श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# मुक्ति दाता#”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 125 ☆

☆ # मुक्ति दाता… # ☆ 

(बाबासाहेब डॉ आंबेडकर की जयंती के अवसर पर समर्पित रचना)

महामानव स्वीकार कीजिए

उपासकों के श्रध्दा के फूल

आपकी शिक्षा से दूर किये है

पथ के सारे कंटीले शूल

पथ पर तुम्हारे चलते चलते

इस मुकाम पर आये है

तुम्हारे आदर्शों को अपनाकर

जीवन में खुशियां पाये हैं 

तुम तो हो ज्ञान का सागर

हम है तुम्हारे पांव की धूल

 

उपवन तुम्हारा महक रहा है

उन्माद में कभी कभी बहक रहा है

समाज का देखकर उत्पीड़न

अंदर ही अंदर लहक रहा है

बंजर ज़मीन मे उग आए हैं

कहीं कहीं कैक्टस के फूल

 

बिखर गए जो डाली से टूटकर

सभी को माला में जोड़ना है

नयी कलियां खिल रही है

उन्हें धम्म की तरफ मोड़ना है

इनका गुलदस्ता घर घर सजाइये

वर्ना ये कल बन जायेंगे धूल

 

पुष्प, गंध, बत्ती हम हाथों में लाए हैं

तुम्हारे दर्शन कर प्रतिमा पर चढ़ाये हैं 

नीला ध्वज हर उपासक घर पर फहराता है

धरा से लेकर आसमान तक शान से लहराता है

सभी प्रतिज्ञाएं हमने दोहराई परिवार संग

कहीं हम इन्हें ना जाएँ भूल

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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