श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’

(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा  रात  का चौकीदार”   महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ  समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक विचारणीय रचना  आज के संदर्भ में – षड्यंत्रों का दौर…” ।)

☆ तन्मय साहित्य  #215 ☆

☆ आज के संदर्भ में – षड्यंत्रों का दौर… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆

साँप छछूंदर और नेवले

मिलने लगे गले

षड्यंत्रों का दौर

अकेले घर से न निकलें।

सूरज के तेवर ठंडे

तारों की चहल-पहल

है विषाद में चाँद

चाँदनी सहमी हुई विकल,

चर्चाओं के फेरे

नित जारी है साँझ ढले

षड्यंत्रों का दौर….

 

पत्ते पत्ते पर पसरे हैं

कुटिल हवा के पैर

मिल बैठे हैं आज

रहा जिनसे जीवन भर बैर,

अब न उगलते बने

समस्या है कैसे निगलें

षड्यंत्रों का दौर ….

 

चोले बदले वर्क चढ़ा

पीतल पर सोने का

वशीकरण के मंत्र

समय ये जादू टोने का,

इसके उसके किस्सों के

हैं कई अलाव जले

षड्यंत्रों का दौर…

 

जीत उसी की तो होगी

जिसने संघर्ष किया

श्वांस-श्वांस में अपने

इष्ट-धर्म को सदा जिया

रामयज्ञ की आहुतियों में

तर्क-कुतर्क चले

षड्यंत्रों का दौर….

 

विगत बही-खातों का

अब पूछें हिसाब इनसे

कितने-कितने कब कैसे

गठजोड़ कहाँ किससे,

नासमझी में अब तक

आस्तीन में साँप पले

षड्यंत्रों का दौर….

☆ ☆ ☆ ☆ ☆

© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय

जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश  

मो. 9893266014

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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