श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “चंद लोगों ने फ़ज़ा में…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 107 ☆
चंद लोगों ने फ़ज़ा में… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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शक्ल सूरत बस नहीं इंसा की फितरत देखिये
दोस्ती जिससे करो उसकी लियाक़त देखिए
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भूक दौलत मंद की दौलत की मिटती ही नहीं
दाल रोटी में ही मुफ़लिस की क़नाअत देखिए
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सुन क़सीदे इश्तहारों से न कायम राय कर
रहनुमा जिसको चुने उसकी क़यादत देखिए
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ख़्वाब सूरज चाँद को छूने का देखे पेश्तर
अपनी जो औकात है उसकी हक़ीक़त देखिये
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औरतें औ मर्द मिलकर ये हसीं दुनिया रची
मत कहो कमजोर औरत की तो हिम्मत देखिये
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तेज कितना भी दिखा ले सूर्य सागर के लिए
सूखना तो छोड़िए घटती न सेहत देखिये
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चंद लोगों ने फ़ज़ा में ज़ह्र नफ़रत का भरा
पा रहे वो ही सियासत में है इज़्ज़त देखिये
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आज मंगल सूत्र सोने का पहुँच से दूर है
कीमतों ने तोड़ दी इंसां की ज़ुर्रत देखिये
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अय अरुण हर सू वही हर वक़्त आता है नज़र
इश्क़ की जबसे हुई मुझको हरारत देखिये
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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