तक का सबसे लंबा व्यंग्य लेख है. बड़े मजे लेकर उन्होने दुर्गा पूजा  आदि मौको पर देर रात तक चलने वाले इन सांस्कृतिक आयोजनो के बढ़ियां चित्र खिंचे हैं, अब कवि सम्मेलन भले ही टी वी शो में सिमटने लगे हों पर हमारी पीढ़ी ने मुशायरो और कवि सम्मेलन का ऐसा ही आनंद लिया है जैसा अनुज जी ने वर्णित किया है. कुल मिलाकर सभी ३६ लेख, मजेदार, बातें बेमतलब  में मतलब की बातें हर पाठक के लिये हैं. किताब पैसा वसूल है, पठनीय है.

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

 

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 6 ☆ आसमान से आया फरिश्ता ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

 विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  आसमान से आया फरिश्ता। 

हाराष्ट्र राज्य का हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार  से पुरस्कृत इस पुस्तक की चर्चा , मात्र पुस्तक चर्चा ही नहीं अपितु हमारे समाज को एक सकारात्मक शिक्षा भी देती है और हमें धर्म , जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठ कर विचार करने हेतु विवश करती है. कालजयी गीतों के महान गायक मोहम्मद रफ़ी जी , संगीतकार नौशाद जी  एवं  गीतकार शकील बदायूंनी जी  को नमन और सार्थक पुस्तक चर्चा के लिए श्री विवेक रंजन जी को हार्दिक बधाई.)

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 6 ☆ 

 

पुस्तक – आसमान से आया फरिश्ता

 

पुस्तक चर्चा

पुस्तक – आसमान से आया फरिश्ता

लेखक –  धीरेंद्र जैन

प्रकाशक – ई ७ पब्लिकेशन मुम्बई

मूल्य –  299 रु

 

☆ पुस्तक  – आसमान से आया फरिश्ता – चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

☆ आसमान से आया फरिश्ता ☆

 

धीरेंद्र जैन सिने पत्रकारिता  के रूप में जाना पहचाना नाम है. उन्हें “मोहम्मद रफी.. एक फरिश्ता था वो ” किताब के लिये महाराष्ट्र राज्य का हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है. रफी साहब के प्रति उनकी दीवानगी ही है कि वे उन पर ४ किताबें लिख चुके हैं. आसमान से आया फरिश्ता एक सचित्र संस्मरणात्मक पुस्तक है जो रफी साहब के कई अनछुये पहलू उजागर करती है.

दरअसल अच्छे से अच्छे गीतकार के शब्द तब तक बेमानी होते हैं जब तक उन्हें कोई संगीतकार मर्म स्पर्शी संगीत नही दे देता और जब तक कोई गायक उन्हें अपने गायन से श्रोता के कानो से होते हुये उसके हृदय में नही उतार देता. फिल्म बैजू बावरा का एक भजन है मन तड़पत हरि दर्शन को आज,  इस अमर गीत के संगीतकार नौशाद और गीतकार शकील बदायूंनी हैं.  इस गीत के गायक मो रफी हैं. रफी साहब की बोलचाल की भाषा पंजाबी और उर्दू थी, अतः इस भजन के तत्सम शब्दो का सही उच्चारण वे सही सही नही कर पा रहे थे. नौशाद साहब ने बनारस से संस्कृत के एक विद्वान को बुलाया, ताकि उच्चारण शुद्ध हो. रफी साहब ने समर्पित होकर पूरी तन्मयता से हर शब्द को अपने जेहन में उतर जाने तक रियाज किया और अंततोगत्वा यह भजन ऐसा तैयार हुआ कि आज भी मंदिरों में उसके सुर गूंजते हैं, और सीधे लोगो के हृदय को स्पंदित कर देते हैं.

भजन  “मन तड़पत हरि दर्शन को आज” भारत की गंगाजमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण बन गया है जहां गीत संगीत आवाज सब कुछ उन महान कलाकारो की देन है जो स्वयं हिन्दू नही हैं. सच तो यह है कि कलाकार धर्म की संकीर्ण सीमाओ से बहुत  ऊपर होता है, पर जाने क्यों देश फिर उन्ही संकीर्ण, कुंठाओ के पीछे चल पड़ता है, ऐसी पुस्तके इस कट्टरता पर शायद कुछ काबू कर सकें. 

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 5 ☆ काव्य – बुंदेली गीता ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

 विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”  शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।  अब आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी  की पुस्तक चर्चा  “काव्य – बुंदेली गीता ।)

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 4☆ 

 

 ☆ काव्य – बुंदेली गीता  ☆

 

पुस्तक चर्चा

काव्य – बुंदेली गीता 

लेखक –  विनोद कुमार खरे

मूल्य –  251 रु

 

☆ काव्य  – बुंदेली गीता– चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 

☆ बुंदेली गीता ☆

भगवत गीता के संस्कृत श्लोक, हिंदी भाषा अनुवाद सहित बुंदेली काव्य 

 

भगवत गीता विश्व ग्रंथ है ।अनेक भाषाओं में अनेक लोगों ने इसका अनुवाद किया है।  प्रोफेसर चित्र भूषण श्रीवास्तव ने हिंदी काव्य अनुवाद, अंग्रेजी अर्थ सहित किया है जो संस्कृत न समझने वाले युवाओं में बहुत लोकप्रिय हो रहा है । इसी क्रम में क्षेत्रीय भाषाओं को भी समय के साथ महत्व मिलता दिखता है।

बुंदेली भाषा में विनोद कुमार खरे जी का यह अनुवाद प्राप्त हुआ । सरल सुंदर प्रस्तुति के साथ हर श्लोक का बुंदेली अनुवाद और हिंदी भावार्थ प्रस्तुत करने हेतु खरे साहब को बहुत-बहुत बधाई। निश्चित ही बुंदेली में गीता का इस तरह प्रस्तुतीकरण बुंदेलखंड के दूरदराज भीतरी क्षेत्रों में भगवत गीता के शाश्वत संदेश को पहुंचाने में महत्वपूर्ण कार्य है । बुंदेलखंड की लोक भाषा में भगवत गीता का यह प्रस्तुतीकरण प्रशंसनीय है एवं यह बुंदेली साहित्य को और समृद्धि करेगा । सोलहवें अध्याय के पहले ही श्लोक में 26 वे गन धर्म बिंदुवार बताये गए हैं जो जीवन सूत्र हैं । जैसे भगवान में समर्पित आस्था, दान, दया, सत्य, अक्रोध, क्षमा, त्याग आदि शाश्वत भाव ही भगवान की कृपा पाने के मूल तत्व हैं ।

 

चर्चाकार.. विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर .

ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८

मो ७०००३७५७९८

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