सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम – ग़ज़ल – आज मिलती है कहां शर्मो -हया लोगों में

? रचना संसार # 23 – ग़ज़ल – आज मिलती है कहां शर्मो -हया लोगों में…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

मुझको मंज़ूर नहीं और से कमतर होना

मेरी फ़ितरत में ही ईमान की चादर होना

 *

काम मुश्किल ही है क़िस्मत का सिकंदर होना

सर बुलंदी को भी साथ में लश्कर होना

 *

चाह सबकी ही रही मीर सा बेहतर होना

बस में सबके तो नहीं यार सुख़नवर होना

 *

आज मिलती है कहां शर्मो -हया लोगों में

कितना दुश्वार है तहज़ीब का ज़ेवर होना

 *

मेरी हसरत है यही हो ये ज़ुबां भी शीरी

खलता है बहुत इसका भी नश्तर होना

 *

लोग उँगली ही उठाते हैं सदा नेकी पर

कितना मुश्किल है ज़माने में पयम्बर होना

 *

मौत आने का नहीं तय है समय भी मीना

क्या ज़रूरी है तेरे जिस्म का जर्जर होना

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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