डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे – दिल)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 276 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे – दिल ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

दिल मेरा लगता नहीं, दिल की सुनता कौन।

आ जाओ खुद देख लो, पसर गया है मौन।।

 *

कहना दिल का मान लो, कटे नहीं दिन – रात।

घुट घुटकर जीना नहीं, दिल से दिल की बात ।।

 *

अपना मुख अब खोल दो, बोलो मीठे बोल।

तेरी मेरी प्रीत का, करो नहीं अब मोल।।

 *

इकतारा वो गा रहा, दुख कितना है पास।

विरहाई कैसे मिटे, जाग रही है आस।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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