श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “ये असर है मेरे प्यार का“)

✍ ये असर है मेरे प्यार का… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

प्यार मेरी ज़रूरत नहीं , आपकी भी जरूरत है ये

दिल लगाना नहीं खेल है, मेरे रब की इबादत है ये

 *

ये बढ़ावा सितमगर को है, ज़ुल्म पर  मौन बैठे रहो

ये शरीफ़ों को जायज़ नहीं, तेरी कैसे शराफत है ये

 *

ये असर है मेरे प्यार का, फल रही हर दुआ है मेरी

आइना तो ज़रा देखिये, क्या हसीं रुख पे रंगत है ये

 *

जिसकी मनमानियों से यहाँ, लोग अवसर की थे तांक में

हाथ मजबूत वो ही किये, यार कैसी बगावत है ये

 *

सिद्क़ दिल से दुआ तुम जो दो, सूखता पेड़ जाए सँवर

आदमी को अता उसने की, वो ही शफ़क़त की ताकत है ये

 *

ग़म कहें किससे परदेश में, दूसरे दर्ज़े के आदमी

हम मशीनें हैं इंसान से, अय वतन  करके हिज़रत है ये

 *

लत लगी जो खराबात की, दस तबाही करे सच कहा

टूटे नाते सभी घर मिटा, आज बस साथ ग़ुरबत है ये

 *

थूक लो सिर उठाकर मगर, दाग सूरज पे आता नहीं

पेश तुम क्यों सफाई करो, जानते लोग तुहमत है ये

 *

फेंक पश्चिम के चश्मे को जब, पांव माँ के दबाया हूँ मैं

ढूढिये आप जन्नत मगर , मिल गई मुझको जन्नत है ये

 *

ए अरुण हाथ को आग में, जानकर आप मत डालिये

आदमी को जला डालती, ऐसी कातिल मुहब्बत है ये

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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