श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 81 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।। जहां पर भी मैं लिखा है बस उसको अब हम कहना है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

दुनिया के रैन बसेरे में बस चार दिन रहना है।

जीत लें सबका दिल यह जीवन का गहना है।।

आइए खुद की   नुमाईश   जरा सी कम करें।

जहां पर भी मैं लिखा है उसे बस हम कहना है।।

[2]

दर्पण को   जब कभी  भी   आप   उठाया करें।

पहले खुद देखें फिर किसी को  दिखाया करें।।

हर बातचीत की तासीर में बस प्रेम का वास हो।

इक यही बात सीखेंऔर सबको सिखाया करें।।

[3]

हम से मैं पर आते हीअभिमान शुरु हो जाता है।

मैं से हम पर आते ही परिणाम शुरू हो जाता है।।

नफरत के परे बंदे यह दुनिया बहुत ही रंगीन है।

जो जान लेता सब बातें सम्मान शुरू हो जाता है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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