image_print

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य #140 – “यात्रा वृतांत – दशपुर के एलोरा मंदिर की यात्रा” ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” (सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का  हिन्दी बाल -साहित्य  एवं  हिन्दी साहित्य  की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य”  के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है बाल साहित्य  - “यात्रा वृतांत– दशपुर के एलोरा मंदिर की यात्रा”) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी का साहित्य # 140 ☆  ☆ “यात्रा वृतांत– दशपुर के एलोरा मंदिर की यात्रा” ☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ☆ जैसे ही मिट्ठू मियां को मालूम हुआ कि मैं, मेरी पत्नी और पुत्री प्रियंका पशुपतिनाथ मंदिर मंदसौर और एलोरा की तर्ज पर बना मंदिर धर्मराजेश्वर देखने जा रहे हैं वैसे ही उसने मुझसे कहा, "मालिक! मैं भी चलूंगा।" मगर मेरा मूड उसे ले जाने का नहीं था। मैंने स्पष्ट मना कर दिया, "मिट्ठू मियां! मैं इस बार तुम्हें नहीं ले जाऊंगा।" मिट्ठू मियां कब मानने वाला था। मुझसे कहा, "मुझे पता है नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर देखने जाते वक्त बहुत परेशानी...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 09 ☆ गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा – भाग ५ – आनंदपुर ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा… का भाग पाँच - आनंदपुर) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 09 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा - भाग पाँच - आनंदपुर  (वर्ष 1994) चंडीगढ़ में रहते हुए एक बात समझ में आई कि बड़े - बड़े बंगलों में रहनेवाले लोग आसानी से किसी नए पड़ोसी से मित्रता नहीं करते। पर नए पड़ोसी के बारे में जानने की उत्कंठा अवश्य ही बहुत ज्यादा होती है उनमें। हम फ्लैटों में रहनेवालों की प्रकृति इससे अलग होती है।हम लोग तुरंत नए पड़ोसी की सहायता...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 08 ☆ गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा – भाग ४ पौंटा साहब  ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा… का भाग चार - ) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 08 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा - भाग ४ - पौंटा साहब   (वर्ष 1994) अपने जीवन के कुछ वर्ष चंडीगढ़ शहर में रहने को मिले। यह हमारे परिवार के लिए सौभाग्य की बात थी क्योंकि यह न केवल एक सुंदर,सजा हुआ शहर है बल्कि हमें कंपनी की ओर से कई प्रकार की सुविधाएँ भी उपलब्ध थीं। बर्फ पड़ने की खबर मिलते ही हम सपरिवार ड्राइवर को साथ लेकर शिमला के लिए...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 07 ☆ गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा – भाग तीन – पत्थर साहब लदाख ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा… का भाग तीन - पत्थर साहब लदाख) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 07 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा - भाग तीन - पत्थर साहब लदाख  (सितम्बर 2015) 2015 इस वर्ष हम रिटायर्ड शिक्षकों का यायावर दल ने लेह लदाख जाने का निर्णय लिया। सितंबर का महीना था। लेह-लदाख जाने के लिए यही समय सबसे उत्तम होता है। चूँकि हम सभी साठ पार कर चुकीं थी तो यही निर्णय लिया कि मुंबई से डायरेक्ट लेह न जाकर हम श्रीनगर तक फ्लाइट से जाएँ...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 06 ☆ गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा – भाग दो – नांदेड़ ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। आपका यात्रा संस्मरण – मेरी डायरी के पन्ने से… गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा… का भाग दो - नांदेड़)  ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 06 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा - भाग दो - नांदेड़  (अगस्त 2014) बीड़ जिले का एक छोटा सा शहर है, नाम है परलीवैजनाथ (परळीवैजनाथ)। इस शहर में BHEL का एक बड़ा विद्यालय है। मुझे इस विद्यालय में खेलों द्वारा भाषा सिखाने की विधि इस विषय से संबंधित वर्कशॉप लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम पाँच दिन का था। एक अधिक दिन हाथ में रखकर रात की बस से मुझे छठवें दिन पुणे लौट आना...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 05 ☆ गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा – भाग एक ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा... का प्रथम भाग ) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 05 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... गुरुद्वारों की मेरी अद्भुत यात्रा - भाग एक  (दिसंबर 2017) पंजाबी संस्कृति  से मेरा परिचय विवाहोपरांत ही हुआ। इस क्षेत्र की  भाषा , खान-पान , तीज -त्योहार आदि से मेरा नज़दीक से  साक्षात्कार हुआ। इससे पूर्व बाँग्ला संस्कृति,साहित्य और भाषा के बीज हमारे माता-पिता द्वारा  हृदय की बड़ी गहराई में बो दिए गए थे। ससुराल में सभी से भरपूर स्नेह मिला साथ ही ससुर जी जिन्हें हम सब बावजी (बाबूजी शब्द...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 04 ☆ स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को… भाग – 3 ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... का अगला भाग ) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 04 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... भाग – 3 (2015 अक्टोबर - इस साल हमने स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को  घूमने का कार्यक्रम बनाया। पिछले भाग में आपने पुर्तगाल यात्रा वृत्तांत पढ़ा। ) यात्रा वृत्तांत (स्पेन से जिबरॉल्टर) - भाग तीन  मलागा में चार दिन बिताने के बाद हम तीन दिन के लिए मोरक्को जानेवाले थे परंतु वहाँ उन दिनों राजनैतिक उथल-पुथल प्रारंभ हो गई थी। कुछ बम विस्फोट की भी खबरें मिली, इसलिए हमने...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 03 ☆ मेरी डायरी के पन्ने से… स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को… भाग – 2 ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... का अगला भाग ) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 03 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... भाग – 2 (2015 अक्टोबर - इस साल हमने स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को  घूमने का कार्यक्रम बनाया। पिछले भाग में आपने पुर्तगाल यात्रा वृत्तांत पढ़ा। ) यात्रा वृत्तांत (स्पेन) - भाग दो एक सप्ताह पुर्तगाल में रहने के बाद हम यूरोरेल द्वारा अल्बूफेरिया से मैड्रिड आए। यह दूरी 328 किमी की है, यात्रा के लिए साढ़े तीन घंटे लगते हैं। यूरोरेल की यात्रा आनंददायी रही। समुद्र तट से...
Read More

