आचार्य भगवत दुबे

(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर आचार्य भगवत दुबे जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया है।सीमित शब्दों में आपकी उपलब्धियों का उल्लेख अकल्पनीय है। आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆. आप निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। हमारे विशेष अनुरोध पर आपने अपना साहित्य हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करना सहर्ष स्वीकार किया है। अब आप आचार्य जी की रचनाएँ प्रत्येक मंगलवार को आत्मसात कर सकेंगे।  आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – कसक…।)

✍  साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कादम्बरी # 35 – कसक… ☆ आचार्य भगवत दुबे ✍

हुक्मरानों के आगे, निडर है ग़ज़ल 

लेकर विद्रोही तेवर, मुखर है ग़ज़ल

घुंघरू परतंत्रता के, न पाँवों में अब 

आशिकी का, न केवल हुनर है ग़ज़ल

हर्म से अब नवाबों के, बाहर निकल 

होकर आजाद, फुटपाथ पर है ग़ज़ल

महफिलों का, न केवल ये शृंगार है 

जिन्दगी का, समूचा सफर है ग़ज़ल

ऐशो-आराम का मखमली पथ नहीं 

कंटकों, पत्थरों की डगर, है ग़ज़ल

खेत-खलिहान, जंगल, नदी, ताल, जल

मोट, हल, बैलगाड़ी, बखर है ग़ज़ल 

गाँव, तहसील, थाना, कचहरी जिला 

राष्ट्र क्या, विश्व से बाखबर है ग़ज़ल

प्रान्त, भाषा न मजहब की सीमा यहाँ 

आप जायें जिधर, ये उधर है गजल

मुक्तिका, गीतिका, तेवरी कुछ कहें 

आज हिन्दी में भी, शीर्ष पर है ग़ज़ल

https://www.bhagwatdubey.com

© आचार्य भगवत दुबे

82, पी एन्ड टी कॉलोनी, जसूजा सिटी, पोस्ट गढ़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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