श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “जो क़द को देखकर अपना…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 109 ☆
जो क़द को देखकर अपना… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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तख़य्युल में भी कब ये ज़ुलमे के हल्कों से गुज़रा है
अभी इंसान बच्चा है समझ फूलों में पलता है
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वफा अपना असर जाहिर करेगी मुंतज़िर रहिए
यकीन को पांव फैलाने में थोड़ा वक्त लगता है
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नहीं एका तो घर को तोड़ देगा इक पड़ोसी तक
जो घर बंध कर रहेगा आप उससे गांव डरता है
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न इतरा इस कदर तू आज अपनी हैसियत पर दोस्त
अता नालों की कुर्बत है जो तू दुनिया में दरिया है
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मये- दौलत अगर सर चढ़के बोल तो संभल जाना
इसी के साथ बर्बादी का इक तूफान चलता है
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किसी की छीन कर रोटी न अपने पेट को भरना
कि दाता देखता है और सब मीज़ान करता है
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जो क़द को देखकर अपना खरीदोगे सही चादर
बचोगे तुम सभी रुसवाईयों से इल्म कहता है
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किसी भी रहनुमा कि तुम अरुण बातों में मत आना
दिखाने और खाने के अलग यह दांत रखता है
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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