श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है नवीन आलेख की शृंखला – “ परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख ☆ परदेश – भाग – 25 –  तिरंगा ☆ श्री राकेश कुमार ☆

हमारे देश में सब तरफ तिरंगे की चर्चा हो रही है, होनी भी चाहिए।  देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव जो मना रहा है।

यहां विदेश का झंडा भी तीन रंग का है।  अमेरिका भी अंग्रेजों के चंगुल से स्वतंत्र हुआ था और हमारा देश भी पहले मुगल बादशाहों  के नियंत्रण में था और अंत में अंग्रेजों से ही मुक्त हुआ था।

विगत दिन एक स्थानीय नागरिक से अमरीकी तिरंगे के बाबत बातचीत हुई थी। झंडे में लगे हुए पचास सितारे देश के पचास राज्यों के प्रतीक है। यहां के एक पुराने किले में अमरीकी झंडे में तेरह सितारे दर्शाए हुए थे। समय-समय पर इसके प्रारूप में परिवर्तन होते रहे । एक समय अतिरिक्त राज्य की मांग होने पर झंडे में इक्यावन वाँ सितारा लगा कर मांग की गई थी, परंतु वह अस्वीकार हो गई थी। यहां पर अनेक घरों में हमेशा विभिन्न आकार के झंडे लगे रहते हैं। कुछ तो जमीन से मात्र आधा फूट की ऊंचाई पर होते हैं। सब के सम्मान करने के अपने-अपने नियम होते हैं। यहां की केंद्रीय सरकार को फेडरल के नाम से जाना जाता है। राज्यों के पास बहुत अधिकार भी होते हैं। प्रत्येक शहर और कस्बे की अपनी पुलिस व्यवस्था होती है। इसके अलावा राज्य पुलिस होती है। वैसे अमेरिका पूरी दुनिया में अपना रौब बनाए रखने और पूंजीवाद के विस्तार के लिए अनेक देशों में अपनी सैन्य शक्ति का उपयोग करने में अग्रणी रहता है।

हमारे देश से यहां चार गुनी अधिक भूमि हैं और जनसंख्या एक चौथाई है। शायद, इस देश की संपन्ता का ये ही कारण हो सकता हैं।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान) 

मोबाईल 9920832096

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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