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – यायावर जगत # 02 ☆ मेरी डायरी के पन्ने से… स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को… भाग – 1 ☆ सुश्री ऋता सिंह ☆

सुश्री ऋता सिंह (सुप्रतिष्ठित साहित्यकार सुश्री ऋता सिंह जी द्वारा ई- अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए अपने यात्रा संस्मरणों पर आधारित आलेख श्रृंखला को स्नेह प्रतिसाद के लिए आभार। आप प्रत्येक मंगलवार, साप्ताहिक स्तम्भ -यायावर जगत के अंतर्गत सुश्री ऋता सिंह जी की यात्राओं के शिक्षाप्रद एवं रोचक संस्मरण  आत्मसात कर सकेंगे। इस श्रृंखला में आज प्रस्तुत है आपका यात्रा संस्मरण - मेरी डायरी के पन्ने से...स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... का पहला भाग ) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ –यात्रा संस्मरण - यायावर जगत # 02 ☆   मेरी डायरी के पन्ने से... स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को... भाग – 1  2015 अक्टोबर इस साल हमने स्पेन, पुर्तगाल और मोरक्को  घूमने का कार्यक्रम बनाया। इस बार हम तीन सप्ताह हाथ में लेकर निकले थे।यात्रा के आने - जाने के दो दिन अलग ताकि पूरे इक्कीस दिनों का पूरा आनंद लिया जा सके। हमने  बहुत सोच-समझकर तीनों देशों की भौगोलिक  सुंदरता और ऐतिहासिक  विशेषताओं को ध्यान में रखकर देखने योग्य स्थानों का चयन किया। सच पूछिए तो किसी...
Read More

मराठी साहित्य – मी प्रवासिनी ☆ मी प्रवासिनी क्रमांक 33 – भाग-3 – सुंदर, शालीन आणि अभिमानी जपान ☆ सौ. पुष्पा चिंतामण जोशी ☆

सौ. पुष्पा चिंतामण जोशी ☆ मी प्रवासिनी क्रमांक 33 – भाग- 3 ☆ सौ. पुष्पा चिंतामण जोशी ☆  ✈️ सुंदर, शालीन आणि अभिमानी जपान ✈️ रात्री अकराच्या बसने टोकियोला जायचे होते. आमचा जपान रेल्वे पास या बससाठी चालत होता. तीस जणांची झोपायची सोय असलेली डबल डेकर मोठी बस होती. बसण्याच्या जागेचे आरामदायी झोपण्याच्या जागेत रूपांतर केले आणि छान झोपून गेलो. पहाटे साडेपाच-सहाला जाग आली. सहज बाहेर पाहिले. अरे व्वा! बसमधून दूरवर फुजियामा पर्वत दिसत होता. निळसर राखाडी रंगाच्या त्या भव्य पर्वताच्या माथ्यावर बर्फाचा मुकुट चकाकत होता. सारे खूश झाले. ट्रॅफिक जॅममुळे टोक्यो स्टेशनला पोहोचायला नऊ वाजले. स्टेशनवरच सारे आवरले. आज आम्ही फुजियामाला जाणार होतो व उद्याची टोक्यो दर्शनची तिकीटं काढली होती. आजची रात्र आम्ही टोक्योचे एक उपनगर असलेल्या कावासकी इथे सीमा आणि संदीप लेले यांच्याकडे राहणार होतो. त्यामुळे जवळ थोडे सामान होते. फुजियामाला जाताना हे सामान नाचवायला नको म्हणून आम्ही ते टोक्यो स्टेशनवरील लॉकरमध्ये ठेवायचे ठरविले. जपानमध्ये सर्व रेल्वे स्टेशन्सवर लॉकर्सची व्यवस्था आहे. आपल्या सामानाच्या साइजप्रमाणे लॉकर निवडून त्यात सामान ठेवायचे. किती तासांचे किती...
Read More
image_print