डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है  “भावना के दोहे…।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 170 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के दोहे… ☆

लोचन

लोचन ने हमसे कहा,आ जाओ सरकार।

समझ लिया है आपको,हुआ है मुझे प्यार।।

मिठास

वाणी की है मधुरता, बोले वचन मिठास,

समा उसने बाँध लिया, सबको था विश्वास।।

उपवास

नौ देवी का है पर्व , करते है उपवास।

जीवन सुखमय हो रहा, दिन आया है खास।।

राधिका

कहे राधिका श्याम से, आना यमुना तीर।

समय बहुत अब हो गया, मन बाँधे  है धीर।।

पिचकारी

होली रंग में डूबे, राधा ओ गोपाल।

रंग भरते पिचकारी, ग्वाल बाल ।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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