श्री संतोष नेमा “संतोष”

(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी  कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप  कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है संतोष के दोहे  – नया वर्ष नव चेतनाआप श्री संतोष नेमा जी  की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)

☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 195 ☆

☆ संतोष के दोहे  – नया वर्ष नव चेतना ☆ श्री संतोष नेमा ☆

आते – जाते वर्ष का, करें न हर्ष-विशाद

वर्तमान में खुश रहें, छोड़ सभी अवसाद

लेते जो नव वर्ष में, कसमें खूब कमाल

अमल कभी ना कर सकें, उन पर उठें सवाल

☆ 

नया वर्ष नव चेतना, मन में नई उमंग

चलें राह हम धर्म की, छोड़ें सभी कुसंग

कथनी-करनी एक सी, रखते जो भी लोग

मान बढ़े उनका सदा, दूर रहें अभियोग

ले विदाई चला गया, वर्ष तेइस सहर्ष

स्वागत कर चौबीस का, मना रहे नव वर्ष

संस्कार छोड़ें नहीं, मन में भर उत्कर्ष

मिले सफलता आप को, मंगल हो नव वर्ष

गठबंधन के नाम पर, रखा इंडिया नाम

पर श्रीमन तेइस में, बना न कोई काम

राजनीति के नाम पर, फैलाते अलगाव

बचिए ऐसे दलों से, रखें न कोई लगाव

© संतोष  कुमार नेमा “संतोष”

सर्वाधिकार सुरक्षित

आलोकनगर, जबलपुर (म. प्र.) मो 9300101799

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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