श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक व्यंग्य – चुनावी अखाड़े का एक दिन…”)

व्यंग्य – चुनावी अखाड़े का एक दिन…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

पेट में भूख कुलबुला रही है और चुनाव परिणाम की चिंता में प्यास से गला सूख रहा है, मोटरसाइकिल रोकी , सड़क किनारे एक ढाबे में रुके, साधारण सा ढाबा था, पर भीड़ थी, क्योंकि टीवी में चुनाव परिणाम आने वाले थे।

इस ढाबे का मालिक मामा उसूलों वाला है, हर बात में पटर पटर करता है , चुनाव के छै महीने पहले थाली की कटोरी में पूरी सब्जी भर देता है, उपदेश देने में होशियार है,पर खुद अंदर से लोभी है।

भोजन मंगाया तो पाया थाली में पूरी भरी दो कटोरियों में आलू मिली सब्जियां और दो कटोरी में पानी वाली दाल…… हर कटोरी में सब्जी के साथ आलू। हो सकता है कुछ सब्जी कल की बासी भी मिला दी हो। हर राजनैतिक दल के पास अलग अलग जायके और मसाले वाली सब्जी होती है।

सामने टी वी लगा है और चुनाव परिणाम इसी में आने वाले हैं।टी वी चैनल वाला ऐंकर बार बार थोड़ी देर में  बम्फर….. बम्फर… और कांटे की टक्कर… जरूर कह रहा है पर कोई बढ़त – अढ़त नहीं दिखा रहा है,बार बार कहता है ‘अभी कहीं जाइएगा नहीं …. बस हम तुरंत खास खबर लेकर आ रहे हैं’…

ऐसा कहकर लाखों के विज्ञापन दिखा रहा है। ये टी वी चैनल वाले ‘आज तक’ कहके खबरें दिखाते हैं और विकास और विश्वास के झटके को ‘दस तक’ ले जाते हैं फिर तीन तेरह का चक्कर चलाकर टाइम पास करते हैं और रोज धमकी देते हैं कि

‘आप अपना बहुत ख्याल रखिएगा’

टीवी से धमकी भी मिल रही है और हम थाली का खाना खाए जा रहे हैं। टी वी चैनल में चुनाव परिणाम आने के कारण विज्ञापन के रेट आसमान छू रहे हैं फिर भी ये बाबा चैन नहीं ले रहा है खाना चालू करने के बाद अभी तक सौ बार टी वी में दौड़ दौड़ के ऊधम मचा चुका है।

टी वी चैनल वाले भी अजीब हैं, रात को खाना खाने बैठो तो बार बार ‘दस्त तक – दस्त तक’ करने लगते हैं। ब्रेकिंग न्यूज की पट्टी चल रही है,

“बस थोड़ा देर में चुनावी रुझान सिर्फ इसी चैनल पर” आगे लिखा आ रहा है “सबका साथ सबका विकास का रास्ता जीत से चालू होता है ” बाजू वाला कह रहा है कि इस बार आदिवासियों ने जिनसे पैसा लिया है उनको वोट नहीं दिया।

थाली की कटोरी में सब्जी खतम हो गई है, कटोरी चिल्ला रही है, कोई ध्यान नहीं दे रहा है, लटके झटके के साथ नेपथ्य में ठहाके लग रहे है। ढाबे के ग्राहक चुनावी रुझान देखने तड़फ रहे हैं। गर्म रोटी देते हुए बैरा बड़बड़ा रहा है, लाड़ली बहना का डंका बजा रहे हैं और लाड़ले भैया को अंगूठा दिखा रहे हैं।

थाली की कटोरी में अब पानी वाली दाल भर बची है……. टी वी विज्ञापनों में फटी जीन्स से झांकते अंग दिख रहे हैं। अचानक टी वी वाले का चेहरा प्रगट होता है कह रहा है – चुनावी परिणाम थोड़ी देर में……… जब तक रुझान के पहले कुछ खास लोगों की चर्चा देखिये…….

टी वी में एक बिका हुआ चर्चित पत्रकार चुनाव के बारे में बता रहा है – इस बार के क्रांतिकारी चुनाव में 100 प्रतिशत से ज्यादा पारदर्शिता  रही है, जो सांसद, मंत्री अपने को तीसमारखां समझते थे उनको भी विधायकी की लाइन में लगवा दिया गया।

चुनाव की पारदर्शिता के बारे में जनता को जानने का अधिकार है हालांकि ये पब्लिक है ये सब जानती है।

ये देखो इनकी बदमाशियां पहले खूब विज्ञापन चलाया अब  टाइमपास करने के लिए एंकर एक महिला को पकड़ लाए।

महिला मुस्कुराते हुए बोली – यह देश हमेशा से उसूलों का देश नहीं रहा… असल में यह तो था भले मानुषों का देश,  लेकिन फंस गया नेताओं के चक्कर में।  नेता होशियार तो होते ही हैं मौके – बे – मौके होशियारी दिखाते भी हैं और चुनाव के समय होशियारी दिखाने का अच्छा मौका मिल जाता है। एंकर बीच में टोकने लगा तो महिला बोली – देखिए मुझे पूरा बोलने नहीं दिया जा रहा है……

सब चिल्ल पों कर रहे हैं कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है……

झड़पें बढ़ रहीं हैं अरे…. अरे ये टोपीधारी……. चलिए अच्छा टोपी वालों की बात सुन लीजिए…. हां… हां.. बोलिए…… देखिए  रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आयेगा जब चुनाव जिताने का ठेका राम जी के पास हो जाएगा।

घोर कलि-काल है, मूल्यों का पतन हो रहा है झटकेबाजी चरम सीमा पर है,

थाली का खाना खतम हो गया है,भूख मिटी नहीं है, रुझान आने चालू हो गए हैं, ढाबे में भीड़ बढ़ गई है ,उधर गाय भूखी खड़ी है और सबको चुनाव परिणाम देखने की पड़ी है।

गजब हैं ये चैनल वाले एक जगह का रुझान दिखाते हैं फिर मंदिर दिखाने लगते हैं, सब टकटकी निगाहों से टीवी देख रहे हैं और भूखी गाय की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

टी वी देखने वाले परेशान हो गए हैं ज्यादा चिल्ल – पों देखते हुए फिर से विज्ञापन चला दिया गया है। इधर भूखी गैया ढाबे में घुसकर ऊधम मचाने लगी है सब लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। ढाबे वाले ने टी वी पर सुना कि ……. अभी कहीं जाईयेगा नहीं….. थोड़ी देर में चुनावी परिणाम  आने वाले हैं  फिर नया ऐंकर प्रगट हुआ और ढाबे की लाईट गोल हो गई…

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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