डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 279 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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लगा रखी हैं बंदिशें, कैसे भरूँ उड़ान।
मन तो काबू में रहा, हुई नहीं हैरान।।
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आँसू निकले सोच में, सुमिर मुझे वह रात।
प्रेम किया था आपसे, प्यारी मीठी बात।।
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बदल रही सब सोचना, पढ़ने में है ध्यान।
तोड़ी सारी बंदिशे, ऊँची उड़ी उड़ान।
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रखी नहीं हैं बंदिशे, डरे नहीं इंसान।
नर-नारी सब एक हैं, अपनी शुभ पहचान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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मोब. 9278720311 ईमेल : bhavanasharma30@gmail.com
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