श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपका एक  व्यंग्य – फेंन्स के इधर और उधर…”।)

☆ व्यंग्य  # 178 ☆ “फेंन्स के इधर और उधर…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

पाकिस्तानी सीमा से लगे हुए गांव का स्कूल है,स्कूल के नीचे बंकर बना हुआ है। सभी बच्चे टाटपट्टी बिछा कर पढ़ने बैठते हैं , फर्श गोबर से बच्चे लीप लेते हैं फिर सूख जाने पर टाट पट्टी बिछा के पढ़ने बैठ जाते हैं ,मास्टर जी छड़ी रखते हैं और टूटी कुर्सी में बैठ कर खैनी से तम्बाकू में चूना रगड़ रगड़ के नाक मे ऊंगली डाल के छींक मारते हैं फिर फटे झोले से स्लेट निकाल लेते हैं , ऐसा वे हर रोज करते हैं, कभी कभी पाकिस्तान सीमा से उस पार गोलीबारी की आवाज पर तुनक जाते हैं बड़े पंडित जी जैसई स्कूल में प्रवेश करते हैं सब बच्चे खड़े होकर पंडित जी को प्रणाम करते हैं , सीमा पार पाक के गांव के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ना चाहते हैं पर मास्टर जी छड़ी उठा कर दिखा देते हैं। पाक के बच्चे फेंन्स के उधर से पढ़ते बच्चों को ललचाई नजर से देखते हैं।

मास्टर जी तम्बाकू मलने में मस्त हैं। वक़्त बहुत मज़बूत होता है उसे काटो तो नहीं कटता, पर मास्टर जी थोड़ा वक्त तम्बाकू मलने में काट लेते हैं, पता नहीं क्यों उनका मन पढ़ाने में लगता नहीं हैं, हर दम बोरियत महसूस होती है ,स्कूल की दीवार में लिखी इबारत पढ़ने लगते हैं,

गांव के प्रायमरी स्कूल की दीवार में लिखा है।

“विद्या धनम् सर्व धनम् प्रधानम्”

 मास्टर जी छड़ी उठाकर मेज में पटकते हैं  छकौड़ी से पूछते हैं ‘विद्या धनम् सर्व धनम् प्रधानम्’ का असली मतलब बताओ ? 

छड़ी के डर से छकौड़ी खड़ा होकर कहता है- “सर, इसका अर्थ हुआ विद्या के लिए आया सारा धन गांव के प्रधान के लिए होता है।”

मास्टर जी ने छकौड़ी को शाबाशी दी, नये जमाने के लड़के सब समझते हैं।

पुन्नू की घंटी बजी, बच्चों के खाने की छुट्टी हो गई …। पाक के बच्चे फेंन्स के उधर से रोटी खाते बच्चों को ललचाई नजर से देखते हैं, छकौड़ी आधी रोटी लेकर फेन्स के उधर खड़े बिलाल को दे देता है, बिलाल खुश होकर हाथ मिलाता है रोते हुए बताता है हमारे यहां आटा नहीं मिलता,आटे के चक्कर में बड़ी बड़ी लाइन लगतीं हैं, गोलियां चलतीं हैं हमारी अम्मी के पास स्कूल की फीस का पैसा नहीं था इसलिए हमारा नाम स्कूल से काट दिया गया। हमारे यहां का राजा कहता था हम लोग भूखे भले रह लेंगे पर परमाणु बम जरूर बनाएंगे। हमारे यहां पेट्रोल डीजल की बहुत किल्लत रहती है, हमारा राजा कटोरा लिए फिरता है पर देश का इम्प्रेशन खराब है तो कोई लिफ्ट नहीं देता। बिलाल कई दिनों का भूखा था आधी रोटी दो सेकेण्ड में गुटक गया और दूसरे बच्चों के टिफिन की तरफ ललचाई नज़रों से देखने लगा जब तक पुन्नू की घंटी बज गई, लंच टाइम खत्म हो गया।

मास्टर जी बिना मन के कक्षा में प्रवेश करते हैं, मेज में छड़ी पटक कर कुर्सी में बैठ जाते हैं टाइम पास करना है तो छकौड़ी को खड़ा करके पूछते हैं छकौड़ी सब बच्चों को सच सच बताओ कि आज तुमने सच में क्या सोचा।

छकौड़ी बताता है कि सर हमारे मास्टर साब का पढ़ाने लिखाने में मन नहीं लगता, बेचारे सोलह किलोमीटर से आते हैं थक जाते होंगे, घर में भी कोई होगी जो तंग करती होगी। हमारा राजा भी अजीब चमत्कारी राजा है मंहगे कपड़े पहनकर सच्ची क्वालिटी का झूठ बोलता है, हाथ मटका मटका कर अनोखे सपने दिखाता है, अपनी बात रेडियो से छुपकर बोलता है, सब जगह तालियां पिटवा कर विरोधियों की लाई लुटवाई देता है। अस्सी करोड़ लोगों को फ्री राशन पानी देकर वोट बटोर लेता है। हमारे देश में अरबपतियों की संख्या बढ़ती जा रही है।

छकौड़ी धाराप्रवाह सच बोले जा रहा है बच्चे तालियां बजा रहे हैं तभी मास्टर जी छड़ी लेकर खड़े हो जाते हैं ताली बजाते हुए कहते हैं आज के बच्चे सब समझते हैं बात सही भी है कि अरबपतियों की बढ़ती संख्या अच्छी अर्थव्यवस्था का नहीं, खराब होती अर्थव्यवस्था का संकेत है। जो लोग कठिन परिश्रम करके देश के लिए भोजन उगा रहे हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहे हैं, फैक्ट्रियों में काम कर रहे हैं उन्हें अपने बच्चे की फीस भरने, दवा खरीदने और दो वक्त का खाना जुटाने में संघर्ष करना पड़ रहा है, अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई लोकतंत्र को खोखला कर रही है।

फैन्स के उधर का अब्दुल 

1 किलो आटे के लिए 

रो रहा है, और

फैन्स के इधर का अब्दुल 

3 साल से फ्री का 

राशन खाकर 

राजा को कोस रहा है।

अचानक मेज में रखी छड़ी नीचे गिर गयी, फैन्स के उधर बच्चे की रोने की आवाज आ रही थी, बार्डर पर फैन्स के उधर के सैनिक बच्चे को बन्दूक की बट से मार रहे हैं, और फैन्स के इधर पुन्नू घंटी बजाने लगा है, स्कूल की छुट्टी हो गई।  इधर के बच्चे उधर के रोते बच्चों को देखकर भारत माता की जय के नारे लगाने लगते हैं फैन्स के उधर के सैनिक हंसते हुए आगे बढ़ जाते हैं, छकौड़ी दौड़कर बिलाल से हाथ मिला लेता है और कल दो रोटी देने का वायदा करता है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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