श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 114 ☆

☆ गीत – ।। मेरी आपकी सबकी एक जैसी कहानी है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

मेरी   आपकी  सबकी  एक  जैसी  कहानी  है।

हम सब के लिए उनकी आंख में आता पानी है।।

*

पत्नी  बहु भाभी मामी बनके जीवन में आती है।

आकर घर के हर कोने कोने में वह बस जाती है।।

आने से किलकारी गूंजती कोई बनता दादी नानी है।

मेरी   आपकी  सबकी  एक  जैसी  कहानी  है।

*

अन्नपूर्णा पूजन अर्चन भी जीवन का हिस्सा बनते हैं।

तू तू मैं मैं भी अब  जीवन   का एक किस्सा बनते हैं।।

उसके साथ ही बीतता सारा बुढ़ापा और जवानी है।

मेरी   आपकी  सबकी  एक  जैसी  कहानी  है।

*

आहार उपचार उपहार उसके बिन लगता अधूरा है।

उसके वाम अंग में आने पर ही युगल होता पूरा है।।

पत्नी बिन हर कण–कण क्षण-क्षण सब बेमानी है।

मेरी   आपकी  सबकी  एक  जैसी  कहानी  है।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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