श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय कविता रोयें कैसे…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #223 ☆

☆ रोयें कैसे… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

सब के सम्मुख रोयें कैसे

मौन सिसकते सोयें कैसे।

*

खारे आँसू नमक हो गए

बिना प्रेम जल धोयें कैसे।

*

आना जाना है उस पथ से

उसमें काँटे बोयें कैसे।

*

खेत काट ले जाते कोई

घर में धान उगोयें कैसे।

*

अंतस में जो घर कर बैठी

उन यादों को खोयें कैसे।

*

एक अकेलापन अपना है

इसमें शूल चुभोयें कैसे।

*

जब निद्रा ही नहीं रही तो

सपने कहाँ सँजोएँ कैसे।

*

सबके बीच बैठकर बोलो

अपने नैन भिगोयें कैसे।

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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