श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# नवपुरुष #”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 156 ☆

☆ # नवपुरुष #

पथिक पथ पर चला अकेला

ना कोई साथी, ना कोई मेला

अपनी धुन मे हैं मनमौजी

अपनी तरह का वह अलबेला

उसे राह में –

कहीं धूप तो कहीं छांव मिली

ठंडी ठंडी पुरवाई, गांव गांव मिली

कहीं ताल तो कहीं तलैया

कहीं नदी तो कहीं नाव मिली

कहीं कहीं मिली –

फूलों से सजे बागों में

प्रीत के बंधे धागों में

कली कली उन्माद में डूबी

भ्रमर के प्रणय पागों में

कहीं कहीं राह में –

सहज, सरल इन्सान मिले

धर्म भीरु से प्राण मिले

सत्य को ओढ़ते, बिछाते

सत्यनिष्ठ सत्यवान मिले

कहीं कहीं –

पसीना बहाते श्रमवीर मिले

कहीं खेत जोतते कर्मवीर मिले

कहीं अपना सर्वस्व वंचितों को सौंपकर

परमार्थ साधते दानवीर मिले

कहीं कहीं स्वयं-भू बने महापुरुष मिले

कहीं कहीं मिडिया से बने युगपुरुष मिले

कहीं कहीं “मैं” की चादर ओढ़े हुए

पाखंडी, बहुरूपिए नवपुरुष मिले/

 © श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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