श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

(संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं अग्रज साहित्यकार श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव जी  के गीत, नवगीत एवं अनुगीत अपनी मौलिकता के लिए सुप्रसिद्ध हैं। आप प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक स्तम्भ  “जय  प्रकाश के नवगीत ”  के अंतर्गत नवगीत आत्मसात कर सकते हैं।  आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण एवं विचारणीय नवगीत “फागुन…” ।

✍ जय प्रकाश के नवगीत # 47 ☆ फागुन… ☆ श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

लिया फागुन

दिया फागुन

रंग भर- भर

जिया फागुन।

*

लिए गठरी

चैतुआ आ

मेंड़ पर बैठा

बरस अगले

लौट आना

रंग ले ऐंठा

*

जब पुकारे

हुलस कोयल

पिया फागुन।

पिया फागुन

*

दिन तपेगा

छांव भीतर

धूप झाँकेगी

प्यास लेकर

नीर गगरी

द्वार आयेगी

*

फिर भिगाना

प्रीति आँगन

हिया फागुन

हिया फागुन।

*

धुंध ओढे़

शहर सपना

आँख में पाले

लहर नदिया

नाव गिनती

तटों के छाले

*

फिर अकेले

चुप्पियों ने

जिया फागुन

सिया फागुन।

***

© श्री जय प्रकाश श्रीवास्तव

सम्पर्क : आई.सी. 5, सैनिक सोसायटी शक्ति नगर, जबलपुर, (म.प्र.)

मो.07869193927,

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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